पटना सेक्स फॅमिली की कहानी में पढ़ें कि एक रात मैंने दीदी के पास सोया तो दीदी ने मेरा हाथ अपनी चूची पर रख लिया. उसके बाद दीदी ने मुझे सेक्स करना सिखाया.
दोस्तो, मैं राज … अन्तर्वासना को काफी सालों से पढ़ता आ रहा हूँ.
मैं पटना बिहार का रहने वाला हूँ. मेरा परिवार काफी बड़ा है. सब लोग एक साथ ही रहते हैं.
ये पटना सेक्स फॅमिली की कहानी तब की है, जब मैं बारहवीं की पढ़ाई कर रहा था.
हम लोग गर्मियों में छत पर सोया करते थे.
मेरे बड़े पापा (ताऊ जी) की एक लड़की थी, जिनका नाम अंजलि था. वे मुझसे उम्र में चार साल बड़ी थीं.
उनका फिगर बड़ा ही मस्त था, एकदम गोरी, चूचे ज्यादा बड़े नहीं थे, फिर भी मस्त माल लगती थीं.
मैं कभी उनके बारे में गलत नहीं सोचता था.
लेकिन एक बार गर्मियों में हम सब लोग छत पर सोये हुए थे.
सब लोग अपना अपना बिस्तर लगा कर सो रहे थे.
मैं भी नीचे से ऊपर सोने के लिए आया तो देखा सारी जगह तो भरी हुई है.
अंजलि दीदी के बगल में थोड़ी जगह खाली थी, तो मैंने अपना बिस्तर वहीं लगाया और सो गया.
कुछ देर के बाद मैंने देखा कि दीदी मेरा हाथ पकड़ कर अपनी चूची दवबा रही थीं.
मैं जाग गया था मगर आंखें बंद करके दीदी की हरकतों को देख रहा था.
दीदी धीरे धीरे मेरे बिस्तर पर आ गईं.
फिर दीदी ने अपना एक दूध मेरे मुँह में दे दिया.
मैं भी आंख बंद किए किसी छोटे बच्चे की तरह उनके चूचे को पीने लगा.
पहले मैंने उनके निप्पल को अपने होंठों के पास महसूस किया, तब तक दीदी को कुछ पता नहीं चल सका था.
फिर मैंने अपने होंठ खोले और दीदी के दूध के निप्पल को मुँह में आ जाने दिया.
दीदी का निप्पल बड़ा सख्त हो गया था. वो मेरे मुँह में मुझे अपनी छोटी उंगली के जैसे लग रहा था.
दीदी लगातार मेरे मुँह में निप्पल देती हुई उसे अपनी दो उंगलियों से पकड़ी हुई थीं.
तभी अचानक से मैंने उनके निप्पल को मुँह में दबाए हुए ही चूसना शुरू कर दिया और जीभ से निप्पल को टुनियाने लगा.
इससे दीदी को भी पता चल गया था कि मुझको भी मज़ा आ रहा है.
वे अपना थन मेरे मुँह में देती हुई मस्ती से मेरे सर में हाथ फेरने लगीं और इसी तरह मैं उनके दोनों दूध को बारी बारी से चूसता रहा.
अब रोज ऐसा होने लगा.
दीदी रोज अपना दूध मुझसे मसलवाती, दबवाती और चुसवाती थीं.
मुझे भी मज़ा आने लगा था.
वे अब सामने से खुलने वाली शर्ट पहन कर सोती थीं और अन्दर ब्रा नहीं पहनती थीं.
जैसे ही सब सो जाते, दीदी अपनी शर्ट के बटन खोल देतीं और मेरे साथ मस्ती करने लगतीं.
फिर एक दिन, दिन में ही दीदी मुझे छत पर ले गईं.
उस समय छत पर कोई नहीं आता था.
छत पर पानी की टंकी के पीछे एक छोटा सा छायाबान बना था.
उधर दीदी पहले ही दरी रख आई थीं.
हम दोनों जब उधर पहुंचे तो दीदी ने दरी बिछाई और लेट गईं.
दीदी ने मुझसे भी लेटने का इशारा किया.
मैं भी उनके बाजू में चुपचाप लेट गया.
मुझे लगा कि आज दिन में भी दीदी को अपने दूध चुसवाने का मन है तो मैं बस उनकी चूचियां नंगी होने का इंतजार करने लगा.
दीदी ने अपनी कुर्ती की जगह सलवार का नाड़ा खोला और उसे ढीली करके उतार दी.
फिर उन्होंने अपनी चड्डी भी निकाल दी.
दीदी नीचे से पूरी नंगी हो गई थीं.
मैं केवल चुपचाप देख रहा था.
फिर दीदी ने मेरा पैंट खोल कर मेरा लंड अपने हाथ में ले लिया.
मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया.
दीदी ने अपनी चूत को दोनों हाथों से फैला कर कहा- अपना इसमें डालो.
मैं ज़िन्दगी में पहली बार चूत देख रहा था. क्या चूत थी … एकदम लाल और चिकनी मक्खन के जैसी.
उनकी चूत पर हाथ रखते ही फिसल रहे थे.
मैं भी अनजान बन कर चूत से खेल रहा था.
फिर दीदी ने कहा- मेरे ऊपर चढ़ जाओ.
मैं दीदी के ऊपर चढ़ गया और उनकी चूत में लंड डालने लगा.
पर दीदी की छोटी सी सीलपैक चूत में मेरा पांच इंच का लंड कैसे जाता.
जब लौड़ा चूत को नहीं भेद सका, तो दीदी ने मेरे लंड पर थूक लगा दिया.
मैंने फिर लंड सैट करके थोड़ा जोर लगाया. तो इस बार मेरे लंड का सुपारा दीदी की चूत में समा गया.
दीदी की पहले कभी चुदाई नहीं हुयी थी तो लंड का सुपारा अन्दर जाते ही दीदी को दर्द होने लगा … लेकिन वो बर्दाश्त कर रही थीं.
मैंने एक और बार जोर लगाया, तो पूरा लंड अन्दर चला गया.
अब दीदी रोने लगीं.
उनकी आंख से आंसू आने लगे … लेकिन फिर भी वो लौड़े को बर्दाश्त कर रही थीं.
मुझे भी अपने लौड़े का धागा टूटने से दर्द हो रहा था तो मैं भी कसमसाने लगा.
मैंने दर्द के मारे अपना लंड निकाल लिया.
तभी मैंने देखा कि दीदी की चूत से खून आ रहा है.
यह देख कर मैं अपना दर्द भूल गया.
अब दीदी मुझे डांटने लगीं कि निकाला क्यों … चल अन्दर डाल!
मैंने फिर से लंड चूत में डाला और हिलाने लगा.
अब दीदी पूरे मजे में आवाज़ निकाल रही थीं- आह और जोर से … और जोर से चोद आह मस्त मजा आ रहा है.
ये मेरा पहली बार था, तो जल्दी ही लंड ने दम तोड़ दी. उसका रस निकल गया.
मैंने दीदी की चूत में ही अपना सारा माल निकाल दिया था.
कुछ देर तक हम दोनों यूं ही पड़े रहे.
फिर दीदी ने मुझे अपने ऊपर से हटने का कहा.
मैं हट कर उनके बाजू में लेट गया.
हम दोनों बातें करने लगे.
कुछ देर बाद दीदी ने मेरा लंड अपने हाथ में ले लिया और उसे सहलाने लगीं.
दीदी ने कहा- चल अपनी जीभ से चूत को चाट!
मैं चुचाप दीदी की चूत चाटने लगा.
दीदी दुबारा गर्म होने लगीं.
मेरा लंड भी तन गया.
दीदी अपने हाथों से मेरे सर को दबाए जा रही थीं.
मैं चूत को लगातार चाट रहा था तो वो मेरे सर को और जोर से दबाने लगीं.
कुछ ही देर में उनकी चूत से पानी निकलने लगा.
मैं सारा पानी पी गया.
चूत का पानी नमकीन था.
फिर दीदी ने कहा- चल अब फिर से लंड पेल.
मैं भी अब सब समझ गया था.
मैंने कहा- दीदी, पहले इसे मुँह में लेकर गीला करो ना!
दीदी ने कहा- अरे वाह … मेरा भाई तो समझदार हो गया है.
फिर दीदी मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगीं.
दीदी लंड को मजे से चूस रही थीं.
मैं उनके दोनों मम्मों को दबा रहा था.
दीदी ने लंड चूस कर पूरा गीला कर दिया.
अब मैंने दीदी की दोनों टांगों को दोनों कंधों पर रख कर एक जोरदार धक्का मारा, तो लंड चूत को चीरता हुआ पूरा अन्दर चला गया.
दीदी की चीख निकल गयी. दीदी ने कहा- चूतिये साले … मैं कोई रंडी नहीं हूँ. मैं भी पहली बार तुझसे चुदवा रही हूँ. जरा आराम आराम से कर!
मैंने दीदी को सॉरी बोला और लग गया चुदाई में.
दीदी को पूरा मज़ा आ रहा था.
बीस मिनट तक मैंने दीदी की खूब चुदाई की.
इस बार दीदी दो बार झड़ चुकी थीं.
मेरा भी निकलने वाला था.
मैंने अपनी रफ्तार बढ़ा दी और दीदी की चूत में ही सारा माल निकाल दिया.
झड़ कर मैं उनके ऊपर ही निढाल होकर लेट गया.
