Xxx भाभी सेक्स कहानी में पढ़ें कि अस्पताल में मेरी मुलाकात और दोस्ती कुल्लू की एक भाभी से हुई. एक बार वो किसी काम से हमारे घर रुकी. तो रात को क्या हुआ?
सभी पाठकों को मेरा नमस्कार.
मैं कुमार फिर से आपके लिए कुछ पेश करने जा रहे हूं.
मेरी पहली सेक्स कहानी
को पढ़ कर मुझे आपके बहुत सारे मेल मिले.
उस सेक्स कहानी का लिंक मैंने ऊपर शेयर कर दिया है.
यदि आपने न पढ़ी हो तो जरूर पढ़िएगा.
इस सेक्स कहानी को लेकर किसी ने पूछा कि पुष्पा कैसी दिखती है; तो किसी ने कहा कि आप हमारी भी किसी भाभी से सैटिंग करवा दो.
दोस्तो, मैं सभी को पहले ही कह चुका हूं कि मेरी और पुष्पा के बीच की कहानी मात्र हम दोनों का अपार प्रेम और विश्वास है जिसके सहारे हम एक दूसरे को समझ सकते हैं.
यह बात मैं आप सबके साथ साझा कर चुका हूं. इसलिए प्लीज ऐसी बात न कहें जो सम्भव ही न हो.
आज एक बार फिर से मैं आप सबके साथ अपनी अगली कहानी प्रस्तुत करने जा रहा हूं.
यह Xxx भाभी सेक्स कहानी तब की है जब मेरी माता जी अस्पताल में थीं.
वहां एक कुल्लू से प्रवासी भाभी से मेरी मुलाकात हुई थी.
उनसे काफी बातचीत होने लगी थी.
उनका नाम रेनू है.
भाभी दिखने में काफी दिलकश थीं, शरीर से गोल मटोल और भरी हुई थीं.
उनकी उम्र 35 साल की थी.
उनको देख कर कोई नहीं कह सकता था कि उनके 3 बच्चे हैं.
मैं उसके साइज की बात करूं तो कमर 34 इंच की मम्मे 38 के और गांड 40 की थी.
वो बहुत ही सुंदर पर थोड़े छोटे कद की थीं.
हिमाचल के ऊपरी इलाकों के लोगों का खाना पीना और रहने का ढंग बहुत ही पौराणिक शैली का है.
वहां का खान पान अच्छा है और शुद्ध हवा भी मस्त है जिस वजह से वहां के लोग अधिक उम्र के भी होने के बावजूद युवा ही नजर आते हैं.
जब हम लोग अस्पताल से घर आ गए तो एक सप्ताह के बाद भाभी का मुझे कॉल आया.
मैं रेनू भाभी का का कॉल देख कर बहुत हैरान था.
अस्पताल में वो मुझसे किसी ना किसी बात पर मुझसे बात करती रहती थीं … मुझे मेरी मां के स्वास्थ्य का हाल चाल जानती रहती थीं.
भाभी से हुई बातचीत में मुझे जानकारी हो गई थी कि उनके पति के साथ उनका तलाक हो चुका था.
फिर भी उस समय भाभी अपने पति के साथ अस्पताल में रह कर उनकी तीमारदारी कर रही थीं.
खैर … भाभी का ऐसे फोन आना मुझे जरा अजीब सा लगा.
पता नहीं क्या काम होगा उनको कि उन्होंने मुझे कॉल कर दिया.
उनसे बात करने पर पता चला कि वो नजदीक के कहीं शहर के पास किसी वैद्य के पास अपनी बीमारी के चलते मिलने आना चाहती हैं.
परंतु उन वैद्य जी का दवाखाना शाम को ही खुलता था और उनका उधर से वापिस जाने के लिए कोई बस नहीं है.
इसलिए वो एक रात को हमारे कस्बे के किसी होटल या धर्मशाला में रुकना चाहती थीं और इसी के लिए उन्होंने मुझे फ़ोन किया था.
मैंने उन्हें कुछ देर में बताने का कहा.
