बहन की सहेली घर आकर चुद गयी

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गर्म चुदाई की कहानी में पढ़ें कि मैं अपनी बुआ के घर गया तो वहां मेरी बहन की सहेली मुझपर लाइन मारने लगी. मैंने उसकी चूत की चुदाई कैसे की?

नमस्कार! मेरा नाम राज यादव है. आज मैं पहली बार अपनी कहानी आप सभी के बीच में लाया हूं.
इस गर्म चुदाई की कहानी में मैं आपको बताऊंगा कि कैसे मैंने अपनी बहन की सहेली को चोदा.

मैं यू.पी. के एक गांव में रहता हूं. मेरी उम्र 23 साल है. शारीरिक बनावट की बात करूं तो मेरी लम्बाई 6 फीट और दो इंच है.
दिखने में अच्छा हूं और लड़की या भाभी को जल्दी ही पसंद आ जाता हूं.

आज जो मैं घटना आपको बताने जा रहा हूं ये गर्म चुदाई की कहानी उस वक्त की बात है जब मैं अपनी बुआ के घर गया हुआ था.

मेरी बुआ की बेटी रंजना 26 साल की है, एक स्कूल टीचर है.
उसी स्कूल में उसकी एक सहेली भी पढ़ाया करती थी.

उसकी सहेली का नाम था रुखसार. वो 25 की हो चुकी थी.
मैंने उसको पहली बार जब देखा जब एक दिन दीदी ने उसको अपने घर चाय पर बुलाया था.

जब वो आई तो मैं ही दरवाजा खोलने के लिए गया था.
मैंने दरवाजा खोला तो वो सामने थी और मैं उसको एकटक देखता ही रह गया.
फिर एकदम से मैंने नजर हटायी और उसको अंदर आने का रास्ता दिया.

दोस्तो, उसका फिगर क्या कहूं … एकदम से सेक्सी बदन की मालकिन थी वो.
उसको जो भी देखे वो पागल ही हो जाये.
32 के स्तन और कमर 30 की. उसकी गांड 34 की थी.

उसने मुझ एक नजर देखा और फिर अंदर आते हुए पूछने लगी- रंजना घर पर है क्या?
मैंने हां में गर्दन हिलायी और तब तक मेरी बहन भी बाहर निकल आयी.

दीदी उसको अंदर लेकर जाने लगी और पीछे से उसकी गांड उसकी पजामी में मटकती हुई दिखाई दे रही थी.

वो दोनों ऊपर वाले कमरे में चली गयीं.

थोड़ी देर के बाद बुआ ने चाय बना दी और मुझे चाय को ऊपर वाले रूम में देने के लिए कहा.
मैं शर्मा रहा था क्योंकि मुझे लड़कियों से बात करने में हिचकिचाहट होती थी.

मैं जब चाय लेकर ऊपर जा रहा था तो मैं दरवाजे के पास पहुंचा तो उनकी बातें सुनने लगा.
रुखसार दीदी से कह रही थी- तूने बताया नहीं कभी कि तेरा भाई भी है?
दीदी बोली- सगा भाई नहीं है, मेरे मामा का बेटा है.

रुखसार- बहुत मस्त बन्दा है यार. अगर ये मिल जाये तो मैं उसे … (कहते हुए रुखसार चुप हो गयी).
दीदी- पागल हो गयी है क्या! उसकी उम्र ही क्या है अभी?

फिर मैं चाय लेकर अंदर चला गया.
मुझे देखते ही वो दोनों चुप हो गयीं.

रुखसार मेरी ओर ही देख रही थी. मैं उससे कभी नजर मिला रहा था तो कभी बचा रहा था.
मैंने कभी इससे पहले किसी लड़की से खुलकर बात भी नहीं की थी.

इतने में ही बुआ ने दीदी को नीचे बुला लिया. रंजना दीदी मुझे वहीं पर बैठने के लिए कह गयी.

