दोस्त की विधवा पत्नी ने मरवाई चूत- 2

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हॉट पंजाबी भाभी की चुदाई का मजा मुझे दिया मेरे दोस्त की विधवा ने! दोस्त की मौत के बाद उसे लंड की जरूरत महसूस होती थी. उसने खुद से पहल करके मुझे हिंट दिया.

मेरी कहानी के पहले भाग

में आपने पढ़ा कि कैसे मुझे मेरी मरहूम दोस्त की बीवी बस स्टॉप पर मिल गयी. उसके बाद मुझे उसके साथ उसके घर जाना पड़ा जहां हम दोनों आपस में सेक्स की तैयारी में थे.

अब आगे हॉट पंजाबी भाभी की चुदाई:

कुलवंत ने मेरा लंड पकड़ लिया- जगतार, तुम जब भी हमारे घर आते थे, मेरा दिल तुमसे चूत फड़वाने को करता था।
वह लंड मसलते हुए बोली- जगतार, आज मुझे रगड़ रगड़ कर चोद कर मेरी चूत की प्यास बुझा देना। चूत को भी पता लगना चाहिए कि असल मर्द का लंड चूत का क्या हाल बना देता है।

मैं उसकी टांगें चौड़ी करके चूत को चाटने लगा।
“जगतार, ऐसे मत करो प्लीज … यह गंदी होती है।” यह केवल चुदाने और मूतने के लिए होती है। चूसने और चाटने के लिए नहीं! प्लीज मत करो ऐसे!”

पर मैं चूत के अन्दर जीभ घुसा कर अंदर बाहर करने लगा।
“उई … ई … ई … आह … उह … हाए … तुम बहुत सेक्सी हो जगतार!”
वह मेरे सिर को अपनी चूत पर दबाते हुए बोली- बहुत अच्छा लग रहा है। मैं पहली बार अपनी मेरी चूत चटवा रही हूं। ऐसा मजा मुझे गुरबख्श ने कभी नहीं दिया! आह आह आह … मेरे राजा, बहुत मजा आ रहा है। उसने तो कभी मेरी चूत को चूमा तक नहीं था।

कुलवंत मेरे सिर को अपनी चूत पर दबा रही थी- जगतार, प्लीज अपनी जीभ को चूत में और अंदर तक घुसा दो। दोनो हाथों से बूब्स और निप्पल भी दबाए जाओ।

मैंने उसके मम्मे और निप्पल मसल मसल कर लाल कर दिए।

“जगतार मेरी जान तुम प्यार बहुत अच्छे से करते हो। अब मुझ से रुका नहीं जा रहा।”

मैं 69 पोज में आ कर चूत चाटने लगा।
मेरा लंड कुलवंत के मुंह को टच कर रहा था।

वह मेरा लंड पकड़ कर बोली- प्लीज मेरी चूत में अपना यह मूसल जैसा लंड घुसा दो। जोरदार झटके और धक्के मार मार कर मेरी चूत की हालत खस्ता कर दो। मेरी फुद्दी अब अपने अंदर लंड घुसवाने को पूरी तैयार है। प्लीज अब देर मत करो। जगतार जबरदस्त तरीके से चुदाई करना। मैं रुकने को भी कहूं तो मत रुकना।

उसके मम्मे और निपल्स चूसते हुए मैंने चूत में एक उंगली घुसा दी और अंदर बाहर करने लगा।
“उई … ई … ई … ई … ओह … आह … ह … ह … मजा देना तो कोई तुमसे सीखे जगतार!”

वह हाथ से मेरे लंड को मसल रही थी- तुम तो सेक्स गुरु हो जगतार … बहुत मजा आ रहा है।

“उंगली और स्पीड से अंदर बाहर करते रहो। आह मजा आ गया गया।” यह कहते हुए उस ने मुझे अपनी बाहों में लेकर छाती से चिपका लिया।

“जगतार मेरे राजा मैं गई … ई … ई … ई … ई … ई!”
तभी उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया।

मैंने सारा पानी चाट कर साफ़ कर दिया।
वह शांत हो कर लेट गई।

मैं अभी भी उसके मम्मे दबा रहा था; कभी कभी निपल्स पकड़ कर खींच देता।

वह प्यार से मेरे लंड को मसल रही थी- जगतार तूने ऐसे प्यार कहां से सीखा है? मस्त प्यार करते हो। मजा आ गया।

मुझे चूमते हुए वह बोली- जगतार, जो मजा मुझे तुमने आज दिया है। गुरबख्श मुझे कभी भी नहीं दे पाया।
मैं बोला- अभी तो शुरुआत है मेरी जान!