फोन रखने के बाद मैंने मम्मी को बताया तो उन्होंने रेनू भाभी को फोन लगा कर घर में रुकने के लिए बुला लिया.
दूसरे दिन भाभी बस स्टैंड आने वाली थीं.
मैं भी उन्हें लेने के लिए खुशी खुशी बस स्टैंड चल दिया.
वो बस से उतरीं और मुझे देख कर मुस्कुरा दीं.
हम दोनों बात करते हुए वैद्य जी के घर चल पड़े.
वहां जाकर देखा तो वहां लोगों की बहुत भीड़ लगी हुई थी.
अब समझ में नहीं आ रहा था कि हमारा नंबर कब आएगा.
सभी लोग लाइन में लगे पता नहीं कब से अपनी बारी आने का इंतजार कर रहे थे.
तभी एकाएक रेनू भाभी खड़ी हो गईं और मेरे पास आ गईं.
वो मुझे दवाखाने के पिछली तरफ ले गईं और कहने लगीं.
रेनू भाभी- मुझे कुछ पीठ पर काट रहा है, मेरा कुर्ता उठा कर देखना जरा.
मैं उनकी बात सुनकर एक पल को तो सहम गया कि मैं ये कैसे कर सकता हूँ.
मैंने भाभी से कहा- आप खुद ही उठा लो भाभी.
मगर वह नहीं मानी और कहने लगीं- जल्दी से उठाओ, मुझे कुछ तेज काट रहा है.
मुझे कुर्ता उठाना पड़ा.
मैंने देखा तो सच में उनको पीठ पर किसी कीड़े ने थोड़ा सा काटा था. लाल निशान पड़ गया था.
तभी मेरा ध्यान भाभी की क्रीम कलर की ब्रा पर गया.
वो आगे से कुछ कह रही थीं. मगर मेरा ध्यान उनकी बातों से ज्यादा उनकी ब्रा पर लगा हुआ था.
पीछे खड़ा होकर मेरे पैंट में तंबू बन गया था. लंड ने अपनी औकात दिखानी शुरू कर दी थी.
मेरा दिल तो कर रहा था कि वहीं भाभी को घोड़ी बनाकर उनकी गांड पर चढ़ जाऊं.
मगर कुछ न हो सका.
भाभी ने मेरे हाथ से उस लाल निशान पर ज़रा हाथ फिरवाया और हम दोनों वापस वैद्य जी के सामने आ गए.
आधे घंटे तक इंतजार करने के बाद भाभीका नम्बर आया और उन्होंने दवाई ले ली.
फिर हम दोनों घर की तरफ चल पड़े.
घर पहुंचने तक शाम के 7:00 बज चुके थे.
रास्ते में मैं भाभी को पीछे से पूरा निहारता हुआ चल रहा था.
भाभी की गांड बहुत मटक रही थी और वो बात बात पर मुझसे मजाक करती जा रही थीं.
अंधेरा होने ही वाला था कि हम घर पहुंच गए.
रात को मां ने खाना बनाया, हम सबने खाना खाया और इधर उधर की बातें करते हुए सभी सोने चले गए.
रेनू भाभी मेरे बेड के पास ही सोई थीं.
मैं उनको मोबाइल मैं कुछ दिखाने के बहाने उनके बिस्तर में घुस गया.
जैसे ही भाभी ने मुँह आगे किया, मैंने उनका मुँह चूम लिया.
उन्होंने मुझे मना ही नहीं किया.
इससे मेरी हिम्मत एकदम से बढ़ गई और मैंने भाभी की सलवार में हाथ डाल दिया.
वो अन्दर पानी पानी हो चुकी थीं.
भाभी की छोटी सी चूत थी. मैं उसमें उंगली करने लगा.
वो जोर जोर से सिसकारी लेने लगीं.
मैंने भाभी के मुँह पर हाथ रखा- शोर मत करो भाभी.
उन्होंने मुँह पर काबू किया.
मेरी उंगली लगातार उनकी चूत में चल रही थी, जिससे भाभी की चूत का पानी निकल गया.
मैं नीचे को सरक कर उनकी चूत को सूंघने लगा.
