सबसे छोटी मामी जी को बीहड़ में पेला- 2

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मामी की चुदाई स्टोरी मेरी सबसे छोटी मामी के साथ सेक्स की है. मैं सबसे छोटी मामी की चूत मारना चाहता था. इसके लिए मैंने बड़ी मामी की मदद ली.

मामी की चुदाई स्टोरी के पहले भाग

में आपने पढ़ा कि मैं सबसे छोटी मामी की चूत मारना चाहता था. इसके लिए मैंने बड़ी मामी की मदद ली.

छोटी मामी के साथ मैं जंगल में जा रहा था बेर लाने. बड़ी मामी ने ही उनको मेरे साथ जाने को कहा था.

अब आगे मामी की चुदाई स्टोरी:

मामी जी ने नीले रंग की साड़ी पहनी हुई थी जिसमें वो बहुत ज्यादा कामुक लग रही थी।

हम खेतों के रास्ते से होकर बीहड़ की ओर जा रहे थे। मामी जी मेरे आगे आगे चल रही थी और मैं मामी जी के थोड़ा पीछे पीछे चल रहा था।

जब मामी जी चल रही थी तो उनकी गांड बहुत ज्यादा मटक रही थी। मामी जी की गांड को देख देखकर मेरा लन्ड बेकाबू हो रहा था। मैं मेरे लंड को मसल मसलकर चल रहा था। दिल तो कर रहा था कि यही रास्ते में ही मामी जी की चूत में लंड पेल दूं.
लेकिन मैं मेरे लन्ड को दिलासा दे रहा था कि थोड़ी देर रुक जा, फिर तुझे मामी जी की चूत से ज़रूर मिलवाऊंगा।

इस तरह मामी जी की चूत के ख्यालों में खोता हुआ और मामी जी गांड को मटकाती हुई हम दोनों बीहड़ में पहुंच गए।

बीहड़ में बेर की बहुत सारी झाड़ियां थी जो बेरों से लदी हुई थी। बीहड़ में कुछ खाइयां और बहुत सारे पेड़ों के झुरमुट भी थे।
अब हम दोनों बेर तोड़ तोड़कर खाने लगे।

मामी जी मेरे साथ बातें करती हुई बेर तोड़ रही थी.
लेकिन मेरा ध्यान तो ये सोचने में लगा हुआ था कि अब मैं मामी जी को कैसे पेलूं?

मामी जी बीच बीच में बेर तोड़कर मुझे भी खिला रही थी और कह रही थी- ये खा कर देख, ये बेर बहुत ज्यादा मीठा है।

जब मामी जी बेर तोड़ती तो मैं उनकी मस्त दमदार गांड को घूर रहा था। मामी जी की मस्त गांड को देख देखकर मेरा लन्ड फनफना रहा था।

अब तो बहुत तीव्र इच्छा से मेरा लन्ड मामी जी की चूत मांगने लगा।

लेकिन उर्मिला मामी जी इतनी आसानी से चूत कैसे दे देगी? मुझे इस बात की बड़ी चिंता हो रही थी।
आखिरकार चूत मामी जी की सबसे ज्यादा अनमोल चीज है और वो इस अनमोल चीज को इतनी आसानी से तो नहीं देगी।
यह सोचकर सोचकर मेरी धड़कनें बढ़ रही थी।

तभी मामी जी जैसे ही बेर तोड़कर पीछे की ओर सरकी तो उनका पैर खड्डे में पड़ गया और मामी जी नीचे गिरने लगी. मामी जी के हाथ में से सारे के सारे बेर नीचे बिखर गए।

ठीक उसी समय मैंने तुरंत अपनी मामी जी को हाथों में थाम लिया।

जैसे ही मैंने मामी जी को पीछे से पकड़ा तो मेरा एक हाथ अनायास ही मामी जी के बोबे पर पहुंच गया।

तब मैंने सोचा यही सही मौका है; मसल देता हूं मामी जी के रसीले बोबों को।
मैंने हिम्मत करके मामी जी के बोबों को मसल दिया।

आह … क्या मस्त मुलायम बोबे थे मामी जी के! मुझे तो मज़ा आ गया।
मेरे तो तन बदन में आग लग गई और मेरा लन्ड अब तो मामी जी को पेलने के लिए फड़फड़ाने लगा।

स्तनों को मसलते ही मामी जी गुस्से से लाल पीली हो गई और अपने आप को मेरी बांहों में से छुड़ाकर खड़ी हो गई।

मामी जी मुझे डांटने लगी- तुझे शर्म आनी चाहिए। मैं तेरी मामी हूं और तू मेरे साथ ऐसा कर रहा है। तुझे तो बड़े छोटे और रिश्तों की ज़रा भी लिहाज नहीं है? बहुत बदतमीज हो गया है तू तो!
मैं- मामी जी, वो गलती से हो गया। मैं क्या करूं … आपको देखकर मैं बेकाबू हो गया।

मामी जी- तूने मुझ में ऐसा क्या देखा कि तू बेकाबू हो गया? सम्हाल अपने आप को!
मैं- मामी जी, मुझे आप बहुत अच्छी लगती हो। आप ऊपर से लेकर नीचे तक एकदम मस्त माल हो।

मामी जी- पागल हो गया है तू तो। मैं कोई 18 साल की लड़की नहीं हूं जो तुझे मैं इतनी अच्छी लगती हूं। अगर इतना ही बेकाबू हो रहा है तो कोई लड़की ढूंढ ले। उसके साथ जो जी में आये कर … यहाँ रिश्ते क्यों खराब कर रहा है?
मैं- मामी जी मैं क्या करू? मुझे तो आप ही सबसे अच्छी लगती हो। मामी जी प्लीज एक बार आपकी चूत दे दो ना!

