मामू की बेटी की सीलपैक बुर की चुदाई

Family Sex Stories

मेरी गर्लफ्रेंड की चूत मारी मैंने उसी के घर में! वह मेरी ममेरी बहन भी थी. एकदम हॉट माल थी वह … गोरी चिट्टी नीली भूरी आँखों वाली. मैंने उसकी बुर की सील तोड़ी.

आप सभी को नए दिन की शुभकामनाएं. उम्मीद करता हूँ कि आप सभी बढ़िया हाल में होंगे.

मेरा नाम जुनैद है और मैं मुंबई का रहने वाला हूँ.

तब 2022 का साल चल रहा था, जिसमें मैं 23 साल का हो गया था.
मैंने अपना ग्रेजुएशन फार्मेसी में खत्म कर लिया है और अभी एम बी ए की पढ़ाई कर रहा हूँ.

यह सेक्स कहानी मेरी और मेरी गर्लफ्रैंड की है और एकदम सच है, मेरी ही ज़िन्दगी का एक हिस्सा है.
मेरी गर्लफ्रेंड की चूत मारी मैंने!

हमारे दोनों के घर पर गर्लफ्रैंड-बॉयफ्रेंड वाला माहौल हरगिज नहीं चलता.

मेरी गर्लफ्रैंड का नाम फैजा है, जो नासिक के एक गांव की रहने वाली है.
उसके घर में उसकी अम्मी शगुफ्ता, बड़ी बहन शाहज़ीन, छोटी बहन फातिमा और उसके अब्बा नवाज हैं.

नवाज जी रिश्ते में मेरे दूर के मामू लगते हैं और पेशे से एक ट्रक ड्राइवर हैं.
मैं अपने मामू नवाज को छोड़ कर बाकी चारों से कभी नहीं मिला था.

बारहवीं की पढ़ाई के बाद मैं आगे की पढ़ाई करने घर से दूर एक कॉलेज में पढ़ाई करने चला गया और वहीं हॉस्टल में रहने लगा.
यह सिलसिला अगले चार वर्ष तक चला.

जब मैं ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहा था तो दूसरे साल से पहले गर्मियों की छुट्टियां चल रही थीं.
उस बीच मुझे अपने फ़ोन पर नवाज मामू का फ़ोन आया.
वे कहने लगे- बेटा जुनैद, मैं तुम्हारा मामू नवाज बोल रहा हूँ. तुम्हें फ़ोन करके ये पूछना चाहता हूँ कि तुम्हारा कॉलेज पढ़ाई के लिए कैसा है? मैं अपनी बेटी का दाखिला वहां करवाना चाहता हूँ!

मैंने भी जवाब में कह दिया- इधर पढ़ाई अच्छी है, आप चाहो तो दाखिला करवा दो.

मैं अपना एडमिशन दूसरे वर्ष में हो जाने पर कॉलेज जाने लगा था.

जैसे कि हर साल एक नया एडमिशन होता है. पहले साल में नए नए छात्र आते हैं. उसी के साथ कुछ नई सुंदर लड़कियां भी लड़कों के यौनांगों को सुख देने आती हैं.
मैं भी नई लड़कियों को देखने के लिए उत्सुक हुआ जा रहा था.

कॉलेज पहुंचने से पहले मैं नानी के गांव में था.
तभी मुझे मेरे नवाज मामू ने फ़ोन करके मुझे उनसे मिलने गांव में बुलाया.

मैं तैयार हो गया और मामू के घर पर पहुंच गया.
मिलने पर उन्होंने मुझे कुछ पैसे दिए और कहा- ये पैसे तुम मेरी बेटी को दे देना.

तब मुझे जानकारी हुई कि मामू ने अपनी बेटी का एडमिशन मेरे ही कॉलेज में पहले साल में करवा दिया था.

मैंने उनसे उनकी बेटी की डिटेल पूछी तो उन्होंने मुझे अपनी बेटी का फ़ोन नंबर दे दिया और नाम आदि बता दिया.

मैं वहां से निकल आया और सोच में पड़ गया कि वह कैसी दिखती होगी, कैसा मिजाज होगा, वगैरह वगैरह.