चूत में से बहुत ही मदहोश करने वाली खुशबू आ रही थी.
भाभी मेरे सर को चूत पर दबाने लगीं और आवाज करने लगीं.
मैंने होश संभालते हुए उनको समझाया कि अपने कमरे के दूसरी तरफ और भी लोग सोए हैं तो आवाज बिल्कुल मत करना.
वो मेरा कहा मान गईं.
अब मैंने उनके दूध पकड़ कर मसलने शुरू कर दिए.
वो मदहोश हो गईं और उनकी आंखों में चुदास की अलग ही चमक झलकने लगी थी.
उस समय भाभी बस मुझको अपने में समा लेना चाहती थीं.
मैंने उनसे कहा- मेरे ऊपर आ जाओ.
वो बिना समय गंवाए मेरे लंड के ऊपर आ गईं, उन्होंने अपने दोनों कबूतरों को आजाद कर दिया.
मैं भाभी के मम्मों को पकड़ कर दबाने और चूसने लगा; उनके बड़े बड़े निप्पल मुँह में लेकर चूसने लगा.
उन्होंने आंखें बंद कर लीं और दबी जुबान से जोर जोर से सिसकारियां भरने लगीं- सी सी इस्स आह … उन्ह … चूस लो.
इस तरह से भाभी मेरा साथ देने लगीं.
मैं उनको बहुत तड़पाना चाहता था.
उनके दोनों निप्पलों को मैंने बारी बारी से 20 मिनट तक चूसा.
रेनू भाभी भी मस्ती से अपने हाथ से अपना दूध पकड़ कर मुझे पिला कर मजा ले रही थीं.
फिर उन्होंने मेरे चिड़े को अपनी चिड़िया में डालने के लिए कहा.
मैंने कहा- अब नीचे आ जाओ.
मगर वो बोलीं- नहीं, पहले ऊपर से ही लूंगी.
मैंने कहा- ठीक है.
वो मेरे ऊपर से जरा उठीं और धीरे धीरे मेरे लौड़े पर बैठने लगीं.
उनकी बहुत दिनों से चुदाई नहीं हुई थी, जिस वजह से भाभी को लंड चूत में लेने पर दर्द होने लगा था.
रेनू भाभी दर्द से कहराने लगीं.
थोड़ा रुकने के बाद धीरे-धीरे वो मेरे चिड़े पर उछलने लगीं और उनकी बलखाती चूचियां मेरे सामने उछलने लगीं.
Xxx भाभी सेक्स में मुझे तो ऐसा लग रहा था जैसे मैं जन्नत में किसी झूले पर झूल रहा हूँ.
दस मिनट तक भाभी मेरे लंड के ऊपर ही उछलती रहीं और जब थक गईं तो मेरी छाती पर लेट कर हांफने लगीं.
वो एक बार झड़ चुकी थीं.
मैं उनकी चूचियों से खेलने लगा.
मैंने उन्हें सहारा देकर उठाया और उनकी चूचियों को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा. मैंने दांतों से खींच खींच कर उनकी दोनों चूचियों को बहुत काटा.
वो फिर से गर्म हो गई थीं.
रेनू भाभी कहने लगीं- अब तुम मेरे ऊपर आ जाओ और मुझे चोदो. मैं कब से तुमसे चुदाना चाहती थी. पर तुम ही मुझे नहीं देखते थे.
मैं- अब तो देख लिया ना … अब तुम्हारी चिड़िया का काम तमाम कर देता हूं.
रेनू भाभी हंस कर नीचे आ गईं.
उनकी दोनों टांगें उठा कर मैंने चूत का पानी साफ किया और फिर से उनके ऊपर चढ़ाई करने के लिए तैयार हो गया.
मैं उनकी चूची को काटता हुआ उनके ऊपर चढ़ गया.
मेरा चिड़ा उनकी चिड़िया में चला गया.
मैं धक्के देने लगा और वो मेरा साथ देने लगीं.
मैं रुक रुक कर धक्के दे रहा था और भाभी मजा लेने लगी थीं, उनकी मादक सिसकारियां बढ़ने लगीं.
