शादी में कुंवारी लड़की की सील तोड़ी

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नंगी लड़की की पहली चुदाई कहानी में मैंने 19 साल की एक सुंदर लड़की के साथ सेक्स किया. वह अनछुई कच्ची कली थी. मैंने उसे आधी रात को छत पर चोदा था.

दोस्तो, कैसे हो आप सब!
मेरा नाम जीशान खान है और मैं राजस्थान से हूं। मेरी उम्र 21 साल है और मैं कंप्यूटर जॉब करता हूं।

यह मेरी ज़िंदगी की पहली कहानी है जिसमें मैं बताऊंगा कि कैसे मैंने अपनी मौसी की लड़की की शादी में एक रिश्तेदार लड़की के साथ सेक्स किया।

तो आपका ज्यादा समय व्यर्थ न करते हुए आता हूं सीधे कहानी पर।

यह नंगी लड़की की पहली चुदाई कहानी हाल ही की है जब मैं अपनी मौसी के यहां शादी में गया हुआ था.
मैं कई दिन पहले पहुंच गया था।

वहां शादी में मेरा ज्यादा मन नहीं लग रहा था इसलिए छत पर ही बैठकर मोबाइल में मूवी देख रहा था।

तभी छत पर एक 40 साल की औरत आयी और मुझे चाय दी।
मैंने उनकी तरफ देखा तो वो बहुत ही सुंदर दिख रही थी और मुझसे बात करने की कोशिश कर रही थी।

फिर मैंने ही बात की शुरुआत की तो पता चला कि उनके पति बिहार में काम करते हैं और उनकी 2 संतान हैं।

बड़ी लड़की 19 साल की और लड़का अभी 9-10 साल का था।

धीरे धीरे हम दोनों ने खूब बातें कीं और उनसे अच्छी दोस्ती भी हो गई।

उन्होंने बताया कि वे मासी के ससुराल वालों के परिवार वालों की बेटी हैं यानी उनकी ननद।
मुझे उनसे बाते करके अच्छा लग रहा था।

तभी एक बेहद खूबसूरत लड़की ऊपर आयी।
मैं तो उसे देख कर अवाक् रह गया।
क्या होंठ थे उसके … क्या फिगर, सच में गजब का माल थी वो!

फिर वह उस औरत के पास आई और बोली- मम्मी, आपको नीचे बुलाया है।
मैंने पूछा- ये आपकी बेटी है?
तो वे बोली- हां मेरी बेटी है, इसका नाम रूही है।

मैं बोला- लगता ही नहीं आपकी इतनी बड़ी बेटी है, आप तो जवान लगती हो।
तो उन्होंने बताया कि छोटी उम्र में उनकी शादी हो गयी थी इसलिए जवान दिखती हैं।

वह लड़की भी अब वहीं पर खड़ी होकर बातें करने लगी।
इस बहाने मेरी भी उससे जान-पहचान हो गई।

धीरे-धीरे उससे भी अच्छा सम्पर्क हो गया।

2-3 दिन तक उस लड़की और उसकी मम्मी यानी उस औरत से मैंने खूब बातें कीं और खुलकर कीं।

फिर शादी से एक दिन पहले नाच-गाने का प्रोग्राम रखा गया।
सब अच्छे से एन्जॉय कर रहे थे।
मैं भी नाच रहा था।

तभी वह लड़की रूही मेरी तरफ आयी और हंसने लगी।
मुझे लगा मेरे साथ नाचना चाहती है।
मैं भी हंसकर उसके पास चला गया और नाचने लगा।

तभी मैं रुक गया।
तो रूही बोली- क्या हुआ! रुक क्यों गए?
मैं बोला- हाथ में दर्द हो रहा है।

तो उसने मेरे हाथ दबाने शुरू कर दिए।
मुझे थोड़ा अच्छा लगा।

फिर वो बोली- अब ठीक है?
मैं बोला- इससे तो 10 या 15 मिनट ही आराम रहेगा। अगर दोबारा दर्द हुआ तो?
तो वह बोली- फिर से दबा दूंगी।

मैं बोला- और फिर भी हुआ तो?
वो बोली- दबाती रहूंगी, जब तक आराम न आए।

मैं बोला- इतनी हिम्मत है क्या?
तो वह बोली- हिम्मत की बात ही मत करो। बोलो और क्या करके दिखाना है?

