मैं अपने बचपन के दोस्त से चुद गयी

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ओल्ड लवर सेक्स कहानी में पढ़ें कि शादी के दस साल बाद मुझे सेक्स में मजा नहीं आ रहा था. मेरे पति ने मुझे मेरी शादी से पहले के मेरे पड़ोसी लड़के का नाम लेकर गर्म करना शुरू किया.

नमस्ते दोस्तो,
मैं सुमीना एक बार फिर हाज़िर हूँ अपनी नई कहानी लेकर!
इस ओल्ड लवर सेक्स कहानी में मैंने बताया है कि कैसे मेरे बचपन के दोस्त हसित ने मेरी चुदाई की।

मैं आपको बता दूं कि हसित बचपन से ही मुझे प्यार करता था और मेरी एक झलक पाने के लिए कुछ भी करने को तैयार रहता था।

हसित देखने में एक सुंदर लड़का था और मैं भी मन ही मन उसे चाहती थी.
पर अपने पापा के डर से में कभी उससे अपने मन की बात नहीं कर पाई।

फिर मेरी शादी अमीष से हो गई और मैं अपने ससुराल आ गई।
मेरे पति मुझे बहुत प्यार करते थे और मैं अपने घर परिवार में व्यस्त हो गई और मेरे दो बच्चे भी हो गए।

एक दिन न जाने कैसे मेरे पति अमीष को मेरे और हसित के बारे में पता चल गया।
मैं डर गई कि अब क्या होगा पर अमीष ने कुछ नहीं कहा।

पर अब वे कभी कभी मुझे हसित का नाम लेकर चिढ़ाने लगे।

मेरी शादी के 10 साल बाद मेरी सेक्स लाइफ अच्छी नहीं चल रही थी; मेरा मन चुदाई में बिलकुल नहीं लगता था।

एक रात अमीष ने मुझे कहा- जब मैं तुम्हें चोदूँ तो तुम यह समझो कि तुम्हें हसित चोद रहा है।
यह सुन कर मैं सन्न रह गई कि कहीं अमीष मेरी परीक्षा तो नहीं ले रहे हैं।

तो मैं अमीष पर भड़क गई.
पर अमीष ने मुझे समझा कर शांत कर दिया और कहा- इससे हमारी सेक्स लाइफ सही हो जाएगी।

दोस्तो, अब जब भी अमीष मुझे चोदते तो मैं अपने मन में सोचती कि मैं हसित से चुदवा रही हूं और मैं मज़े में जल्दी झड़ जाती।
हम दोनों को खूब मजा आने लगा।

बल्कि अमीष कहने लगे क अगर मैं चाहूँ तो सच में हसित से चुदवा सकती हूँ।
यह सुनते ही मेरा मन मचल उठा और उस दिन मैंनेजम कर चुदाई करवाई।

अमीष को भी बहुत मज़ा आया और वे बार बार मुझे हसित से चुदने को उकसाने लगे।

दोस्तो, यह सुन सुन कर मेरा मन भी मचलने लगा कि काश एक बार ही सही … मैं हसित से चुदूँ।

अब मैं फोन पर हसित से बातें करने लगी।
धीरे धीरे हम एक दूसरे से खुलने लगे और एक दूसरे की सेक्स लाइफ के बारे में बात करने लगे।

वह मुझसे अकेले में मिलने को कहने लगा।
मैं मना कर देती थी पर मन से तो मैं भी उससे चुदना चाहती थी।
कुल मिलाकर हम दोनों मिलने के लिए तड़प रहे थे।

उसने फोन पर अपने लन्ड की फोटो भी भेजी थी।
उसका लन्ड 7 इंच लम्बा और 2 इंच मोटा था जिसके सुपारे के छेद पर उसका लन्डरस चमक रहा था।

पर मैंने हम दोनों के मिलन को भगवान के भरोसे छोड़ दिया था।

और भगवान ने हमारी सुन ली।
नवम्बर में मेरे भाई की शादी पड़ गई जिसमें हम सबको जाना था.

पर किसी कारण अमीष नहीं जा पाए।
हसित ने सुना तो छुट्टी लेकर वह भी गांव आ गया।

हम सब शादी में बिजी थे हसित चोरी चोरी मुझे ही देखे जा रहा था और मैं भी उसकी नज़र को अपने बदन पर महसूस कर रही थी।
पर हम अकेले नहीं मिल पा रहे थे।

हसित बरात में नहीं गया और रात को फोन से मुझे घर के पीछे बुलाया।
मैं छुप कर पहुंची तो हसित ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया और दीवानों की तरह मेरे होंठो को चूसने लगा।

मेरी 40″ की चूचियाँ उसके सीने में दबी हुई थी।

करीब पांच मिनट तक वह मेरे होंठों को चूसता रहा।
मेरी सांस फूल रही थी।

फिर वह मेरे स्तनों को हाथों से दबाने लगा तो मेरे मुंह से सीत्कार निकलने लगी।
तभी मुझे होश आया क्योंकि वहाँ कोई भी आ सकता था।

फिर हम दोनों एक तगड़ा किस करके वापस आ गए।
लेकिन हमारी मन की मन में ही रह गई।

अगले दिन मुझे मेरी ससुराल जाना था और शाम तक वापस लौट कर आना था।

मैंने हसित को बोला तो वह तैयार हो गया।
हम 9 बजे निकल गए।

रास्ते में मैंने उससे कहा कि मुझे बेल्हा देवी के दर्शन करने हैं।
हसित ने कहा- क्यों न हम माता के सामने शादी करके एक नई ज़िन्दगी की शुरुआत करें?