फिर रुखसार मुझसे बात करने की कोशिश करने लगी.
वो बोली- आपको पहले मैंने कभी यहां नहीं देखा.
मैं- मैं रंजना दीदी के मामा का लड़का हूं. यहां बुआ के घर आया हुआ हूं.

वो बोली- आपकी पर्सनेलिटी तो बहुत अच्छी है. आप जिम करते हो क्या?
मैं- नहीं, मैं खेत में मेहनत करता हूं. सारा दिन खेत का ही काम रहता है इसलिए शरीर भी फिट रहता है.

फिर ऐसे ही वो मेरी पढ़ाई वैगरह के बारे में बात करती रही.

पांच मिनट के बाद दीदी आ गयी और मैं उन दोनों को वहीं छोड़कर आ गया.

फिर घंटे भर तक वो दोनों साथ रहीं और फिर नीचे आ गयीं.

उसके बाद दीदी ने मुझे रुखसार को छोड़ने के लिए कहा.
मैं उसको बाइक पर बिठाकर उसके घर छोड़ने जाने लगा.

वो पूछने लगी- तुम्हारी गर्लफ्रेंड है क्या?
मैंने उसको मना कर दिया.

फिर कुछ देर के बाद उसने मेरे कंधे पर हाथ रख लिया.
मुझे उसके कोमल हाथ बहुत अच्छे लगे. फिर उसका घर आ गया और मैंने उसको घर के बाहर छोड़ दिया.

उतरने के बाद उसने मुझसे हाथ मिलाया और मुस्कराते हुए मुझे बाय बोला.
ऐसा लग रहा था जैसे कि वो मुझ पर बहुत मेहरबान हो रही हो.

उसके बाद मैं वहां से वापस आ गया.

दो दिन के बाद मेरे फोन पर एक अन्जाने नम्बर से कॉल आया.

फोन उठाकर मैंने हैलो किया तो वहां से आवाज आई कि मैं रुखसार बोल रही हूं.

मैंने पूछा- आपको ये नम्बर कहां से मिला?
वो बोली- रंजना से लिया है. मुझे आपसे बात करनी थी.

फिर मैं बोला- ठीक है, बताओ क्या बात करनी है?
वो बोली- आपको कम्प्यूटर की जानकारी है क्या? शायद मेरे कम्प्यूटर में कुछ खराबी आ गयी है.

मैंने कहा- नहीं, मुझे इसकी जानकारी नहीं है. वैसे क्या खराबी आ गयी है?
वो बोली- बहुत धीरे काम कर रहा है.
मैंने कहा- तो एक बार उसको फॉर्मेट कर लो.

वो बोली- मगर उसमें मेरा कुछ पर्सनल डाटा है जो मैं खोना नहीं चाहती.
मैंने कहा- तो फिर आप किसी कम्प्यूटर रिपेयर सेंटर पर ही दिखा लो तो सही रहेगा.
वो बोली- ठीक है. यही सही रहेगा.

फिर उसने फोन काट दिया.

रात को फिर उसका कॉल आ गया.
इस बार उसने उस कॉल पर काम की कोई बात नहीं की. मगर हम दोनों की काफी देर तक बातें हुईं.

मैं जान गया कि ये चुदना चाह रही है शायद.

फिर हमारी बातें रोज होने लगी.
मैं भी उसके लिए अब तैयार था और उसकी चूत को पेलना चाह रहा था.

एक दिन उसने खुद ही मिलने के लिए बोल दिया.
वो बोली- आप कब मिल सकते हो? मैं एक बार आपसे बात करना चाहती हूं.
मैंने कहा- दो दिन के बाद बुआ और फूफा दवाई लेने आगरा जायेंगे. तुम रंजना से बात कर लेना और घर आ जाना.

अब आगे की कहानी रुखसार की जुबानी …

मैं राज से मिलकर उसके साथ सेक्स मजा लेना चाहती थी.
मैंने राज को अभी तक अपने दिल की बात नहीं बोली थी. मगर मैं उसको बहुत पसंद करने लगी थी.
मैं बस किसी तरह तीसरे दिन के इंतजार में थी.