मैं बोला- अगर ये बात है तो रात को सोऊं, तब दबाना … मान जाऊंगा।
वो बोली- ठीक है, दबा दूंगी।

मैं खुश हो गया और फिर नाचने लगा।

हमें नाचते-नाचते वहीं पर रात के 1 बज गए।

सब फिर नाच गाना बंद करके सोने के लिए कहने लगे।
फिर मैं भी सोने के लिए चला गया।

छत पर कोई नहीं सोता था और गर्मी भी थी तो मैं ऊपर चला गया।

तभी मुझे किसी के आने की आहट सुनाई दी।
मैंने देखा तो रूही मेरे सामने आकर खड़ी हो गई थी।

मैंने पूछा- क्या हुआ?
वह बोली- अब बताओ और दबाने हैं क्या हाथ?
मैं बोला- अब तो पैर भी दर्द कर रहे हैं।

तो वह बोली- कोई बात नहीं, मैं पैर भी दबा दूंगी। आप बस हुक्म करो!
मैं बोला- क्या बात है, इतना जोश कहां से आता है तुममें?
उसने कहा- आप कह रहे थे न कि इतनी हिम्मत है? तो बस, वही हिम्मत दिखा रही हूं।

मैं बोला- आपकी मम्मी आ जाएगी।
वह बोली- सब सो गए हैं, बेफिक्र रहो। और मम्मी को पता है कि मैं यहीं सोने वाली हूं। इसलिए वे नहीं आयेंगी क्योंकि वे पहले ही बोलकर सो चुकी है।
मैंने कहा- ओह, चलो फिर तो बढ़िया है, कोई चिंता की बात नहीं है, हम भी यहां आराम से सो सकते हैं।

उसने एकदम से पूछा- बढ़िया है, इसका क्या मतलब?
मैं बोला- कुछ नहीं, ऐसे ही।
वह बोली- इरादा क्या है आपका?

मैं बोला- बस आपसे पैर दबवाने का!
वह बोली- पैर दबाकर आपको तो आराम मिल जाएगा, पर मुझे भी दर्द हो रहा है, उसका क्या?
मैं बोला- मैं दबा दूंगा।

इस बात पर फिर वह हंसने लगी।
मैं भी हंस दिया और हम दोनों ने काफी देर तक बातें कीं।

बातें करते हुए कब रात के 3 बज गए हमें पता ही नहीं चला।

उस वक्त तक मुझे ठरक चढ़ने लगी थी।
उसके गुलाबी होंठ, उसके चमकते दांत, उसकी हंसी, उसकी जुल्फें, और उसका उन जुल्फों में बार-बार हाथ फिराना! ये सब देखकर मैं जैसे दीवाना सा हुआ जा रहा था।
तो मैंने बेकाबू होकर उसका हाथ पकड़ लिया।

एकदम से उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया।
मैंने फिर धीरे से उसकी जुल्फों, जो उसकी चूचियों को ढके थीं, पर हाथ फिराते हुए उसकी चूचियों को भी प्यार से सहला दिया।
उसने एकदम मेरी ओर थोड़ी हैरानी से देखा और फिर शरमाकर नीचे नजरें कर लीं।

फिर बोली- दर्द वहां नहीं है!
मैंने कहा- सॉरी, गलती से लग गया। मैं तो तुम्हारे बालों को छू रहा था।
फिर उसने मेरे हाथ पर हाथ रख कर कहा- आपको ये गलती दोबारा करने का भी हक है.

दोस्तो, मेरे तो जैसे मन में लड्डू फूट गए।
बस फिर क्या था … इससे पहले वो कुछ और कहती, मैंने उसके होंठों पर अपने होंठों को सटा दिया।

उसके गुलाब की पंखुड़ियों जैसे नर्म होंठों पर मैं चुम्बन करने लगा।
फिर हम दोनों की जीभ भी बाहर निकलने लगी और जल्द ही लार का आदान-प्रदान होने लगा।

काफी देर तक हमारा स्मूच चलता रहा।

मैं उसके कमीज को ऊपर उठाने लगा तो बोली- नहीं, कपड़े नहीं, ऊपर से ही कर लो।
मैंने कहा- ओके, कोई बात नहीं।

फिर मैं सूट के ऊपर से ही उसके बूब्स को दबाने लगा।

धीरे धीरे वो गर्म होने लगी।

मैं उसकी पजामी को खोलने लगा।
उसने मेरा हाथ पकड़ लिया, बोली- गेट बस हल्का सा ही खुलेगा, सिर्फ दर्शन करने के लिए! जो देखना, करना है, जल्दी कर लेना।

फिर उसने खुद अपनी पजामी खोली।
मैंने जल्दी से उसकी पैंटी नीचे खींच दी।

हाय … एकदम साफ़ गुलाबी चूत थी उसकी!
मैंने छूकर देखा तो जैसे तप रही थी।

बिल्कुल रुई के जैसी नर्म, लेकिन बहुत गर्म!

