ठाकुर जमींदार ने ससुराल में की मस्ती- 2

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गे बॉयज सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि मैंने खेतों में दो लड़कों को आपस में एक दूसरे की गांड मारने की कोशिश करते देखा तो मेरा मन भी उनकी गांड मारने का करने लगा.

दोस्तो, मैं सेक्स कहानी का अगला भाग लेकर हाजिर हूँ.
पिछले भाग

में अब तक आपने पढ़ा था कि ससुराल में कुंवारी नौकरानी अंतरा की चूत की गहराई नाप लेने के बाद मैं बाहर आ गया.

अब आगे गे बॉयज सेक्स स्टोरी:

नौकर को आवाज देकर चाय लेकर छत पर आने को बोल दिया.
मैं छत पर आ गया.
वहां से खेत खलिहान का नजारा साफ़ दिख रहा था.

उधर मुझे दो लड़के दिखे जो चारों ओर देखते हुए गन्ने के खेतों में घुस गए.

तभी मंजू चाय ले लाई.
मैंने मंजू से पूछा- घर में दूरबीन है?

उसने कहा- हां है … बाबूजी के कमरे में होगी.

मैंने उसे लाने को बोल दिया.
वो दौड़ कर नीचे गयी और दूरबीन ले आयी.
मैंने उसे जाने को बोल दिया.

फिर मैंने दूरबीन में आंख लगा कर देखा तो दोनों लड़के एक दूसरे को चूम रहे थे.

मैंने गौर से देखा तो वो दोनों एक दूसरे का लंड हिला रहे थे.
उन्हें लंड तो नहीं बोल सकते क्योंकि वो छोटे थे.

मेरा मन उनको रंगे हाथ पकड़ने का हुआ.
मैं झट से नीचे उतर कर खेतों की और चल पड़ा.

खेत में पहुंच कर मैंने देखा कि उन दोनों में से एक ससुर के मुनीम का लड़का राजन था.
वो दोनों नंगे थे.

राजन दूसरे लड़के को ऊपर ऊपर से चोद रहा था.
मतलब उसका लंड अभी भी बाहर था. वो बस ऊपरी धक्के लगा रहा था.
उन दोनों को उसी में मजा आ रहा था.

मुझे भी उन लड़कों को भोगने की इच्छा हो गयी.

मेरा लंड फड़फड़ाते हुए खड़ा हो गया.
मैं तुरंत उनके पास गया और उसी हालत में मैंने उनके कान पकड़ लिए.

वो दोनों डर गए.

मुनीम का लड़का मुझे पहचानता था, वो मुझसे क्षमा मांगने लगा, घर में कुछ ना कहने के लिए मिन्नतें करने लगा.
दूसरा लड़का भी रोने लगा, गिड़गिड़ाने लगा.

मैंने भी गुस्सा दिखाते हुए कहा- ये सब कहां से सीखा तुमने?
वो दोनों रोने लगे.

दोनों 18-19 साल के जवान चिकने लौंडे थे. मेरी नियत बिगड़ चुकी थी.

मैंने जोर देकर पूछा- कौन ने सिखाया बताओ?
अब दूसरा लड़का बोला- हमारे मोहल्ले में एक बड़ा लड़का है, वो हमको करता है.

मैंने पूछा- क्या क्या करता है?

राजन बोला- वो हमसे लुल्ली चुसवाता है. हमको खेतों में नंगा करके हमारे ऊपर चढ़ता है.
मैं- तो तुम कुछ नहीं बोलते?

वो दूसरा लड़का बोला- वो हमें मारने पीटने की धमकी देता है.
मैंने पूछा- तुम्हें दर्द होता है या मजा आता है?

इस पर वो दोनों खामोश हो गए.

मैंने चिल्लाते हुए पूछा- जल्दी बताओ?
दूसरा लड़का बोला- पहले दुःखता था, पर अब मजा आता है.

मैं- तो अब ये बात मैं तुम्हारे घर में बता देता हूँ.
इस पर वो दोनों एक साथ बोल पड़े- नहीं आप जो बोलेंगे मालिक … हम दोनों वही करेंगे, पर आप हमारे घर पर मत बताना.

मेरी इच्छा पूरी हो गयी.