फिर वो दिन भी आया और उसके बुआ-फूफा दवाई लेने आगरा चले गये.
मैं बहुत उत्साहित थी.

राज जैसा लम्बा चौड़ा तगड़ी कद काठी का बंदा मैंने पहली बार देखा था.

वैसे मेरा फिगर भी किसी का भी लंड खड़ा कर सकता था.
मगर राज को जैसे मुझे देखकर कुछ हो ही नहीं रहा था.

मैं तो उसको जब भी देखती थी तो मेरी चूत में खुजली होने लगती थी.
अब मुझे अपनी चूत में उसका लण्ड चाहिए था. इसके लिए चाहे मुझे कुछ भी करना पडे.

मैंने अपनी सहेली रंजना को फोन किया कि मेरे घर कोई नहीं है. रात को डर भी बहुत लगता है. मैंने उससे मेरे घर आने के लिए कहा.

उधर रंजना भी कहने लगी कि उनके घर भी कोई नहीं है. इसलिए वो मुझे अपने ही घर बुलाने लगी.
मैं तो खुशी खुशी तैयार हो गयी.
मुझे तो राज से अपनी चूत भी चटवानी थी.

शाम को मैं रंजना के घर जा पहुंची. उस वक्त वो खाना बना रही थी. मैं भी रंजना के साथ मिलकर खाना बनवाने में उसकी मदद करने लगी.

राज ऊपर वाले कमरे में था.

खाना बनाने के बाद मैं उसको बुलाने के लिए ऊपर वाले रूम में गयी.

मुझे देखते ही वो उठ खड़ा हुआ और मुस्कराकर बोला- तुम कब आईं?
मैं बोली- काफी टाइम हो गया. खाना बनवा रही थी. चलो नीचे चलकर खाना खा लेते हैं.

उस दिन मैंने नीले रंग का सूट सलवार पहना हुआ था. उसमें मेरी गांड कुछ ज्यादा ही उभरी हुई दिख रही थी.
जब मैं पलट कर जाने लगी तो राज ने मेरी गांड पर हाथ मारकर कहा- बहुत सेक्सी लग रही हो.

मेरी एकदम से आह्ह निकल गयी और वो बोला- अभी तो कुछ किया भी नहीं मैंने जी.
मैं जान गयी कि आज ये मेरी चूत को चोद ही देगा.
जिस दिन का मैं इंतजार कर रही थी वो आ गया था शायद.

इससे पहले भी मैं अपने फुफेरे भाई से चुद चुकी थी.

उसके बाद हम सबने मिलकर खाना खाया. उसके बाद राज ऊपर चला गया और मैं तथा रंजना चाय पीकर नीचे ही सोने लगीं.

मैंने अपनी सहेली के चाय के कप में नींद की गोली मिला दी. जिससे वो जल्दी सो गयी.

रात के 10 बज गये.
मैं रंजना को वहीं सोते हुए छोड़कर उठी और ऊपर वाले रूम में जा पहुंची.

आपको बताना भूल गयी मैं … कि रंजना का कोई और भाई बहन नहीं है. उसके पापा पैट्रोल पंप और ट्रान्सपोर्ट का बिजनेस करते हैं.

जब मैं ऊपर गयी तो वो हिसाब किताब करने में व्यस्त था. वो सफेद कुर्ता-पजामा पहने हुए था.

मैंने पूछा- क्या कर रहे हो?
तो कहने लगा कि फूफा के बिजनेस के हिसाब का काम कर रहा हूं. उनको ज्यादा समय नहीं मिलता.

मैं उसके पास जाकर बैठ गयी.
थोड़ी देर बाद वो फ्री होकर बोला- हाँ जानेमन … आ गयी!
मैं मुस्कराते हुए बोली- जी मेरे आका!