यह सुनकर मामी जी और भी ज्यादा गुस्से से लाल पीली हो गई- अपने मुंह को बंद रख। शर्म नहीं आती तुझे मुझे ऐसा कहते हुए। अभी बच्चा है तू! ये सब करने की तेरी उम्र नहीं है।
मैं- मामी जी एक बार आप मौका तो देकर देखिए फिर आपको पता चल जाएगा कि मैं अभी बच्चा हूं या मर्द?

मामी जी- चुप रह चुप। अब आगे ज्यादा कुछ कहा तो तेरी शिकायत तेरे मामा जी कर दूंगी। चल अब चुपचाप बेर खा ले।

ये सुनकर मैं समझ गया कि मामी जी चूत देने के लिए तो तैयार है लेकिन अभी नखरे दिखा रही है। थोड़ी सी मेहनत और करनी पड़ेगी फिर तो पक्का मामी जी मेरे लन्ड के आगे टांगे चौड़ी कर देगी।

अब हम दोनों नीचे बैठकर गिरे हुए बेर बीनने लगे।

उस समय मामी जी मुझसे नजर नहीं मिला पा रही थी। शायद जो नहीं होना चाहिए था वो हो गया था।

अब हम वहां से आगे बढ़े।
हम बेर तोड़ते हुए आगे बढ़ रहे थे लेकिन अब मामी जी ज्यादा बात नहीं कर रही थी।

तभी मैंने मामी जी से कहा- मामी जी आप बुरा मत मानना। वो तो गलती से मेरा हाथ आपके बोबे पर लग गया था.
तो मामी जी ने कहा- चुप कर तू … मैं सब जानती हूं, तूने जानबूझकर ऐसा किया था।

मैं- नहीं मामी जी, वो गलती से हो गया था। प्लीज आप मामाजी को मत बताना।
मामी जी- तू चिंता मत कर। मैं किसी को नहीं बताऊंगी। लेकिन अपने आप पर काबू रख। ऐसी हरकतें करना तुझे शोभा नहीं देता.
मैं- ठीक है मामी जी। मैं मेरे ऊपर पूरा काबू रखूंगा।

अब मैं मेरे लन्ड को मसलता हुआ बेर खाए जा रहा था।
मैंने सोच लिया था कि मामी जी को आज ही पेलना है; बार बार ऐसा मौका नहीं मिलेगा। जो होना है वो हो गया; मामी जी जान चुकी है कि मैं उनकी चूत लेना चाहता हूं।

मैं बीहड़ में मामी जी को पेलने के लिए सही जगह तलाश करने लगा।

हम आगे बढ़ते जा रहे थे। वहां का सुनसान नजारा देखकर मुझे लगा कि अब मैं यहां मामी जी की चूत में लंड पेल सकता हूं लेकिन तभी गांव की कुछ औरतें और बच्चे बेर खाते हुए नजर आ गए। वो बेर खाकर वापस घर लौट रहे थे।

मामी जी कहने लगी- मैं रोहित को बेर खिलाने लाई हूं। अब ये भी कुछ दिन बाद घर जायेगा ना!

मैंने मन ही मन में सोचा कि मैं बेर नहीं आपकी चूत में लन्ड पेलने आया हूं।

तब मैंने मामी जी से कहा- मामी जी आगे चलते है ना! यहां बेर मीठे नहीं लग रहे है।
मामी जी- अरे ये मीठे ही तो है।
मैं- नहीं है, आपने कहा था कि पूरी बीहड़ में घुमाओगी। चलो मामी जी, आगे चलते हैं।
मामी जी- अच्छा ठीक है। चल।

अब हम बीहड़ में आगे की ओर जा रहे थे। थोड़ी देर में हम बीहड़ में बहुत आगे तक निकल गए।

वहां झाड़ियों पर बहुत सारे बेर लदे हुए थे। मामी जी मेरे आगे खड़े होकर बेर तोड़ रही थी।
मामी जी की मस्त गांड को देखकर मेरी जान हलक में आ रही थी। मामी जी की मस्त गांड के चक्कर में मेरा मुंह सूख रहा था।

तब मैं हिम्मत करके मामी जी के पीछे खड़ा हो गया और मामी जी की गांड में लंड सटाकर बेर तोड़ने लगा।

तभी मामी जी कहने लगी- रोहित तू क्या कर रहा है? मेरे पीछे मत खड़ा हो।
लेकिन मैं नहीं माना और लंड को और ज्यादा सख़्त तरीके से मामी जी की गांड में सेट कर दिया।