“जगतार, काश हम पहले मिले होते!” वह लंड को बड़े प्यार से देख रही थी।

“कुलवंत प्लीज इसे अपने मुंह में लेकर कुल्फी की तरह चूसो। तुम्हें बहुत मजा आएगा।”
“नहीं जगतार, मुझसे यह न होगा।”
“कुलवंत चूत चुसवा कर मजा आया कि नहीं?”
“बहुत मजा आया जगतार!”
“लंड चूसने पर तुम्हें उससे भी अधिक मजा आएगा।”

उसके बूब्स और होठों को चूसते हुए उसे कुर्सी पर बैठा कर लंड उसके होठों पर फेरने लगा।
उसने मेरे लंड को मुंह में लेकर चूसना चालू कर दिया।
मैं लंड को अंदर बाहर करने लगा।

कुलवंत कुल्फी की तरह लंड चूसने लगी।
मुझे बहुत ही मजा आ रहा था।

मैंने लंड अन्दर बाहर करने की स्पीड बढ़ा दी।
और मैं उसके होठों को चूसते हुए बूब्स दबाए जा रहा था- बहुत अच्छे से चूस रही हो मेरी जान … बहुत मजा आ रहा है मेरी रानी।

मेरे लंड की अंदर बाहर होने की स्पीड बढ़ती गई।
लंड वीर्य की बरसात करने को तैयार हो गया।

मैं कुलवंत का सिर पकड़ कर झटके मारता हुआ उसके मुंह में झड़ गया।
उसका मुंह वीर्य से लबालब भर गया।

कुलवंत लंड को मुंह से निकालना चाहती थी पर मैंने निकलने न दिया।
मजबूरी में उसे मेरे लंड का सारा पानी पीना पड़ा।

कुछ समय के बाद मैंने कुलवंत के मुंह से लंड बाहर निकाला।
“जगतार सच में लंड को चूसने और लंड से निकला पानी पी कर मजा आ गया।”

उसने बाथरुम में अपना मुंह साफ किया और मेरे होठों को चूम कर बोली- जगतार, जीने का मज़ा तो अब आएगा।
मैंने भी उसे अपने सीने से लगा लिया।

कुछ समय हम बैड पर एक दूसरे से लिपट कर लेटे रहे।

मैं एक बार फिर उसके बूब्स दबाते हुए होंठ चूसने लगा।
वह भी मुझे चूमने लगी।

हमने एक दूसरे की जीभ को चूसा।
वह मेरा लंड हिलाने लगी।

हम 69 के पोज में आ गए।
अब वह मेरा लंड चूस रही थी; मैं चूत में जीभ डाल कर अन्दर बाहर कर रहा था।

कुलवंत मजा लेते हुए सिसकारियां ले रही थी- हाय मेरी जान, बहुत मजा आ रहा है! अब रहा नहीं जा रहा। लंड को चूत में घुसा कर इसे फाड़ दो। चूत तुम्हारे लंड से लिपटने को तरस रही है।

मैंने उसकी टांगों को फैला कर अपने कंधों पे रख लिया, चूत पर एक-दो बार लंड रगड़ा।
“ओह जगतार, ऐसे तो मैं मर जाऊंगी। प्लीज अब और देर मत करो। अब लंड के बगैर रहा नहीं जा रहा। जगतार, मेरी चूत वर्षों से ऐसा लंड के लिए तरस रही है। अपनी उंगली से शांत करती आ रही हूं। प्लीज मुझे अब और मत तड़पाओ।”

उसकी हालत देखकर मैंने बूब्स पकड़ कर चूत पर लंड सैट कर एक जोरदार धक्का लगाया।
आधा लंड चूत के भीतर चला गया।

कुलवंत के मुंह से चीख निकल गई।
मैं एक पल के लिए रुका।
कुलवंत दर्द से तड़प रही थी- जगतार, चूत में वर्षों से लंड नहीं घुसा। इसलिए लड़की की चूत की तरह टाईट हो गई है। थोड़ा प्यार से धीरे धीरे डालो।

मैं कुछ समय के लिए रुक गया।
इसी दौरान कुलवंत चूतड़ उछाल कर लंड चूत में लेने की कोशिश करने लगी।

मैंने धीरे धीरे लंड अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया।
“जगतार, दर्द में भी मज़ा आ रहा है। थोड़ा और जोर से झटके लगाओ। हां ऐसे ही … आह … उह … उई … ई … ई … बहुत अच्छे से चोद रहे हो मेरे राजा। फुल स्पीड से लंड को अंदर बाहर करते जाओ।
प्लीज अब मेरे कहने पर भी मत रुकना!”

मैं फुल स्पीड से कुलवंत की चूत मारते हुए बूब्स मसल रहा था।

“मेरे राजा बूब्स पर दांत गड़ा दो। आह … ई … ई … ई … हाए मैं मर गई!” कहते हुए उसने मुझे अपनी बांहों में कस लिया और उसकी चूत ने एक बार फिर पानी छोड़ दिया।

लंड अब आराम से अंदर बाहर जाने लगा।

मैं भी अब झड़ने वाला था, इसलिए मैंने स्पीड बढ़ा दी।
मेरा लंड वीर्य की बरसात करने वाला था- कुलवंत, अपना पानी कहां डालूं?

वह बोली- जगतार, पीकर तो स्वाद देख लिया है। अब चूत की प्यास भी बुझा दो।
उसी दौरान लंड ने चूत में वीर्य की फुहार छोड़ कर उसे लबालब भर दिया.