ऐसे ही 15 मिनट तक मैं उनकी चूत में लंड पेलता रहा.
अब मेरे धक्के तेज होने लगे, मैं उनको बड़ी बेरहमी से चोदने लगा.
हम दोनों ही काफी थक चुके थे.
उनका शरीर भी अकड़ने लगा था, उन्होंने नीचे से चूत उठाने की रफ्तार बढ़ा दी.
इधर मेरा चिड़ा भी अकड़ने लगा.
मैंने भाभी की तरफ देखा तो उन्होंने लंड को बाहर निकालने का इशारा किया.
मैंने झट से चूत से लंड को बाहर निकाला.
मेरे लंड ने बाहर निकलते ही रेनू भाभी की चूत पर उल्टी कर दी.
हम दोनों एक साथ शांत हो गए.
फिर एक दूसरे से अलग होकर हम दोनों अपने अपने बिस्तर में आकर सो गए.
रात के 2 बजे मेरी नींद खुली तो देखा कि रेनू भाभी बेसुध सोई हुई थीं.
मेरी वासना जागने लगी थी.
मैं धीरे से उनके बिस्तर में घुस गया और उनको चूमने लगा.
वो भी जाग गई और मेरा साथ देने लगीं.
जल्द ही भाभी गर्म होने लगीं. उनकी टांगें उठा कर मैं उनको पेलने लगा.
पर वो उस वक्त नींद की मारी थीं. इसलिए टांगें नहीं उठा रही थीं.
मैंने जबरदस्ती भाभी को घोड़ी बना दिया, पर वो उठी रहने की जगह मुँह के बल लेट गईं.
मैं उनकी चूचियां दबाता हुआ उनकी पीठ पर किस करने लगा.
वो गर्म सिसकारियां लेने लगीं- आह आह उई मां!
मैंने भाभी की चूत में उंगली डाल कर देखा तो उनकी चूत पानी से गीली हो चुकी थी.
मैं भी समय गंवाए बिना ही भाभी के ऊपर लेट गया और अपना लौड़ा उनकी चूत में डाल कर धीरे धीरे आगे पीछे करने लगा.
फिर स्पीड बढ़ा कर मैं भाभी को और जोर जोर से पेलने लगा.
मैंने भाभी को 20 मिनट तक अच्छे से पेला.
इस बार मैंने अपना जैम उनकी चूत के अन्दर ही डाल दिया.
रेनू भाभी मुझे गुस्से से देखने लगीं.
भाभी कहने लगीं- मुझे अब नींद नहीं आ रही है और कमर में बहुत दर्द है. तुमने जब मुझे टांग उठाकर चोदा था तो मेरी कमर में झटकों से बहुत दर्द हो रहा है. मैं करवट भी नहीं बदल पा रही हूं. दर्द के मारे मेरा बहुत बुरा हाल है.
मैंने भाभी को पेनकिलर खाने को दी फिर उन्हें सुला दिया.
वो सुबह जब उठीं और धीरे धीरे ही चल पा रही थीं.
रेनू भाभी दो दिन तक हमारे घर पर रहीं और उन दोनों दिनों में मुझे जब भी मौका मिलता, मैं उनकी चूचियों को दबा देता, उनके गालों पर चूमने लगता.
मैं उनको गर्म कर देता था.
उन दो दिनों में मैंने उनके साथ 6 बार चुदाई की.
वो फिर अपने घर वापस चली गईं.
हमारी फोन पर भी बातें होतीं, तो मैं उनको गर्म कर देता था.
हम दोनों घंटों एक दूसरे से बात करते रहते.
वो फिर से मेरा प्यार पाने को तड़पने लगतीं.
एक दिन उनका फोन आया- मैं कुल्लू जा रही हूँ. जाने से पहले एक बार तुमसे मिलना चाहती हूँ. फिर मैं कब वापस आऊंगी, पता नहीं.
मैंने हामी भर दी.
उन्होंने मुझे अपने घर बुलाया.
तो मैं भाभी के सहारा में उनके घर आ गया.
