पुरानी दोस्त से 20 साल बाद मिलन

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Xxx ओल्ड फ्रेंड सेक्स कहानी में पढ़ें कि कॉलेज टाइम में मेरी एक दोस्त थी. मैंने उससे सेक्स करना चाहता था पर अवसर नहीं मिला और उसकी शादी हो गयी. फिर हम 20 साल बाद मिले तो …

दोस्तो, मैं जगराज काफी समय के बाद फिर से आप सभी के सामने हाजिर हूँ.

हम सबकी जिंदगी में कोविड ने दो साल छीन लिए.

मेरी अभी तक की दो सेक्स कहानियां

और

आपने पढ़ी हैं और ढेर सारा प्यार दिया है. इसके लिए मैं आप सबका शुक्रगुजार हूं.

आज मैं आपके सामने मेरे जीवन की यह ओल्ड फ्रेंड सेक्स कहानी पेश करने जा रहा हूँ.
ये वाकया हाल ही में मेरे जीवन में घटा था.

जिन पाठकों ने मेरी पिछली कहानी नहीं पढ़ी है और जो मुझे नहीं जानते हैं, उनके लिए बता दूँ कि मैं 40 साल का हट्टा-कट्टा शादीशुदा इंसान हूँ.
मेरी हाइट 6 फीट है, वजन 84 किलो है और दिखने में एकदम गोरा-चिट्टा हूँ.

बिना कोई जिम और एक्सरसाइज के ईश्वर ने मुझे ऐसा शरीर दिया है कि हर कोई मुझसे पूछने लगता है कि कौन से जिम में जाते हो?
इसी शरीर की बदौलत मुझे भाभियों और लड़कियों की कोई कमी कभी महसूस नहीं हुई है.

मैंने इसके पहले की सेक्स कहानी लॉकडाउन की शुरुआत में लिखी थी और आज भी मुझे उस सेक्स कहानी को लेकर मेल आते हैं.
उसमें लड़के मुझसे लड़की या भाभी के बारे में जानकारी मांग कर सेक्स की बात करते हैं.

पर मैं आपको बता दूँ कि मैं अपने नीचे से निकली उन सबकी बहुत इज्जत करता हूँ और सदैव उनकी गोपनीयता बनाए रखता हूं.
इसलिए कृपया मुझे ऐसे मेल मत किया करें, जिनकी मैं पूर्ति ही न कर सकूँ.

आज की इस सेक्स कहानी में गोपनीयता के नजरिए से कहानी की नायिका का नाम बदल कर मानसी रख दिया है.

मानसी और मैं, हम दोनों बचपन से साथ ही पढ़ाई करते आए थे.
हम दोनों के बीच फ़ाइनल एग्जाम में कौन पहला नंबर लाए, उस बात का कॉम्पिटिशन हमेशा बना रहता था.

हालांकि क्लास 6 को छोड़कर अब तक की सभी कक्षाओं में मैं ही पहला नंबर लाया था, वह दूसरे नंबर पर रहती थी.

वह बचपन से बेहद खूबसूरत थी.
पर आपको मालूम है कि आज की तरह तब हम ज्यादा जल्दी मेच्योर नहीं होते थे.
इसलिए वह मुझे पसंद थी लेकिन हमारे बीच कुछ भी ऐसा वैसा नहीं था.

स्कूल की शिक्षा के दौरान ही मैं गांव से आगे की पढ़ाई के लिए शहर आ गया था.

उसके बाद हम दोनों दो साल बाद ही मिले.
तब वह अपनी ज़वानी में क़दम रख चुकी थी.

उस वक्त तक उसके बूब्स शायद 32″ के आस-पास रहे होंगे.
उसे देखते ही मेरे मन में लड्डू फूटने लगे थे.

शायद ये इसलिए होने लगा था क्योंकि मैं भी जवानी की दहलीज पर आ गया था.

उसे देखने के बाद मेरा मन करने लगा था कि उसे किसी बहाने से बस एक बार छू लूँ.
मगर उस दिन मौका नहीं मिल सका था.
वह चली गई थी.

फिर एक दिन मौका मिल ही गया, उसने उसके रिश्तेदार का एक बच्चा गोद में लिया हुआ था.

बच्चे से खेलने के लिए मैंने उससे वह बच्चा मांगा.
उसने हां कहा.