हॉट पंजाबी भाभी की चुदाई के बाद मैं 10 मिनट कुलवंत के ऊपर ही लेटा रहा।
जब उठा तो कुलवंत की चूत में से वीर्य चादर पर टपक रहा था।

मैं कुलवंत को सहारा देकर बाथरूम में लेकर जाने लगा तो वह चल न पाई।
तब मैं उसे अपनी बांहों में उठा कर ले गया।

उसने मेरा लंड अच्छे से धो कर साफ़ किया और मैंने उसकी चूत धोई.
मेरे दोस्त की बीवी की चूत सूज कर डबलरोटी बन चुकी थी।

हम नग्न अवस्था में ही बैड पर जफ्फी डाल कर लेट गए।

कुलवंत की खुशी और संतुष्टि उसके चेहरे से झलक रही थी।
वह मेरे होठों को चूमते हुए बोली- स्वीट हार्ट, सच पूछो तो शादी के बाद मुझे पहली बार चूत मरवाने का मजा आया है। सही मायने आज मेरी सुहागरात थी। मुझे छोड़ कर न चले जाना मेरे राजा।

“डार्लिंग, तुम्हें छोड़ने के बारे में तो मैं कभी सोच भी नहीं सकता।”
“जगतार आज से हम समाज की नजरों से छुप कर ऐसे पति पत्नी की तरह रहेंगे कि किसी को कानों कान ख़बर नहीं होगी।”

करीब 10 मिनट बाद हमनें कपडे पहन कर कमरे को ताला लगाने के बाद कार पार्किंग में जाने लगे.
तो कुलवंत अपनी टांगें चौड़ी करके चल रही थी।

कार लेकर घर की और जाते समय कुलवंत मुस्कुराते हुए बोली- जगतार जबरदस्त चुदाई की वजह से चूत सूज कर कुप्पा बन गई है। चलने में कठिनाई हो रही है। मीठा मीठा दर्द में भी हो रहा है लेकिन इस दर्द का लुत्फ उठाने के लिए मुझे बहुत इंतजार करना पड़ा है। जगतार, हमारे इस रिश्ते के बारे में गगन किसी भी हालत में पता नहीं लगना चाहिए। वरना मैं उसकी नज़रों में गिर जाऊंगी।
“चिन्ता मत करो, यह राज़, राज़ ही रहेगा।”

कुलवंत के घर पहुंचने पर गगन ने गेट खोला।
कार गैराज में लगाकर एक्टिवा स्टार्ट कर मैंने कुलवंत से कहा- अच्छा भाभी अब मैं चलता हूं।

उसके बोलने से पहले ही गगन बोली- अंकल, मेरी शादी के बाद आप पहली बार हमारे घर आए हैं। इसलिए मेरे हाथ की चाय पीकर जाना।
मैं और कुलवंत ड्राइंग रूम में सोफे पर बैठ गए।

गगन किचन में चाय बनाने के लिए चली गई।

कुलवंत और मैं बहुत ही प्यार और सेक्सी निगाहों से एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा रहे थे।

चाय पी कर मैंने अपने पर्स से एक पांच सो का नोट निकाल कर बतौर शगुन गगन को पकड़ा दिया।
वह लेने से इंकार कर रही थी पर कुलवंत के कहने पर उसने रख लिया।

“गगन, अंकल के पांव छूकर आशीर्वाद तो ले लो।”

तब गगन मेरे पांव छूने लगी तो मैंने उसे अपनी बांहों में लेकर उसके माथे को चूमते हुए कहा- हमेशा खुश रहो, फूलो फलो!

गगन मेरे सीने से लिपट गई।

मैंने महसूस किया कि गगन मौके का फायदा उठाते हुए ज़रूरत से कुछ ज़्यादा ही मेरी छाती से चिपक रही है।
उसके बूब्स मेरी छाती में गड़े जा रहे थे।

मेरा लंड खड़ा हो गया।
गगन ने भी मेरे मूसल जैसे लंड को महसूस कर लिया था।

कुछ पल बाद वह मुस्कुराती हुई बड़े ही सेक्सी अंदाज में मुझसे अलग हो गई।

मुझे यह एहसास हो गया था कि मौका मिलते ही गगन भी मुझसे चूत ज़रूर मरवाएगी।

एक्टिवा स्टार्ट कर मैंने कुलवंत से कहा- भाभी, कभी भी किसी भी समय आपको या गगन को किसी चीज की जरूरत हो या कार से कहीं जाना हो तो मुझे बेझिझक होकर फोन कर देना।
मैंने गगन को अपना मोबाईल नंबर दे दिया।

इससे आगे की कहानी अगले भाग में पढ़ें।
तो दोस्तो, आप को मेरी यह हॉट पंजाबी भाभी की चुदाई कहानी कैसी लगी?
आप मुझे मेरी इमेल पर और कॉमेंट करके जरूर बताएं।

हॉट पंजाबी भाभी की चुदाई कहानी का अगला भाग:

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