टीचर की अन्तर्वासना ने मुझे चुदक्कड़ बनाया-1

Antarvasna

मैं बहुत सीधा लड़का था मगर मेरी एक टीचर ने मुझसे अपनी अन्तर्वासना का इलाज करवाया. वो मुझे अपनी चूचियां और चूत दिखा कर मेरा लंड खड़ा करवा देती थी.

नमस्ते दोस्तो … मैं आपका दोस्त अपनी नई सेक्स कहानी लेकर हाज़िर हूँ … क्योंकि इस अन्तर्वासना कहानी ने मेरी टीचर में मुझे ये सिखा दिया था कि सेक्स कितनी मजेदार चीज़ है.

आपको मेरी पिछली कहानी

में ज़रूर मजा आया होगा … उसके लिए आपके अनेकों मेल भी मिले. सभी मेल करने वालों को धन्यवाद.

मेरा नाम सोनू है, मेरी हाइट 5 फुट 8 इंच है. मैं दिखने में स्मार्ट हूँ और बहुत सीधा हूँ.

यह कहानी मेरी पिछली कहानी से पहले की है और मेरे विद्यालय से शुरू होती है, जब मैं पढ़ता था. मैं विद्यालय का सबसे सीधा और पढ़ने वाला छात्र था. हालांकि मैं हर एक टीचर का प्रिय था, मगर एक अध्यापिका थीं … जिनका नाम वंदना था.

वंदना मैम की उम्र 24 साल थी. उनकी हाइट 6 फुट 3 इंच और दूध सी सफेद मदमस्त काया थी. लम्बे घने बाल, आंखों पर सेक्सी चश्मा … चूचों का उभार बड़ा ही आकर्षक था. वंदना मैम की पतली कमर और चूतड़ों ऐसे कि क्या कहूं. कुल मिलाकर वंदना मैम एक मस्त माल लगती थीं. वो इंग्लिश की टीचर थीं.

मैं पढ़ने में अच्छा था … लेकिन मेरी इंग्लिश बहुत खराब थी. वो जब क्लास में पढ़ाती थीं, तो मैं बड़े ध्यान से पढ़ता था, लेकिन हिंदी माध्यम की वजह से मुझे कुछ ज्यादा समझ में नहीं आता था.

वो मुझे बहुत पसंद करती थीं, इसलिए वो मुझे समझाने की बहुत कोशिश करती थीं.

मैं बहुत ही ज्यादा सीधा था, तो मैं हमेशा यही कोशिश करता कि कोई भी टीचर मुझसे नाराज़ न हो.

एक दिन जब वंदना मैम ने मुझे उन्होंने लेसन याद करने को दिया. मुझे याद नहीं हुआ, तो उस दिन उन्होंने मुझे बहुत डांटा. उनकी डाँट से मैं रोने लगा. ये देखकर उस समय उन्होंने कुछ नहीं कहा, लेकिन छुट्टी के बाद उन्होंने मुझे स्टाफ रूम में बुलाया और समझाने और पूछने लगीं कि आखिर क्या बात है.

मैंने उन्हें बता दिया कि मुझे बेसिक ही समझ में नहीं आता है.
उन्होंने कहा कि कल अपनी मम्मी को साथ लेकर आना.

मैं अगले दिन अपनी मम्मी के साथ विद्यालय गया. आप तो जानते ही हैं कि मेरी माँ खुद एक टीचर हैं और वो उस समय छुट्टी पर आई हुई थीं.

वो मेरे साथ विद्यालय आ गईं. जब वो वंदना मैम से मिलीं, तो मैम ने सारी बात दी.
मेरी मम्मी ने कहा कि मैं खुद विद्यालय में रहती हूं … और मुझे इसे पढ़ाने का समय नहीं मिलता है. इसकी नानी भी पढ़ी लिखी नहीं हैं, आप ही बताइए मैं क्या करूं?
तब मैम ने कहा- अगर आप कहें, तो मैं इसे होम ट्यूशन दे सकती हूं.
मम्मी ने कहा- ये तो बहुत अच्छी बात है.

लेकिन मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि ये क्या हो रहा है.

खैर अब मैम घर आकर मुझे पढ़ाने लगी थीं. मेरा कमरा अलग था और नानी काफी बूढ़ी थीं. … वो सही से चल भी नहीं पाती थीं. उनका कमरा भी अलग था.

मैम शाम को 5 बजे मेरे घर आतीं और मुझे सवा घंटे पढ़ातीं. जब वंदना मैम मेरे घर आतीं … तो एक अलग सी खुशबू फ़ैल जाती थी, जो मुझे बड़ी पसंद आती थी. वंदना मैम हर दिन नए कपड़े पहन कर आती थीं. वो विद्यालय में तो साड़ी पहन कर आती थीं, लेकिन मेरे घर पर वो सलवार कुर्ती और दुपट्टा … कभी लेगी कुर्ती, तो कभी जींस टी-शर्ट पहन कर आती थीं. लेकिन उनकी हर ड्रेस में दुपट्टा ज़रूर होता था. पर एक बात और भी थी कि रूम में आते ही उनका दुपट्टा उनके जिस्म से अलग हो जाता था. मैंने गौर किया था कि वंदना मैम की हर ड्रेस से उनके मम्मों की नाली दिखती.