बच्चे को लेते समय मैंने उसकी बाईं चूची को हल्के से दबा दिया.
वह सिहर सी गई और हल्की सी मुस्कुरा कर उसने आंखें झुका लीं.

मुझे भी बहुत मजा आया था.
शायद मैंने आज तक किसी लड़की को पहली बार ऐसे छुआ था.

थोड़ी देर के बाद मैंने बच्चा वापस उसकी गोद में दिया और रखते समय उसकी दाईं चूची को हल्के हाथों से दबा भी दिया, वह फिर मुस्कुराई.

मेरा तो जैसे जीवन धन्य हो गया.

फिर उसके बाद थोड़ी चुम्मा-चाटी, थोड़े चूचे दबाना और चिट्ठियां लिखना ऐसा दौर शुरू हुआ.

बात कुछ ज्यादा आगे बढ़े, उसके पहले मानसी की शादी हो गई.
वह ससुराल चली गई.
मैं भी अपने जीवन में आगे निकल गया.

अभी पिछले सप्ताह मेरे गांव की एक शादी के दौरान हमारी मुलाकात हुई.
यह शादी मेरे शहर में ही हो रही थी.

यह मुलाकात आज पूरे 20 साल के बाद हो रही थी.
मैंने उसे देखा और उसने भी मुझे देखा.

वह तुरंत मेरे पास आई, हमने औपचारिक हाय-हैल्लो किया.

शादी में कम से कम 300 लोग थे.
फिर भी वह मेरे पास बैठ गई और हमने ढेर सारी बातें की.

उस दरम्यान उसकी बेटी जो 21 साल की हो गई थी, उसने उससे मेरी मुलाकात कराई.
बेटी के पूछने पर उसने मेरा परिचय ‘मामा’ की जगह ‘मेरा बेस्ट फ्रेंड’ कह कर कराया.

बेटी के जाने के बाद मैंने उससे पूछा, जवान बेटी के सामने तूने ऐसा क्यों बोला?
उसने बताया कि मेरा मन किया और हम दोनों दोस्त ही तो थे ना पहले!

मैंने कहा- यार, तुम्हारी उम्र थम सी गई है. तुम आज भी शायद 30 की लग रही हो.
वह बोली- तुम भी कम नहीं हो. ये डोले-शोले बनाये हैं. लगता है जिम जा रहे हो!

मैं उसे देखता ही रहा, जवाब नहीं दे पाया.

उसने चुटकी बजाते हुए कहा- कहां खो गए हो यार?
मैंने कहा- तुमसे नजर ही नहीं हटती है यार!

उसने कहा- ऐसे मत देख, सब हमें बड़ी गौर से देख रहे हैं.
मैंने कहा- यार, नज़र हटाने को दिल ही नहीं करता है.

उतने में मेरी बीवी उधर आई, मैंने उसका परिचय मानसी से कराते हुए बोला- हम बचपन में साथ पढ़ा करते थे. आज 20 साल बाद इससे मिला हूँ.
मेरी पत्नी ने उससे हाय-हैल्लो की और मुझसे बोली- आप घर जाओ और पानी की मोटर चला कर ऊपर की टंकी भर आओ.

मैं उससे घर की चाबी लेकर घर जाने निकला.

मेरा घर शादी के घर से 2-3 मिनट की दूरी पर ही था पर घर के सब लोग उधर शादी में होने के कारण ताला लगाया हुआ था.

जैसे ही मैं घर पहुंचा और पानी की मोटर शुरू की, अचानक घर का मेन गेट किसी ने खटखटाया.
जैसे मैंने गेट खोला, सामने मानसी खड़ी थी.

मैंने उसे अन्दर आने को कहा.
उसने बोला- मुझे थोड़ा फ़्रेश होना है.

मैंने उसे वॉशरूम की तरफ इशारा किया.
वह वापिस मुड़ी और गेट को अन्दर से लॉक कर दिया.

फिर वॉशरूम की तरफ आगे बढ़ी.
कुछ 5 मिनट के बाद वह बाहर आई.

उसका पूरा चेहरा पानी की बूंदों से सना हुआ और थोड़ा ब्लाउज भी भीगा हुआ था.
उसने मुझसे तौलिया मांगा.