मामी जी आगे सरकने लगी।
तब मैंने हिम्मत करके मामी जी को बांहों में दबोच लिया और ज़ोर से मामी जी के उरोजों को मसल दिया।

मामी जी अपने आप को मुझ से छुड़ाने लगी। लेकिन मैं मेरी ऐसी मस्त मामी जी को कैसे छोड़ सकता था। आखिरकार मुझे तो मामी जी की चूत चाहिए थी।
मुझे मामी जी की गांड में लंड रगड़ने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।
अब तक मेरा लंड कठोर औजार बन चुका था।

मामी जी- तू क्यों मेरे पीछे पड़ा हुआ है? आखिर तू चाहता क्या है?
मैं- बस मामी जी, एक बार मुझे आपकी चूत दे दो। मैं बस यही चाहता हूं।

मामी जी- तू तो पूरा पागल हो गया है। मैं तेरी मामी जी हूं और अपने बीच में ऐसा कभी नहीं हो सकता है।
मैं- हो सकता है मामी जी। आजकल तो भाई भी बहिन को चोद देता है तो मैं आपको क्यों नहीं चोद सकता। प्लीज मामी जी, दे दो एक बार। मेरा बहुत ज्यादा मन कर रहा है।
मामी जी- नहीं, बिल्कुल नहीं। तू मुझे छोड़। मैं प्यार से कह रही हूं।

मैं- मामी जी मैं भी प्यार से ही कह रहा हूं। एक बार आपकी चूत दे दो बस।
मामी जी- अरे यार, पहले तू मुझे छोड़!
मैं- लो, मामी जी मैंने आपको छोड़ दिया।

तब मामी जी मुझे समझाने लगी- देख हम दोनों का रिश्ता एक पवित्र रिश्ता है और तू इस रिश्ते को गन्दा मत कर। और अभी तेरी पढ़ने लिखने की उम्र है। इन बातो में ज्यादा ध्यान मत दे। थोड़ा सा खुद पर कंट्रोल रख।
ये सुनकर मैं थोड़ी देर के लिए चुप हो गया और अब हम बेर खाने के लिए आगे बढ़ गए।

ये बात मैं अच्छी तरह से जानता था कि मामी जी की चूत में आग लग चुकी है। बस ये केवल नखरे कर दिखा रही है।
तब मैंने सोचा यहां मामाजी को चोदने का सबसे अच्छा मौका है और अब मैं यह मौका हाथ से नहीं जाने दूंगा।

अब मैंने मामी जी को चोदने का प्लान बनाया। मैंने मन ही मन में सोचा की मामी जी को चोदने से पहले मामी जी को लंड दिखा दूँ जिससे मामी खुद चुदने के लिए तैयार हो जाए।

मामी मेरे आगे आगे चल रही थी। उनकी गांड बहुत ज्यादा मटक रही थी। मेरा लन्ड मामी जी की गांड को देख देख कर बहुत टाइट हो रहा था.

तभी मेरे दिमाग में एक खुरापाती आईडिया आया और मैं लंड को पकड़ कर चिल्लाने लगा.

तो मामी जी मुड़कर मेरे पास आई और मामी जी ने पूछा- अरे रोहित, क्या हो गया?
मैंने कहा- मामी जी मेरे पजामे के अंदर कोई कीड़ा घुस गया है और वो कीड़ा मुझे काट रहा है।
यह कहकर मैं ज़ोर जोर से लंड को मसलने लग गया।

मामी जी- अरे कीड़ा कब घुसा गया?
मैं- आह आह, अभी घुसा है। बहुत ज़लन हो रही है … आह आह!

मामी जी- अरे तो कीड़े को बाहर निकाल दे ना!
मैं- कीड़ा अंदर ही चिपक गया है मामी जी। बाहर नहीं निकल रहा है।

मामी जी- तो पजामे को खोल दे।
मैं तो यही चाहता था कि मामी जी पजामे को खोलने के लिए कहे। मैं तो कब से तैयार था।

मामी जी के कहते ही मैंने तुरंत मेरा पजामा खोल दिया।
आज मैंने जानबूझकर अंडरवीयर नहीं पहनी थी। जैसे ही मैंने पजामा खोला तो मेरा खतरनाक हथियार फुफकार मारता हुआ बाहर निकल आया।

मामी जी बिल्कुल मेरे सामने खड़ी थी। मेरे लन्ड को देखते ही मामी जी के चेहरे की हवाइयां उड़ गई।
उनका चेहरा पसीने से लथपथ हो गया और मुंह सुख गया। मामी जी एकदम से स्तब्ध हो गई।

मामी जी की निगाहें मेरे लन्ड पर टिक गई। शायद मामाजी का लन्ड इतना बड़ा नहीं होगा या फिर मामी जी ने पहली बार इतना मस्त लंड देखा होगा।
अब मामी जी कैसे चुदेगी? ये कहानी के आगे भाग में देखिए।

आपको मेरी मामी की चुदाई स्टोरी आपको कैसी लगी मेरी मेल करके जरूर बताएं.

मामी की चुदाई स्टोरी का अगला भाग:

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