मैंने मना किया पर वह नहीं माना और दुकान से शृंगार का सामान लेकर माता के सामने ले आया।
उसने मेरी माँग में सिंदूर भर दिया और माता के सात फेरे ले लियेमेरे साथ।
हमने एक साथ माता के चरणों में प्रणाम किया और घर की तरफ निकल गए।

रास्ते में हम एक रेस्टोरेंट में रुके और एक ही प्लेट में नाश्ता किया और एक दूसरे को खिलाने लगे।

फिर हम घर पहुंचे तो वहाँ कोई नहीं था।

हमने घर में घुस कर मेनगेट बन्द कर लिया।

अब हसित से नहीं रहा जा रहा था, मुझे पीछे से पकड़ कर वह मेरी चूचियाँ दबाने लगा. उसका खड़ा लन्ड मेरे चूतड़ों में टक्कर मार रहा था।

मैंने उसको दूर किया और बोली- यहाँ कोई भी आ सकता है।
वह बोला- ठीक है. आज हम घर नहीं जाएंगे. तुम कोई भी बहाना बनाओ।
मैंने पूछा- पर जाएंगे कहाँ?
वह बोला- ये तुम मुझ पर छोड़ दो।

मैंने घर पर फोन किया कि आज मैं यहीं रुककर कल आऊंगी।
फिर हम वहाँ से निकलकर शहर आ गए।

हसित ने 800 रुपये पर एक होटल में रूम लिया और हम रूम में आ गए।
आते ही हसित मुझ पर टूट पड़ा और मेरे होंठों को अपने मुंह में भरकर चूसने लगा।
मैं भी उसका पूरा साथ दे रही थी।

अब हम एक दूसरे की जीभ चूस रहे थे, हमारा मुँह का रस एक दूसरे के मुंह में जा रहा था।

तब उसने मेरी चूचियाँ दबानी शुरू कर दी।
मेरे मुंह से आह आह की आवाज निकल रही थी।

फिर उसने मेरे और अपने कपड़े निकाल दिये और मुझे बेड पर लिटा कर मेरी चूचियाँ चूसने लगा जैसे वह मेरा दूध निकाल कर पी रहा हो।

मैं पागल हो रही थी और मेरे हाथ उसके बालो में कंघी कर रहे थे।

धीरे धीरे वह मेरी चूत पर आ गया जो खुशी से आंसू बहा रही थी।
उसने झट से अपना मुंह मेरी चूत पर लगाया और चाटने लगा।

सुबह मैं मैं गीली हो रही थी तो ज्यादा देर टिक नहीं पाई और भलभला कर झड़ गई.
उसने मेरा सारा रस पी लिया।

अब मैंने उसके लन्ड को हाथ में पकड़ा और मुँह में भर कर चाटने लगी।

उसका पूरा लन्ड उसके रस से भीगा हुआ था; उसका स्वाद बड़ा खट्टा लग रहा था।

फिर वह मुझे लिटा कर मेरे ऊपर आ गया और अपने लन्ड को मेरी चूत में डालने लगा।

उसका लन्ड अमीष के लन्ड से बड़ा और मोटा था जिससे मुझे दर्द हो रहा था.
पर अपने बचपन के प्यार से चुदवाने की बात पर सारा दर्द भूल गई।

उसने धीरे धीरे करके अपना 7 इंच का लन्ड मेरी चूत में उतार दिया।
मुझे लगा कि शायद उसका लन्ड मेरी बच्चेदानी में घुस गया था।

अब उसने धक्के लगाने शुरू किया और साथ साथ वह मेरी चूचियाँ भी मसल मसल कर पी रहा था।
मैं मज़े के आसमान में उड़ रही थी।

अब उसकी रप्तार और तेज़ हो गई।
लगभग आधा घण्टे तक वो मुझे चोदता रहा।

इतने मोटे और लंबे लन्ड से मैं पहली बार चुद रही थी।

अब उसने आखिरी धक्का मारा और अपना सारा माल मेरी चूत में भर दिया।
उस रात हमने चार बार चुदाई की।

फिर हम सुबह घर आ गए।
लेकिन ये बात किसी को पता नहीं चली।

हम दोनों अब भी फोन पर बात करते हैं और मौका मिलने पर चुदाई का आनंद लेते हैं।
अमीष को भी इस बात का पता नहीं चला।
मैं इसमें अपनी गलती नहीं मानती।
आखिर मुझे उकसाने वाला भी तो अमीष ही है।

अब मैं बम्बई जाने की सोच रही हूँ जहाँ हसित नौकरी करता है।
मैं वहाँ 15 दिन रुकने की सोच रही हूँ क्योंकि मैं अब हसित की भी पत्नी हूँ और हसित को खुश रखना मेरा फर्ज है।

मित्रो, आपको यह ओल्ड लवर सेक्स कहानी कैसी लगी?

लेखक की पिछली कहानी थी:

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