वैसे मैं लड़कियों के मामले में बहुत कच्चा या घुग्घू किस्म का लड़का हूँ और बात भी ठीक से नहीं कर पाता था.
क्योंकि बचपन से ही मेरा लड़कियों से कम मिलना जुलना रहा था.

जैसे-तैसे मैं मामू के घर से निकला और दूसरे दिन कॉलेज गया.
कॉलेज पहुंच कर मैंने मामू की लड़की को फ़ोन लगाया.

मैंने उसे अपना परिचय दिया और उससे उसका नाम पूछा.
उसने अपना नाम फैज़ा बताया.

फोन पर ही मैंने उससे कहा- तुम्हारे अब्बू ने मुझे पैसे दिए हैं, तुम कैंटीन में आकर मुझसे पैसे ले जाओ.

तब वह पूछने लगी- मैं आपको कैसे पहचान पाऊंगी. क्योंकि मैंने कभी पहले आपको देखा ही नहीं है.
मैंने उससे कहा- मैंने नीले रंग की शर्ट और जीन्स पैंट पहनी है. मैं कैंटीन के बाहर ही खड़ा हूँ. तुमने क्या पहना हुआ है?
इस तरह से मैंने अपना बता कर उससे भी उसका हुलिया पूछ लिया.

वह कैंटीन में अपने सहेलियों के साथ आई और आकर मुझे फोन लगाया.
उसने बताया- मैं आपकी बताई हुई जगह पर आ गयी हूँ. आप कहां हैं?

मैं वहां जाने लगा.
जैसे ही मैं वहां पहुंचा, तो इतनी सारी लड़कियों को देख कर मैं कुछ खो सा गया था.

तभी अचानक से मेरी नजर एक खूबसूरत सी लड़की पर पड़ी, जिसे मैं देखता ही रह गया.
कोई उन्नीस वर्ष की जवान हसीना, पांच फुट तीन इंच का कद. पतली कमर, गोरा रंग, हाथों में मेहंदी, हूर की तरह चेहरा, चेहरे पर गुलाबी होंठ.

उसकी आंखों में तो तीन रंगों का मिलाप था. नारंगी, चॉकलेटी और काला … और ऊपर से उसने हिजाब पहना हुआ था.

मुझे तो पहली ही नजर में उससे मुहब्बत हो गयी.
वही लड़की मेरी ओर आगे बढ़ी और मुझे आकर सलाम किया.

मैंने उसे जवाब दिया और हमने जब एक दूसरे से बात की.
तो पता चला कि ये वही लड़की है, जिसे मैं ढूंढ रहा था.

मैंने उसे उसकी अमानत दी और वहां से चला आया.

वापस लौटते समय मैं हैरत में पड़ा सोच रहा था कि मैंने आज से पहले कभी इतनी खूबसूरत लड़की क्यों नहीं देखी.

उस दिन रात को फैजा का मैसेज व्हाट्सएप्प पर आया.
वह कहने लगी- आपकी कुछ पुरानी किताबें होंगी. मुझे दे दो ताकि मेरी पढ़ाई में कुछ मदद हो जाए!

उस वक्त मैंने ये सोचा कि इस लड़की को पटाना जरूरी है और इसी को चोद कर अपने लंड को शांति देनी है.

अब हमारी बातें रोज व्हाट्सएप्प पर चलने लगी थीं.
हम दोनों दिन-रात एक दूसरे से बात करते और कॉलेज में एक दूसरे को ताकते हुए मिलते.

मैं अक्सर उसे ताकता और कभी गंदी नजरों से भी देखता.
मेरी नजरें उसकी कमर से हटती नहीं थीं.

मै उससे व्हाट्सएप्प पर भी यही कह देता कि उसके चलने की अदा एकदम सेक्सी है.
वह हंस देती.

यूं तो वह यहां अपने मामू के घर रहती थी पर उससे फोन पर बात होने से ही काम चल जाता था.

एक बार की बात है, उसकी अम्मी मामू के घर आई थीं. यह घर इसी शहर में था.

फैजा मुझे उनसे मिलाने अपने मामू के घर ले गयी.
मामू का फ्लैट चौथी मंजिल पर था और ऊपर जाने कोई लिफ्ट भी नहीं थी.