उन्होंने मुझे खाना बना कर अपने हाथों से खिलाया.
हम दोनों इधर उधर की बातें भी करते रहे और खाना भी खाते रहे.
फिर रात को मैं उनके पास लेट गया और उनको चूमने लगा.
उन्होंने मुझे वासना से देखा और मुस्कुराने लगीं, मुझे बांहों में भर लिया और मुझे चूमने लगीं.
मैं भाभी के कपड़े उतारने लगा.
जल्दी ही उनके कपड़े उतर चुके थे.
अब वो सिर्फ रेड कलर की ब्रा पैंटी में थीं.
भाभी की ब्रा पैंटी उतार कर मैंने उनको पूरी नंगी कर दिया.
क्या माल लग रही थीं भाभी … उनको कच्चा खाने का दिल हो रहा था मेरा.
मैं उनके मम्मे को पकड़ कर जोर जोर से दबा कर काटने लगा, उनके चूचुकों पर जीभ घुमाने लगा.
वो मादक सिसकारियां भरने लगीं- आह आह उह उई मां … उई मां … ऐसे ही करो … मुझे बहुत मजा आ रहा है.
भाभी की चूत पानी पानी होने लगी थी.
वो मेरे लंड को दबाने लगी थीं.
मैं उनकी दोनों चूचियां काटने लगा और चूसने लगा.
उनको दर्द भी हो रहा था पर वो मदहोश होने लगी थीं.
मैं भी कहां मानने वाला था … मैंने उसको खूब चूसा और चूत से खेलने लगा.
उनकी काम वासना को देखते हुए मैंने देर करना ठीक नहीं समझा.
मैंने चुसाई की पोजीशन बनाई और झटके से अपना लौड़ा उनके मुँह में डाल दिया.
वो भूखी रांड की तरह बड़े प्यार से गों गों करती हुई पूरा लौड़ा खा रही थीं.
मैं भी बहुत मजा लेते हुए भाभी का मुँह चोद रहा था.
अब वो गर्म हो चुकी थीं और बार चोदने का कह रही थीं.
मैं भी उनको चोदना चाहता था.
मैंने भाभी को लिटा कर सीधा किया. टांगें ऊपर उठा कर उनकी चूत में लौड़ा पेल दिया.
वो आह आह करती हुई चुदाई का मजा लेने लगीं.
चुदाई खत्म होने तक वो मुझे कसके पकड़े रही थीं.
उनकी चूत बहुत पानी छोड़ रही थी.
मेरा लौड़ा भाभी की बच्चेदानी तक अन्दर जा रहा था.
पन्द्रह मिनट तक भाभी को मिशनरी पोज में पेलने के बाद मैंने उसको घोड़ी बनने को बोला.
वो जल्दी उठकर घोड़ी बन गईं.
उनकी चूत को हाथ से मसलने के बाद मैंने पीछे से चूत में लंड पेला और भाभी को चोदने लगा.
उनकी चूत लाल हो चुकी थी.
वो कहने लगीं- अब मैं आ रही हूँ … जल्दी जल्दी करो.
मेरा भी रस निकलने वाला था, तो मैंने उनसे पूछा- कहां निकालूँ?
उन्होंने मुझसे कहा कि मेरी चूचियों पर डाल दो. मुझे नहला दो.
मैंने लौड़ा बाहर निकाल कर उसकी मुठ मारी और अपने लंड का सारा का सारा माल भाभी की चूचियों पर डाल दिया.
उस रात मैंने तीन बार Xxx भाभी सेक्स का मजा लिया.
सुबह मैं जल्दी उठ कर अपने शहर लौट आया.
फिर रेनू भाभी से मेरी मुलाकात कभी नहीं हो पाई.
मेरी और कुल्लू वाली रेनू भाभी की कहानी एकदम सच्ची है.
मुझे उम्मीद है, आप सभी को पसंद आई होगी.
Xxx भाभी सेक्स कहानी पर आप अपने सुझाव मुझे मेल के साथ या हैंगआउट के जरिए मुझे भेज सकते हैं.
आपके मेल का इंतजार रहेगा.