मैंने दोनों के हाथ पकड़े और अपनी धोती के ऊपर से ही लंड पर ले गया.
दोनों समझ गए कि मुझे क्या चाहिए.

वो दोनों मेरा लंड धोती के ऊपर से ही पकड़ कर सहलाने लगे.
मैंने धोती खोल कर लंड उनके हाथ में थमा दिया.
दोनों लंड पकड़ कर हिलाने लगे.

मैंने दूसरे लड़के का नाम पूछा.
तो उसने नीरज बताया.

मैंने नीरज का सर पकड़ कर नीचे बैठा दिया और अपना लंड उसके होंठों से लगा दिया.
नीरज ने मुँह खोल कर लंड को मुँह में ले लिया और चूसना चालू कर दिया.

राजन ये सब देख रहा था.

मैंने राजन को नजदीक खींचा और उसकी गांड को मसलने लगा.
वो मुस्कुरा दिया.

मैंने धीरे से अपनी एक उंगली राजन की गांड में सरका दी.
वो कसमसाया, उसके चेहरे पर दर्द के भाव आ गए.

मैंने उंगली और अन्दर सरका दी.
दर्द के मारे वो गांड पीछे ले जाने लगा.
मैंने उसे फिर से अपने पास खींच लिया और उंगली पूरी अन्दर घुसा दी.

उसके मुँह से ‘आह मर गया …’ की चीख निकल गयी.

मैंने अपना मुँह उसकी छाती के दाने पर लगाया और चूसने लगा.
वो आह करके रह गया.

नीरज मेरा लंड मस्त चूस रहा था.
मैंने राजन की गांड में उंगली चलानी चालू की.

राजन दोहरे हमले से मस्त हो गया.
मेरी उंगली गांड में चल रही थी और उसकी छाती को मैं जोर से चूस रहा था.

राजन का लंड कड़क हो गया.

करीब 15 मिनट तक यह खेल चला.

मैं नीरज के मुँह में लंड रख कर उसके ऊपर गिरता चला गया.

अब नीरज नीचे था और मेरा लंड उसके मुँह में फंसा था.
मैंने उसका मुँह चोदना चालू कर दिया.

कुछ देर मुँह चोदने के बाद मैंने राजन को खींच कर लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़ गया.
मैंने उसकी गांड का छेद खोला और अपने लंड को थूक लगा कर उसकी गांड के छेद में फिट कर दिया.

सुपारा गांड के फूल में फंस गया तो मैंने एक जोर का धक्का दे दिया.

राजन चिल्ला दिया क्योंकि लंड का टोपा अन्दर घुस चुका था.
मैंने और एक झटका दिया और आधा लंड अन्दर चला गया.

राजन फिर से चिल्ला उठा- उईई माँ दुःख रहा है.

मैंने नीरज को इशारे से उसका मुँह बंद करने को कहा.
और नीरज ने तुरंत अपना लंड उसके मुँह में भर दिया.

मैंने भी मौका देख कर जोर से अपना पूरा लंड राजन की गांड में घुसा दिया.

राजन ‘गुःगुः … अअम गुः …’ करके रह गया. उसकी आंख से आंसू आ गए.

नीरज अपना लंड उसके मुँह में चला रहा था.
मैंने भी धक्के लगाने चालू रखे. हर धक्का राजन की गांड की खुदाई कर रहा था. उसकी गांड का छेद बड़ा चिकना होता जा रहा था.

अब राजन भी मजा लेने लगा था.
खेतों में ठप ठप की आवाज गूंजने लगी थी.

मेरा लंड का टोपा फूल कर कुप्पा हो गया था.
धक्कों के साथ मैं राजन का एक निप्पल अपनी दो उंगलियों में पकड़ कर मींज रहा था.
राजन अपनी गांड चुदाई के मजे ले रहा था.

दस मिनट राजन की चुदाई के बाद मैंने अपना लंड राजन की गांड से निकाल लिया.

फिर मैं उठ कर खड़ा हुआ और नीरज को घोड़ी बना दिया.
नीरज समझ गया कि अब उसकी गांड मारने की बारी आ गयी है.