उसने मेरा हाथ पकड़ा और अपनी ओर खींचकर होंठों को चूसने लगा.
उसके हाथों से छूटने के अथक प्रयासों के बाद भी मैं नहीं छूट पायी.
फिर मैं भी उसका साथ देने लगी.

उसके बाद राज ने मेरी गर्दन को किस करते हुए मेरे शर्ट की जिप खोल दी और पीठ पर किस करने लगा.

फिर उसने मेरा शर्ट उतार दिया.
मेरी गोरी गोरी चूचियों पर एक गुलाबी जालीदार ब्रा थी.

उसने मेरी ब्रा को एक ही झटके में उतार दिया.
फिर वो मेरी चूचियों को मसलने लगा.
मैं सिहर उठी. मेरी आह्ह … आह्ह … की सिसकारियां कमरे में गूंजने लगीं.

अब उसने मुझे सीधा लेटाया और होंठों पर किस करता हुआ नीचे बढ़ने लगा.
उसने मेरे बूब्स को पीना शुरू कर दिया.

मैं भी गर्म हो रही थी.
मेरे मुंह से बस सिसकारियां निकल रही थीं.
मेरी चूत भी पूरी गीली हो गयी थी.

10 मिनट तक बूब्स चूसने के बाद वो मेरे पेट को चाटते हुए नाभि को पीने लगा.
मेरी चूत को अब लण्ड की जरूरत थी और वो मेरे बदन से खेलता जा रहा था.

राज ने अब तक मेरी चूत को छुआ तक नहीं था.

फिर वो मेरी पजामी का नाड़ा खोलने लगा.
उसने पजामी नीचे की और मेरी गोरी गोरी जांघों पर हाथ फिराने लगा.
मैंने नीचे से गुलाबी जालीदार पैंटी पहनी हुई थी.

अब वो मेरे सामने अपने कपड़े खोलने लगा.
जैसे ही उसने कुर्ता उतारा तो मैं सहम सी गयी.

उसका शरीर एकदम पहलवानों के जैसा कसरती थी. जब उसने पजामा उतारा तो अंदर से लंगोट बांधा हुआ था.

लंगोट में भी उसका लंड पूरा कसा हुआ तना पड़ा था.

फिर उसने मुझे खड़ी कर लिया और मेरी गांड पर किस करते हुए उसको मसलने लगा.
उसके बाद उसने मेरी पैंटी को उतरवा दिया और मेरी चूत को नंगी कर लिया.

फिर उसने भी अपना लंगोट खोल लिया और उसका लंड देखकर मैं चौंक गयी. उसका लंड काफी लम्बा और मोटा था.
मैं जान गयी कि आज मेरी चूत का कोना कोना चुदने वाला है.

अब मुझे बहुत डर लग रहा था इसलिए मैंने उसका लण्ड मुंह में ले लिया ताकि उसको जल्दी ही खाली कर सकूं.

वो मजे से लंड चुसवाने लगा और फिर मेरे बालों को पकड़ कर मेरे मुंह में धक्के देने लगा.
उसका लंड मेरे गले तक जा रहा था.

फिर उसने लंड को निकाल लिया और मेरी चूत में उंगली करने लगा.
उंगली को फिर बीच में ही निकाल कर वो मेरी चूत को चाटने लगा.

मैं एकदम से मदहोश होने लगी.
वो लगातार मेरी चूत को चाटता ही जा रहा था.

फिर वो मेरी गांड पर थप्पड़ मारने लगा और मुझे घोड़ी बनने को कहा.
उसने अपने लण्ड को मेरी गांड पर सेट किया.

मैं उठ गयी और बोली- पहले चूत मार लो. बाद में कभी फिर गांड मार लेना.
वो बोला- ठीक है.

उसके बाद उसने मेरे एक पैर को सोफे पर रखवा लिया. फिर पीछे से मेरी चूत पर लंड को सेट कर दिया. दूसरे हाथ से उसने मेरी कमर पकड़ ली.
फिर धीरे से मेरी चूत में लंड का सुपारा घुसाने लगा.