हम दोनों सीढ़ी से ऊपर जाने लगे.
वह आगे-आगे, मैं उसके पीछे-पीछे.

एकाएक फैज़ा का एक पैर सीढ़ी पर से फिसला और वह गिरने ही वाली थी कि मैंने उसे कमर से पकड़ लिया.
जल्दी जल्दी में मेरा दूसरा हाथ उसके नितंब पर चला गया.

वह शर्मा गयी और जल्दी जल्दी खुद को संभालने लगी.

फिर हम दोनों ऊपर गए और मैं उसकी अम्मी से मिल आया.

फैज़ा की अम्मी भी दिखने में एकदम कड़क आइटम थीं.
उसकी अम्मी को देखकर ही समझ गया कि ये पटाखा अपनी अम्मी पर ही गयी है.

मैं मन ही मन में उसकी अम्मी को हवस की नजरों से देखने लगा.
ऐसी आंटियां मुझे कड़क माल लगती हैं. उनकी बड़ी सी गांड और उठे हुए दूध देख कर लंड अपनी औकात दिखाने लगता है.

फैजा की अम्मी ने गाउन पहना था और सीने पर दुपट्टा था.
जैसे ही फैज़ा की अम्मी मुझे चाय देने के लिए झुकीं तो मुझे उनके बड़े बड़े मम्मे दिख गए.

मेरा लंड वहीं खड़ा हो गया.
मैं लौड़े को संभालने लगा और जैसे तैसे चाय पी.

फिर वह दिन भी आया कि हम दोनों ने एक दूसरे से प्यार का इजहार किया.

मैं फैजा को अपने साथ पहली डेट पर मूवी दिखाने ले गया.
वहां मैंने पहली बार उसका हाथ पकड़ा और घर लौटने से पहले तोहफे में एक चांदी की अंगूठी दी.

वह मुझसे पूरी तरह से इम्प्रेस हो गयी.

कुछ दिन हमारे बीच ऐसे ही चलता रहा, फिर हम अक्सर मेले में, कभी होटल में तो कभी कैफ़े में मिलने लगे.
मग़र हमेशा उसके साथ उसकी एक सहेली जेबा भी आती थी.

सिर्फ पहली बार मूवी के लिए गए थे तब छोड़ कर वह हमेशा एक लड़की अपने साथ लेकर आती थी.

मुझे गुस्सा आता था और जी चाहता था कि उसकी सहेली को वहीं पटक कर चोद दूँ.

एक बार हुआ यूं कि हम दोनों एक कैफ़े में बैठे थे.
मैं उसे किस करना चाहता था तो मैंने फैजा का हाथ पकड़ा और उसके माथे पर चुम्मी दे दी.

तभी मैंने उसके कंधे पर दूसरा हाथ रखा और आखिर में हमारे बीच पहला किस हो ही गया.

लोग कहते हैं कि पहला किस हमेशा याद रहता है, सच कहते हैं.

अब मुझे फैजा शारीरिक तौर पर आकर्षित करने लगी थी.

मुझे फैजा के साथ सेक्स करने की इच्छा होने लगी मगर जिस इलाके में हम दोनों रहते थे … वहां उसकी चुदाई करना मुमकिन नहीं था.

इसलिए मैं अक्सर उसे फोन लगाकर घंटों तक बातें करता और उसकी तस्वीरें मंगवाता, फिर फैजा की तस्वीरें देखते देखते मुठ मारता.

कभी कभी उसकी अम्मी और उसकी दोनों बहनों की तस्वीरों को देख कर भी मुठ मार लिया करता था, जिसका पता फैजा को आज तक नहीं चला.

मैंने फैजा के कुछ फेक नंगे चित्र भी बनाए जिन्हें देख देख कर मैं अक्सर नर्म कम्बल को दो तकियों के बीच डालकर तकिये में शॉट लगाता और अपना पानी झाड़ लेता था.

एक साल सीनियर होने के कारण मेरा ग्रेजुएशन फैजा से एक साल पहले खत्म हो गया था.

फिर लॉकडाउन लगने की वजह से हम दोनों एक दूसरे से 2 साल तक मिल नहीं पाए.