मैंने अपने लंड पर बहुत सारा थूक लगा दिया और नीरज के छेद को फैला कर लंड को टिका दिया.
नीरज सहम गया और उसने छेद को समेट लिया.

मैंने उससे छेद ढीला छोड़ने को कहा.
उसने थोड़ी ढील दे दी और उसी पल मैंने जोर का धक्का दे दिया. मेरा लंड अन्दर फंस गया.

वो चिल्लाने लगा- आई बापू रे मर गया … निकालो दर्द हो रहा है.

अब मैंने राजन को देखा तो राजन अपनी गांड को हाथ लगाकर देख रहा था.

मेरा इशारा पाते ही उसने नीरज का सर पकड़कर अपना लंड उसके मुँह में दबा दिया.
नीरज का चिल्लाना बंद हो गया.

अब मैंने एक झटके में पूरा लंड नीरज की गांड में उतार दिया और बिना रूके उसे चोदना आरंभ कर दिया.

मैंने राजन के जैसे इसके भी निप्पल उंगलियों में ले लिए और मसलने लगा.

फिर मैं नीरज की एक टांग उठाकर उसकी गांड चोदने लगा. मेरा लंड उसके पेट तक पहुंच रहा था.
ठाप ठाप की आवाज आ रही थी.

मैंने उसका लंड पकड़ा और धक्कों के साथ लंड हिलाने लगा.
उसे इससे मजा आने लगा था.

दस मिनट चोदने के बाद मेरा लंड भी लाल हो गया था लेकिन कड़कपन कम नहीं हुआ था.

अपनी गांड के अन्दर लंड के अहसास के कारण नीरज के लंड ने जल्द ही पिचकारी छोड़ दी.

मैंने नीरज की गांड में से अपना लंड निकाल लिया.
ब्लूक की आवाज के साथ लंड बाहर आ गया.

फिर मैंने नीरज को छोड़ कर राजन को पकड़ लिया.
मैंने उसे उठा लिया और नीचे से अपना लंड गांड में सैट कर दिया.

राजन भी आराम से मेरे लंड पर बैठ गया.
इस पोजीशन में मेरा लंड बार बार फिसल रहा था. नीरज ने आगे आकर मेरे लंड को राजन के छेद पर पकड़े रखा और उसी समय मैंने झटका लगा दिया.

इस तरह से मेरा लंड राजन की गांड में चला गया था. मैंने राजन को जोर से पकड़ा और अपने लंड पर दबा दिया.

राजन कराहता रहा, पर लंड पूरा अन्दर घुस चुका था.

अब मैं उसे नीचे ऊपर करने लगा.
लंड पूरा अन्दर जाकर बाहर आ रहा था.

राजन भी लय में अपने अन्दर लंड को ले रहा था.
नीरज नीचे मेरे आंड मुँह में लेकर चूस रहा था.
राजन किसी लड़की की भांति मेरी बांहों में झूल रहा था.

कुछ मिनट उसे चोदने के बाद मेरा लंड लंड अकड़ने लगा और माल निकालने को तैयार हो गया.

मैंने राजन को अपने लंड पर दबाये रखा और सारा रस उसकी गांड में भर दिया.

गांड में झटके मार मार कर मेरा लंड सिकुड़ गया था.

थोड़ी देर बाद राजन को नीचे उतार कर मैंने अपना लंड नीरज की तरफ कर दिया.

नीरज ने मेरा लंड चाट कर साफ कर दिया.

फिर मैंने दोनों को कपड़े पहनने को कहा.
दोनों ने कपड़े पहने.

मैंने उन दोनों से कहा कि अब जब भी मैं बुलाऊं, तो तुम्हें आना होगा और मुझसे चुदना होगा. आज से तुम दोनों मेरे लंड की रखैल हो. तुम्हारी गांड पर मेरा राज है.
उन दोनों ने हामी भर दी.

फिर मैंने पूछा- मजा आया ना?
दोनों ने कहा- पहले दर्द हुआ, पर बाद में मजा आया.

फिर मैं दोनों को वहीं छोड़ कर वहां से चल दिया.
गे बॉयज सेक्स स्टोरी इतनी ही थी.

खेतों से घर आकर मैंने नौकरानी मंजू को चाय लाने को बोल दिया.

शाम हो गयी थी, सब लोग घर आ गए.