मुझसे रुका न गया और मैंने पलभर से भी कम देर में अपनी पैंट उतार कर उसे नीचे पटक लिया।

मैंने उसके ऊपर लेटते हुए लंड को चूत पर सटा दिया।
वह थोड़ी हैरान और परेशान सी दिखी, बोली- मैंने बस देखने के लिए कहा था।

मैंने कहा- मैं तो तुम्हारी खूबसूरती का दीवाना हो गया हूं, मैं नहीं रुक सकता, चाहे जो सजा देना, लेकिन मैं तुम्हें पाना चाहता हूं, तुममें समाना चाहता हूं जान!
मेरी बातों से उसे भी यकीन हो गया और उसने मुझे अपनी बांहों में समा लिया।

तब मैंने उसी पूरी नंगी कर लिया.

लंड का विश्वास पाते ही चूत ने अपने द्वार खोल दिए।
मैंने लंड पकड़ कर चूत के छेद पर नीचे ही नीचे सेट किया और धक्का दे दिया।
झटका जोर का था इसलिए चूत को भेदता हुआ लंड अंदर जा फंसा।

नंगी लड़की की पहली चुदाई में रूही की चीख निकलती इससे पहले मेरा हाथ उसके मुंह पर जा चुका था।
मैं एक हाथ से उसके मुंह को दबाए रहा और दूसरे से उसके कंधे, सिर को सहलाते हुए उसे शांत करने की कोशिश करता रहा।

वह भी मेरी सहलाहट को मरहम की तरह स्वीकार करके साथ निभाने के लिए आगे बढ़ती दिखी।

मैंने लंड को चूत में चलाना शुरू किया लेकिन चूत टाइट थी और लंड मोटा … इसलिए चूत पर थोड़ा थूक लगाकर मैंने लंड का टोपा थोड़ा बाहर तक किया लेकिन बिल्कुल नहीं निकाला।

धीरे-धीरे करके मैंने लंड को पूरा चिकना कर लिया।

अब तक रूही की चूत भी लंड को नाप-तौल कर उसके लिए खुद को तैयार कर चुकी थी।
मैंने चुदाई शुरू की और रूही मेरा साथ देने लगी।
हम दोनों के बदन चिपक गए थे।

आह्ह … दोस्तो, क्या बताऊं, गर्म, गुलाबी चूत चोदने में जो स्वर्ग है, वो दुनिया की किसी और चीज में नहीं है।
मैं तो बस आनंद में डूबता जा रहा था।

ऐसी चूत भगवान को सबको चोदने के लिए दे।

दो मिनट बाद मैंने नीचे झांका तो लंड पर खून लगा हुआ दिखा।
मैं समझ गया कि रूही की है आज!

हालांकि रूही अब तक मजे और दर्द में बदहवास सी हो चुकी थी।
लग रहा था जैसे बेहोश हो जाएगी।

लेकिन मैंने फिर उसकी वासना को भड़काया, मैं उसकी चूचियों को मैं मुंह लगाकर पीने लगा; निप्पलों को दांतों से हल्के हल्के चुभलाने लगा।
वह सिसयाने लगी- आस्स्स … आह्ह्ह … आराम से … उईई … मम्मी … आईई … इस्स्स … आउच।

नीचे से मैं हल्के हल्के लंड के धक्के चूत में लगा रहा था ताकि उसे ऊपर, और नीचे दोनों जगह मजा मिलता रहे।

मेरी इस मेहनत ने रंग दिखाया और रूही ने मुझे कसकर बांहों में भींचते हुए मेरे होंठों को चूसना शुरू कर दिया।
उसकी टांगें थोड़ा खुल गईं जिससे मैंने लंड को थोड़ा और अंदर तक सरका दिया।