मुझे ज्यादा दर्द नहीं हुआ क्योंकि मैं पहले भी कई बार चुद चुकी थी.

फिर उसने एक जोर का झटका दिया और मेरी चूत में आधा लंड उतार दिया.
अब मुझे दर्द हुआ और मैं चिल्लाने को हुई तो उसने मेरे मुंह पर हाथ रख लिया.

मैं उससे छूटना चाह रही थी लेकिन छूट नहीं पाई.
अभी उसका आधा लंड ही गया था.

फिर उसने एक और झटका मारा और पूरा लंड फंसा दिया.

अब मैं दर्द से तड़प गयी और वो मेरे ऊपर लेटकर मेरे बदन को चूमने लगा.

मुझे बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था. मैंने उसको लंड बाहर निकालने के लिए बोला.
पर उसने मेरी एक न सुनी और झटके लगाने शुरू कर दिये.

मैं दर्द में कराहने लगी और उसने चुदाई शुरू कर दी.

काफी देर तक वो मुझे ऐसे ही चोदता रहा और फिर धीरे धीरे करके मेरा दर्द कम हो गया.
उसके बाद उसने लंड को निकाल लिया.
मेरी चूत एकदम से जैसे फैल गयी थी.

फिर उसने मेरे दोनों पैरों को अपने कंधों पर रखकर लंड को मेरी चूत में डाल दिया.
वो दोबारा से मुझे चोदने लगा.
मेरी चूत चोदते हुए वो बोला- साली, बहुत खुजली हो रही थी. पहले दिन से ही मुझे शक था कि तू मेरा लंड लेना चाहती है. अब तो मैं तेरी गांड भी मारूंगा.

मैं भी चुदने का मजा ले रही थी और लगातार सिसकार रही थी- आह्ह राज … और चोदो … ओह्ह … बहुत अच्छा लग रहा है. मैं तुम्हारी रंडी हूं. मुझे रंडी बनाकर चोदो.

इस तरह से उसने अपनी स्पीड और ज्यादा बढ़ा दी.

दो मिनट के बाद ही मैं झड़ने को हो गयी.
फिर एकदम से मेरी चूत का पानी छूटने लगा. मेरी चूत ने बहुत सारा पानी छोड़ दिया.

राज अभी भी मुझे चोदे जा रहा था. उसने झटकों की गति बढ़ा दी.

फिर वो गांड चोदने की बात कहने लगा.
मैं बोली- पहले एक बार चूत का निपटा लो. उसके बाद गांड फिर कभी चोद लेना. अगर रंजना उठ गयी तो हम पकड़े जायेंगे.

फिर वो दोबारा से चोदने लगा और उसका माल निकलने को हो गया.
वो बोला- कहां निकालूँ?
मैं बोली- अंदर नहीं, मुंह में निकाल लो.

उसके बाद उसने लंड को मेरी चूत से बाहर निकाल लिया.
मैंने मुंह खोल लिया. फिर उसने मेरे मुंह में लंड डाल दिया और चुसवाने लगा.

दो मिनट के बाद उसने मेरे मुंह में अपना माल छोड़ दिया.

हम शांत हो गये और दो तीन मिनट वहीं लेटे रहे.
. फिर मैंने अपने कपड़े संभाले. मैंने कपड़े पहने और चुपके से नीचे आ गयी.

नीचे रंजना सो रही थी और मैं भी चुपचाप आकर लेट गयी.
बस उस रात राज ने इतना ही किया.

तो दोस्तो, मैं राज अपनी स्टोरी को यहीं तक लिख रहा हूं. अगले भाग में आपको पता लगेगा कि कैसे मैंने बहन की सहेली की गांड भी चोदी. फिलहाल इस कहानी में इतना ही.

हमारी गर्म चुदाई की कहानी में मजा आया होगा ना? तो अपने मैसेज के द्वारा जरूर बतायें.

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