उसे मुझसे मिलने की बेहद चाह हुई.
उसने मुझे कॉल किया और कहा- मैं मिलना चाहती हूँ.
मैंने पूछा- कब … कहां … कैसे?

तो फैजा ने मुझे उसके घर आने को कहा.
मैं समझ गया कि जब लड़की खुद सामने से अपने घर बुलाए, तो चूत में अंगारे दहकने लगे हैं, समझ जाना चाहिए.

फैजा का परिवार पांच सदस्यों का था, अम्मी अब्बू, बड़ी बहन, फैजा और उसकी छोटी बहन.
यानि मेरे दोनों हाथ घी में और सिर कढ़ाई में थे.

फैजा की बड़ी बहन मेरे ही उम्र की थी. उसकी शादी होनी अभी बाकी थी.
उसे हमारे रिश्ते के बारे में पता था और वह हमें सपोर्ट भी करती थी.
वह हम दोनों को एक दूसरे से मिलवाने भी ले आती थी.

जब मैंने उसे पहली दफा देखा तो उसे देखकर भी मुझे हवस भर आई.
मैंने उसे भी चोदने का मन बनाया और उससे भी चैटिंग शुरू की.
मगर वह पटी नहीं तो मैंने उसे अपने खड़े लंड की तस्वीरें उसके इंस्टाग्राम एकाउंट पर भेज दीं.

वह मुझे डाँटने लगी और मैंने उसे जैसे तैसे समझाया कि वह गलती से फैजा को भेजने की जगह उसे भेज दी हैं.
उसने वह बात मान ली.
बेवकूफ लड़की.

उस दिन उसके मम्मी पापा सुबह रिश्तेदार के घर शहर से बाहर जाने वाले थे और बड़ी बहन सुबह आठ बजे काम पर जाती थी.

मैं ठीक साढ़े आठ बजे फैजा के घर पहुंच गया.
फैजा ने दरवाजा खोला, मैं अन्दर आ गया और मैं दीवान पर बैठ गया.

फैज़ा ने लाल रंग का कुर्ता और क्रीम रंग की सलवार पहनी थी.
काजल पाउडर लगा कर वह मेरे लिए एकदम सजधज कर तैयार हुई थी.
वह एकदम सेक्सी एकदम हॉट लग रही थी.

फिर फैजा ने मुझे पानी पिलाया और हम एक दूसरे के साथ बात करने लगे.

कुछ देर बाद मैंने फैजा का हाथ पकड़ लिया.
वह मुझे साथ लिए उठ खड़ी हुई.

हम दोनों अलमारी के सामने आ गए और एक दूसरे के साथ कुछ सेल्फियां खींचने लगे.

फिर हमने साथ में आईने में कपल फोटोज भी खींचे.

कुछ देर के बाद मैं उसे लिविंग रूम में ले आया.
फैजा के हाथ मैंने अपने कंधों पर रखे और उससे लिपट गया.

हम दोनों एक दूसरे से कुछ इस तरह से गले लग गए थे कि एक ही जिस्म हों.
वह होगी मेरी मोहब्बत में … मगर मुझे तो अपने लंड को शांति दिलानी थी.

मैंने फैजा को उसके माथे पर एक किस दिया, फिर उसकी दोनों आंखों पर चुंबन किया और हमने होंठों से एक दूसरे को किस करना शुरू कर दिया.

जैसे ही हमारी किसिंग शुरू हुई, उसने अपनी दोनों आंखें बंद कर लीं और मानो आत्म समर्पण सा कर दिया.
वह बिल्कुल भी होश में नहीं थी.

ऐसा भी कोई करता है क्या भला?
ऐसे में पैशनेट सेक्स कैसे होगा!

जब लड़की नखरे ही नहीं दिखाए और निर्जीव भेड़ों की तरह बिस्तर में पड़ी रहे, तो क्या मजा आना है?

खैर … मुझे क्या … मुझे तो मौका मिल गया था.
किस करते करते मैंने अपने हाथों से उसकी गांड को सहलाना शुरू कर दिया.

मैं उसके बूब्स दबाने लगा और वह कुछ नहीं बोली तो मैं समझ गया कि ये लड़की अब अपने ही काबू में है.