मैंने उसे रूम दिखाया और कहा- उधर ड्रेसिंग टेबल भी है.

वह अपनी गांड मटकाती हुई अन्दर चली गई.

दो मिनट के बाद उसने मुझे आवाज़ दी- कंघी किधर है?

मैं उसे कंघी दिखाने के लिए रूम में गया.
देखा तो उसने अपनी साड़ी उतार कर बाजू में रखी थी और वह सिर्फ ब्लाउज़ और पेटीकोट में आईने के सामने खड़ी थी.
मैं तो जैसे फ्रीज़ हो गया और देखता ही रह गया.

तक़रीबन 15-20 सेकंड के बाद उसने आंखों से पूछा- क्या है?
मैं जल्दी ही उसके पास गया और बिना कुछ सोचे उसे बांहों में भर लिया.
वह भी मुझसे कसके चिपक गई.

उसके चूचे मुझे अपनी छाती पर महसूस हो रहे थे.
हम दोनों इस पल का असीम आनन्द उठा रहे थे.

एकदम शांत वातावरण था, ना कोई लफ्ज, न कोई इशारा … हम दोनों आंखें बंद करके एक-दूसरे में समा जाने की कोशिश कर रहे थे.

धीरे से हम दोनों ने अपनी अपनी आंखें खोलीं, हल्का सा मुस्कुराये और मैंने उसे उसके भाल पर एक चुम्बन दे दिया.

धीरे से उसने अपना चेहरा ऊपर उठाया और हम दोनों के होंठ मिल गए.

पिछले 20 साल की कसर मिटाने के लिए हम दोनों एक दूसरे को होंठों को चूस कर पूरी करने लगे.

उतने में ही बाहर से गेट खटखटाने की आवाज ने हम दोनों को उखड़े मन से जुदा कर दिया.

मानसी को तब जाकर ख्याल आया कि उसके बदन पर साड़ी नहीं है. वह जैसे ही साड़ी की ओर लपकी, मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने ब्लाउज़ के ऊपर ही उसकी एक चूची पर अपना मुँह रख दिया.
उसके शरीर में सिहरन सी दौड़ गई.
वह कंपकपाने लगी.

कुछ ही सेकंड के समय में उसने मेरा सर अपने दूध पर दबा दिया.
अगले ही क्षण उसने मुझे हल्का सा धक्का दे दिया और साड़ी अपने बदन पर लपेटने लगी.

मैं भी अपने पैंट में बने तंबू को हाथ से सैट करता हुआ मेन गेट की तरफ भागा.
गेट खोल कर देखा तो मानसी की बड़ी बहन खड़ी थी.

मैंने उसे अन्दर बुलाया.
उसने कहा- मानसी को इधर आते देखा था, इसलिए मैं यहां आयी हूँ. क्या मानसी इधर है?

उसी समय मानसी रूम से बाहर आती हुई बोली- हां दीदी, उधर गर्मी बहुत लग रही थी और राज को यहां आते देखा, तो फ्रेश होने के लिए मैं यहां आयी थी.

मानसी की बड़ी बहन ने भी फ्रेश होने की इच्छा जताई.
मैंने उसे भी वॉशरूम दिखाया.
वह चली गई.

हम दोनों उधर ही खड़े एक दूसरे से आँखों से बात करने लगे.
वह फिर से रूम में गई.

कुछ ही सेकन्ड के लिए ही सही, पर मैं भी उसके पीछे चला गया.
वह मुझसे लिपट गई.

मैं भी उसको बांहों में लिए उसकी पीठ पर हाथ फिराते हुए उसकी गांड तक हाथ ले गया और दोनों कूल्हे को प्यार से सहलाने, दबाने लगा.

हमारा ध्यान ही नहीं रहा कि बाहर वॉशरूम में मानसी की बहन है.
हम तो जैसे एक दूसरे को अपने आप में समाने लगे थे.

अचानक रूम के दरवाजे पर मानसी की बड़ी बहन दिखाई दी.
हम जल्दी ही एक दूसरे से अलग हो गए और मानसी ने अपनी नज़रें झुका लीं.

मेरी गांड भी फटने लगी.
मुझे मुझसे ज्यादा मानसी के लिए बुरा लग रहा था.
मानसी की बहन गुस्से से लाल हो चुकी थी.