फिर कुछ दिन बीत गए क्योंकि रात को हम लोग ज्यादा कुछ नहीं कर पाते थे; सब लगभग आस पास ही सोते थे.
एक दिन सबको किसी रिश्तेदार के यहां शादी में जाना था.
मैंने जाने से मना कर दिया.
मुझे बाद में पता चला अंजलि दीदी भी नहीं जा रही हैं.
मेरे मन में अन्दर ही लड्डू फूटने लगे.
मैं अब सबके जाने की राह देखने लगा.
आखिर वो समय आ गया.
सब लोग चले गए.
अब घर में मैं, दीदी और बड़े पापा ही रह गए थे.
कुछ देर बाद बड़े पापा भी अपनी दुकान पर चले गए.
अब वे रात को ही घर वापस आने वाले थे.
मैंने फटाफट मेन गेट बंद किया और दीदी के कमरे में आ गया.
दीदी मेरा ही इंतजार कर रही थीं.
मैंने दीदी को पीछे से पकड़ लिया और उनके मम्मों को दबाने लगा.
दीदी अपने होंठ मेरे होंठों पर रख कर चूसने लगीं.
धीरे धीरे हम दोनों ने अपने सारे कपड़े निकाल दिए और एक दूसरे को चूमने लगे.
दीदी मेरा लंड चूसने लगीं.
मैंने दीदी को घोड़ी बनाया और पीछे से पेलने लगा.
दीदी जोर जोर से चिल्लाने लगीं- आह और तेज चोद … चोद कर चूत फाड़ दे मेरी … आह.
उनकी कामुक आवाजें सुनकर मैंने अपनी स्पीड तेज़ कर दी.
कुछ देर के बाद मैं झड़ गया. सारा माल मैंने दीदी के अन्दर ही निकाल दिया.
फिर दीदी खाना बनाने चली गईं.
मैं बैठ कर टीवी देखने लगा.
कुछ देर बाद दीदी ने खाने के लिए बुलाया.
हम दोनों ने एक साथ बैठ कर खाना खाया.
उसके बाद हम दोनों फिर से लग गए.
एक दूसरे को चूमने लगे.
मुझे दीदी की गांड मारनी थी, तो मैं बार बार दीदी की गांड में उंगली कर रहा था.
दीदी मुझे डांटने लगीं- ये क्या कर रहा है?
मैंने कहा- दीदी, मुझे आपकी गांड मारनी है.
दीदी- वो ठीक है, पर उंगली क्यों कर रहा है? वो मुझसे बोल भी सकता है ना! जा किचन से सरसों का तेल लेकर आ.
मैं किचन से तेल लेकर आ गया.
दीदी बोलीं- मेरी गांड में थोड़ा तेल डाल और धीरे धीरे कर.
मैं गांड में तेल टपका कर उंगली करने लगा.
दीदी की गांड का छेद इतना छोटा था कि मुश्किल से छोटी वाली उंगली अन्दर जा रही थी.
धीरे धीरे मैंने गांड के छेद को फैलाया और अपने लंड को सरसों के तेल से चुपड़ लिया.
उसके बाद मैं दीदी की गांड में लौड़ा पेलने लगा.
तेल की ज्यादा चिकनाई के कारण लंड का सुपारा गांड को चीरता हुआ अन्दर घुस गया.
दीदी चिल्लाने लगीं और कहने लगीं- उई माई रे … बड़ा दर्द हो रहा है.
मैं भी रुक गया और धीरे धीरे अन्दर डालने लगा.
दीदी को अब मज़ा आने लगा.
फिर दीदी उछल उछल कर गांड मरवाने लगीं.
कुछ देर बाद मैंने सारा माल दीदी की गांड में ही निकाल दिया.
उस दिन मैंने दीदी की चार बार अलग अलग तरीके से चुदाई की.
अब ये खेल रोज का हो गया.
दीदी रात में मुझे अपना दूध पिलातीं और जब भी मौका मिलता, वो अपनी चूत मुझसे चुदवा लेती थीं.
जब तक दीदी की शादी नहीं हुई, तब तक ये बिंदास चलता रहा.
मैं भी अब दिल्ली पढ़ने के लिए आ गया हूँ और दीदी की भी शादी हो गई है.
दोस्तो, यह थी मेरी बड़ी बहन की चुदाई की कहानी.
आपको कैसी लगी पटना सेक्स फॅमिली की कहानी?
प्लीज बताएं.
मैं पहली बार चुदाई की कहानी लिख रहा हूँ, कोई गलती हो गई हो … तो प्लीज माफ़ कीजिएगा.
अगली बार शादी के पांच साल बाद दीदी को कैसे चोद कर लौड़े की प्यास बुझाई, वो लिखूंगा.
आप सबका राज कुमार