मैं फिर से उसे चोदने लगा।
अब वह हल्के से दर्द भरी आहें तो ले रही थी लेकिन उसमें मजे का अहसास ज्यादा मालूम चल रहा था।

धीरे-धीरे मेरी स्पीड बढ़ने लगी।
अब इतनी रसीली और गर्म-टाइट चूत मिले तो भला कोई कब तक धीरे-धीरे चोदेगा।

मैंने चूत की चक्की बना दी।
मैं तेजी से उसे पेलने लगा तो वो रोने लगी।
उसकी आंखों से आंसू बहने लगे।

फिर उसका चेहरा देख मुझे स्पीड कम करनी पड़ी।
मैं नहीं चाहता था कि वो मुझे बाद में दर्द के कारण गालियां देती जाए और कभी दोबारा न मिलने का फैसला कर ले।
इसलिए मैंने खुद की हवस पर भी काबू रखना बेहतर समझा।

कुछ देर का विराम देकर मैंने मध्यम गति में चुदाई दोबारा से शुरू कर दी।
अब रूही मुझसे बार बार लिपट रही थी, कभी मेरी छाती पर हाथ लगाकर धकेलने की कोशिश करती तो अगले ही पल पीठ पर नाखून गड़ाते हुए मुझे अपने में समाने की कोशिश करने लगती।

मैं समझ गया था कि अब उसे लंड का असली स्वाद मिलना शुरू हो गया है।

धीरे धीरे मेरी स्पीड फिर से बढ़ने लगी।
रूही को तकलीफ तो हो रही थी लेकिन वह अब धक्के झेल जा रही थी।

तेजी से चोदते हुए मैंने उसकी सांसें चढ़ा दीं।

अब मैं वीर्य को गिरने से रोकने की सोच रहा था लेकिन उसकी चूत में एक कसाव आया और उसने लंड को भींच लिया।
इसी फीलिंग में मेरा वीर्य उसकी चूत में छूट गया।

मैं बेहाल सा हो गया था, इतने ज्यादा वेग से बहुत दिनों बाद वीर्य लंड ने फेंका था।
अब मैं भी हांफने लगा था।

मैंने कहा- बस हो गया!
वह बोली- तो आराम से बाहर निकालना … बहुत दर्द हो रहा है मुझे!

मैं 10 मिनट तक उसके ऊपर लेटा रहा।
फिर उसने मुझे धक्का दिया और बोली- बस अब मुझे दर्द हो रहा है बहुत ज्यादा, मुझसे उठा भी नहीं जा रहा है। ये बात हम दोनों के बीच रहनी चाहिए। वरना मम्मी मुझे मार डालेगी।

इतना कहकर वह धीरे से उठी और पजामी ऊपर करके चलने लगी।
लेकिन वो चल नहीं पाई और वहीं लड़खड़ा गई।

मैंने कहा- थोड़ी देर लेट लो। आराम कर लो, फिर चली जाना।

वह बोली- ठीक है, लेकिन अब ऐसी-वैसी हरकत कुछ नहीं!
मैंने कहा- नहीं, बिल्कुल नहीं; तुम बेफिक्र रहो।

कुछ देर लेटने के बाद वह चलने लगी।
लेकिन फिर भी उससे चला नहीं जा रहा था।

फिर मैंने उसे सहारा दिया और धीरे-धीरे नीचे सीढ़ियां खत्म होने तक छोड़कर आया।

मैं आकर सो गया।

मेरी आंख देर से खुली।
उठा तो पता चला रूही को बुखार आ गया है और वह अस्पताल गई हुई है।

मुझे भी थोड़ा खुद के लिए बुरा लगा कि उसके साथ कहीं ज्यादा तो नहीं कर दिया।
मैं उसका इंतजार करने लगा।
वह शाम के लगभग घर लौटी।

वह मुझसे बात नहीं कर रही थी और इग्नोर कर रही थी।

मैंने सोचा कि उससे सॉरी कह दूं।
लेकिन उसने मौका नहीं दिया।

अगले दिन वह चली गई और फिर मेरा भी वहां मन नहीं लगा।

लेकिन रूही के लिए मेरे मन में हल्का सा मलाल रह गया।
काश … उससे एक बार उस दिन बात हो पाती!

तो दोस्तो, यह थी मेरी पहली सेक्स कहानी।
मेरी ये प्यारी सी सेक्स कहानी आपको कैसी लगी, मुझे अपने फीडबैक में जरूर बताना।
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