वह जोर से चिल्लाने लगी- क्या हो रहा है यहां?

मैं उसको शांत कराने को आगे बढ़ा.
तभी एकदम से वह मुस्कुराने लगी और मानसी की ओर बढ़ कर उसे गले लगा कर बोली- जा छोटी, जी ले अपनी जिंदगी!

एक मिनट पहले जहा बादल गरजे थे, वहां खुशनुमा बारिश हो रही हो, ऐसा लगा.

मानसी से अलग होकर वह बोली- चल छोटी, अब आज के लिए इतना काफी है. अब शादी में हल्दी की रस्म होने को है … और सब तुझे वहां ढूंढ रहे होंगे.

मैंने भी मौके का फायदा उठाते हुए मानसी को गले से लगाया और उसके होंठों की एक चुम्मी ले ली.

मानसी तो शर्म से पानी पानी हो गई.
तभी उसकी दीदी बोली- सालो, कुछ तो शर्म करो, मेरे सामने ही सब कुछ करोगे क्या?

मानसी जल्दी से अलग होती हुई जाने लगी.
मैंने उससे पूछा- कब मिलोगी?

उसने मेरा मोबाइल मुझसे मांगा और उसमें अपना नंबर डायल करके मुझे वापिस पकड़ा दिया.

वे दोनों वहां से जाने को हुईं तो मानसी ने पलट कर फोन करने का इशारा किया.

मैंने भी वह नंबर सेव कर लिया और अपने लंड को सहलाते हुए वहां बरामदे में बैठ कर आज की बात को सोच कर लुत्फ़ उठाने लगा.

अभी मैं लौड़े को सहला ही रहा था कि तभी मानसी का फोन आया.
वह फुसफुसाती हुई बोली- एक घंटा बाद मुझसे किसी सेफ जगह पर मिल सकते हो?

मैंने हां कहा और दस मिनट बाद बताने का कहा.

मैं समझ गया कि मानसी आज मेरे लौड़े से चुद कर ही वापस जाएगी.

मैंने तुरंत दिमाग के घोड़े दौड़ाए और पत्नी को फोन कर दिया- मुझे अचानक ऑफिस के काम से दिल्ली जाना है. मैं अभी निकल रहा हूँ. तुम वापस आकर मोटर बंद कर देना. मैंने चाभी तादान के ऊपर रख दी है.
चूंकि मुझे अपने काम से अक्सर बाहर जाना होता रहता था तो ये बात मेरी बीवी के लिए कोई नई बात नहीं थी.

मैं घर से अपना ब्रीफ़केस लेकर निकला और अपने पहले से सैट एक होटल में एक कमरा बुक करके अन्दर चला गया.

उधर से मैंने मानसी को फोन लगा कर बता दिया- मैं एक होटल में आ गया हूँ. जहाँ तुम रुकी हुई हो, उधर से कुछ दूरी पर मैं दस मिनट बाद एक ऑटो में तुम्हारा इंतजार करता हुआ मिलूँगा.
उसने दबी आवाज में हामी भर दी.

मैंने नीचे उतर कर एक ऑटो ली और तय जगह पर पहुँच गया.
कुछ ही देर में वह आती दिखी.

मैंने उसे देख कर आने का इशारा कर दिया.
अगले दस मिनट बाद हम दोनों होटल के कमरे में नंगी अवस्था में थे.

बीस साल बाद भी उसके दूध मस्त थे.

उसने भी आधा घंटा में मेरे लौड़े को दो बार तृप्त किया और जल्दी से कपड़े पहन कर जाने को रेडी हो गई.

मैंने उसे खुद एक ऑटो में बिठा कर वापस शादी वाली जगह पर छोड़ा और बीवी को फोन किया- मेरी यात्रा कैंसिल हो गई है और मैं घर आ रहा हूँ.

उसके बाद मैं एक सिगरेट सुलगा कर मानसी की चुदाई को लेकर सोचने लगा और आह भरने लगा.

कृपया मुझसे कोई लड़की या फिर भाभी का नंबर मांगने के लिए मेल न करें क्योंकि चुदाई नसीब से मिलती है.

प्रिय पाठको, आपको मेरी ओल्ड फ्रेंड सेक्स कहानी कैसी लगी?
मुझे मेल और कमेंट्स में बताएं.

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