मेरी सास नीरजा देवी चोर नजरों से मुझे देख रही थीं.

ससुर मुझसे ज्यादा बात नहीं कर रहे थे. मेरी बीवी को मैं ठकुराइन कहता था.

मैंने उसे देखा, पर वो कुछ नहीं बोली.

मैंने बात चालू की- क्या कहा डॉक्टर ने?
इस पर मेरी सास नीरजादेवी घूंघट ओढ़े हुए ही बोलीं- सब ठीक है. दो दिन बाद चैकअप के लिए फिर से बुलाया है.

रात हो गयी थी तो सबने खाना खाया और सोने के लिए अपने अपने कमरे में चले गए.

रात के एक बजे मेरी नींद खुल गयी. मैं उठ गया और अपने सास ससुर के कमरे की ओर चल पड़ा.

दरवाजा धकेला पर, दरवाजा अन्दर से बंद था. दो तीन बार धकेला, पर नहीं खुला. फिर निराश होकर जाने लगा.

अभी मैं तीन चार कदम चला ही था कि दरवाजा खुलने का आवाज आयी.

मैंने मुड़ कर देखा कि मेरी सास घूंघट लिए दरवाजा खोल कर बाहर आयी हुई थीं.

वो मेरे पास आकर धीमे से बोलीं- अभी रुकना!

उन्होंने ये कह कर कमरे में वापस पैर रखे और दरवाजा बंद कर दिया.

दरवाजा बंद करते हुए उन्होंने इशारा किया कि मैंने दरवाजा खुला रखा है.

मैं उनका इशारा समझ गया और अन्दर घुस गया.

मैंने अन्दर जाते ही बिंदास अपनी सास नीरजा देवी की साड़ी खींच ली. उस झटके से नीरजा देवी गिरने वाली थीं पर मैंने उन्हें संभाल लिया और अपनी बांहों में उठा लिया.

अब सास अपने दामाद की बांहों में थीं.
वो शर्म से गड़ी जा रही थीं.

मैंने उन्हें बेड पर ससुर के बगल में लिटा दिया, सास की चोली निकाल कर उनके स्तनों को आजाद कर दिया.

अपने पति के बगल में लेटी नीरजादेवी के कपड़े उनका दामाद निकाल रहा था.

मेरी सास शर्म से गड़ी जा रही थीं. ये दोहरी शर्म का हमला था.
एक तो दामाद कपड़े उतार रहा था, दूसरा बगल में पति सो रहा था.

शर्म और डर दोनों के साथ नीरजादेवी की हालत खराब हो चली थी.

उनकी चूत रस टपका रही थी, तो वो भी अपने गबरू दामाद के साथ संभोग करना चाह रही थीं.

मैंने अपनी सास के घाघरे का नाड़ा खोल दिया तो नीरजादेवी ने अपने हाथ से अपना मुँह छुपा लिया.

मेरी सास में घाघरे के अन्दर कुछ नहीं पहना था.
शायद उन्हें ये आभास हो गया था कि आज भी दामाद को उन्हें अपनी चूत का मार्ग देना ही होगा … या शायद अंतरा की चुदाई देखकर उनकी अन्तर्वासना फिर से जोर पकड़ने लगी थी.
उनकी चूत गीली हो चुकी थी.

मैंने अपना हाथ सास की गीली चूत पर रख कर उंगली अन्दर सरका दी.
सास चहक उठीं.

मैंने उंगली चूत में चलानी चालू कर दी. दूसरा हाथ मस्त मुलायम मम्मों पर ले गया. एक दूध पर हाथ रख दूसरे को मैंने अपने मुँह में भर लिया.

इस तिहरे हमले से नीरजादेवी पागल होने लगीं, जोर जोर से थरथराते हुए झड़ने लगीं.
पर मैं रूका नहीं … अपनी उंगली से चूत को मसलता रहा. मेरा हाथ और मुँह से उनके मम्मे को दबाना चूसना चालू रखा.

दोस्तो, सेक्स कहानी के अगले भाग में सास की भरपूर चुदाई की कहानी का मजा लिखूँगा. आप मेल कीजिएगा.

गे बॉयज सेक्स स्टोरी का अगला भाग:

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