मैंने फैजा को गोद में उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया.

उसके लेटते ही मैं उसके ऊपर चढ़ गया और होंठों से किस करने लगा, अपने दोनों हाथों से उसके बूब्स दबाने लगा.

मैंने उसे फिर उठाया और उसकी कमीज के अन्दर हाथ डालकर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया.
अब मैं अपने हाथों से उसके बूब्स सहलाने लगा, ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा और उसके निप्पलों को हल्के हल्के से मींजने लगा.

इसके साथ हमारी किस छूट ही नहीं रही थी, वह उस बीच लगातार चल रही थी.

मैंने उसे फिर से गोद में उठाया और दीवार की तरफ उसका चेहरा करते हुए खड़ा कर दिया.
मैं उसकी गर्दन पर किस करने लगा और दोनों हाथ से पीछे से उसकी गांड सहलाने लगा.

यूं ही कुछ देर के बाद मैंने सलवार के ऊपर से ही उसकी गांड की दरार में अपना लंड रगड़ना शुरू कर दिया और वह बस मेरी हरकतों का आनन्द लेती गयी.

मैंने फिर से उसे गोद में उठा कर बिस्तर में पेट के बल लिटा दिया और उसके पैरों पर बैठ गया.
उसकी सलवार नीचे खींची और उसकी गांड चाटने लगा.
इस बार वह थोड़ा छटपटाने लगी … मगर मैंने अपना काम नहीं रोका, उसकी गांड खूब चाटी.

फिर मैंने उसे पीठ के बल किया और उसकी कमीज को ऊपर उठा दिया.

पहली बार मैंने अपने आंखों से किसी लड़की के बूब्स देखे, उसके निप्पल हल्के भूरे रंग के थे.
मैंने दोनों दूध बारी बारी से खूब चूसे, दांतों से काटे; अपनी दोनों आंखों पर उसके बूब्स लगाए और उसके मम्मों की घाटी में चुम्मियां देने लगा.

मैंने उसे फिर से पैरों पर खड़ा कर दिया, जल्दी से अपनी पैंट उतारी और उसके हाथों में किस करते हुए अपना लंड थमा दिया.
वह मेरे लौड़े से खेलने लगी, उसे हिलाने लगी.

उसके बाद मैंने फैजा को पूरी तरह से नंगी कर दिया और उसकी चूत चाटने लगा.
वह कांपने लगी और अपने हाथों से मेरा मुँह अपनी चूत पर ताकत से दबाने लगी.

उसके बाद मैंने अपना लंड उसकी चूत में डाला.
उसकी चूत बड़ी टाइट थी.
पहली बार में उसे काफी दर्द हो रहा था और वह मेरा लंड अन्दर नहीं ले पा रही थी.

मैंने अपने लंड को बाहर निकाला, उस पर थूक लगा कर फिर से उसे उसके अन्दर डालने लगा.

वह दर्द के मारे आवाज़ निकालने लगी और उसकी चूत से कुछ खून भी निकल आया.

उसके बाद मैंने फैजा को अगले तीस मिनट तक डॉगी स्टाइल, मिशनरी, और कुछ अन्य अलग अलग पोजीशनों में खूब चोदा.

फिर मैं थक कर लेट गया तो वह मेरे लंड को पकड़ कर उसे हिलाने लगी और एक मिनट बाद मैं उसके हाथों में झड़ गया.

कुछ देर बाद हम दोनों थोड़ा आराम करके उठे और हमने एक दूसरे को पहली चुदाई की मिठाई एक दूसरे के हाथों से खिलाई और मुँह मीठा करवाया.

मैं आखिरी दफा उसे अपने सीने से लगाकर, उससे गले मिलकर उसके घर से निकल आया.

उसके बाद अगली बार वह मुझसे चुदने को किस तरह से मचली और लौड़े के नीचे कैसे आई.
वो सब मैं अगली बार लिखूँगा.
उसमें कुछ और चूतों की चुदाई की दास्तान भी होगी, जो फैजा के जरिए ही मुझे चोदने मिली थीं.

आपको मेरी गर्लफ्रेंड की चूत कहानी कैसी लगी, मुझे कमेंट करके जरूर लिखिए.
धन्यवाद.

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