वो अक्सर मेरे बगल में बैठ कर मुझे पढ़ाती थीं. मैं जब पढ़ता था, तो उनकी खुशबू मुझे एक अलग सा अहसास देती थी. मैं कभी कभी उस महक में खो सा जाता था, तो मैम मेरी जांघ पर हाथ रख कर मुझे जगा देतीं.

जब वो मुझे छूतीं, तो मुझमें एक अजीब सी तरंग उठ जाती. मेरी समझ में नहीं आता था कि ये क्या हो रहा है. मैं सीधा तो था … लेकिन जब मैं पढ़ता था, तो मेरी नज़रें उनके मम्मों पर गड़ सी जातीं. उनके बड़े बड़े मम्मे देख कर मुझे थोड़ा अजीब सा लगने लगता. मेरी आंखें बंद होने लगतीं और मेरे लंड में एक तरंग सी दौड़ जाती.

पहले मुझे ऐसा अहसास कभी नहीं हुआ था … शायद मुझे अब मैम के मम्मों को देखने में मजा आने लगा था, इसीलिए मैं उनके मम्मों को चोरी से देख लेता. मुझे बाद में पता चला कि यह तो मेरी अन्तर्वासना के कारण हो रहा था.

शायद वो भी ये बात समझ गई थीं कि मुझे उनके चूचों की नाली देख कर मजा आता है, इसीलिए वो मुझसे और भी चिपक कर बैठ जातीं और मुझे पढ़ाने लगतीं. मुझे उनकी बॉडी की गर्माहट महसूस होती, लेकिन कुछ समझ में नहीं आता कि मुझे क्या हो रहा है. शायद उस वक्त मैं कुछ ज्यादा ही बुद्धू था. हालांकि मैं उस वक्त 19 साल के करीब था.

एक दिन वो मुझे पढ़ा रही थीं. उसी बीच में उन्होंने मुझसे कहा- टॉयलेट किधर है?
मेरा टॉयलेट रूम में ही था, तो मैंने इशारा कर दिया.

वो जल्दी से उठीं और वाशरूम में चली गईं. वंदना मैम को जब काफी देर हो गई थी … मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि मैम को ऐसा क्या हो गया है.

जब वो बाहर नहीं आईं, तो मैंने दरवाजे के पास जाकर आवाज देते हुए पूछा- मैम आप ठीक तो हैं ना!
तब उन्होंने कहा कि हां मैं ठीक हूँ … बस औरतों वाली दिक्कत है … और कुछ नहीं.

अब ये औरतों वाली दिक्कत क्या होती है, मेरे भेजे में कुछ समझ में ही नहीं आया. मैं टेबल के पास खड़ा था.

जब वंदना मैम बाहर आईं, तो उनके कुर्ते से हर बार से ज्यादा उनके मम्मों की झलक दिख रही थी. मैम की कुर्ती थोड़ी छोटी थी, तो उनकी दोनों तरफ से हल्की सी कमर दिख रही थी.
वो मेरे सामने अपनी कुर्ती को सही करने लगीं. मैं उन्हें देखे जा रहा था.

उन्होंने कहा- क्या हुआ?

मैं कुछ नहीं बोला … लेकिन मेरे लंड ने सब कुछ बोल दिया था. मेरा लंड अचानक से खड़ा हो गया था. ये पहली बार ऐसा कुछ देख रहा था.

उनकी निगाह मेरे फूलते लंड पर पड़ गई थी. उन्होंने खड़े होते लंड को देख लिया था. वो हल्के से मुस्कुराईं और बोलीं- आज मुझे कुछ काम है … इसीलिए मैं जल्दी जा रही हूँ.

वो साल का आखिरी दिन था. परीक्षा शुरू हो चुकी थीं और इस बार भी मैं क्लास में अव्वल था. कमाल की बात ये थी कि इस बार मेरे इंग्लिश में और भी ज्यादा अच्छे नंबर आए थे.

अब मैं अगली कक्षा में आ गया था. मैम ने मुझसे कहा- देखा तुमने कर दिखाया.
यह कह कर उन्होंने मेरे गाल सहला दिए. उनका यूं मेरे गालों को सहलाना मुझे बड़ा अच्छा लगा.

फिर उन्होंने कहा- आज तुम्हारे लिए एक गिफ्ट है.
मैंने मैम से पूछा- क्या है?
उन्होंने कहा कि आज से मैं तुम्हें एक्स्ट्रा और कुछ नया पढ़ाऊंगी.
ये सुनकर मैं बहुत ज्यादा खुश था.
तभी उन्होंने कहा- पर मेरी एक शर्त है, आज से तुम मेरे घर आकर पढ़ोगे.

मैं अपने घर गया.
उन दिनों मम्मी घर पर ही आई हुई थीं. उन्होंने मेरा रिजल्ट देखा और अंग्रेजी में अच्छे नम्बर देख कर मुझे शाबाशी दी.

फिर मैंने मम्मी से टीचर की उनके घर जाकर पढ़ने की बात बताई.
मम्मी ने मुझसे कहा- बेटा टीचर जैसा कहें, वैसे ही करना क्योंकि आज तुम्हारा रिजल्ट बता रहा है कि वंदना कितनी अच्छी टीचर हैं. जाओ आज से उनके घर जाकर पढ़ो. जो भी सिखाएं, ध्यान से सीखना.

मुझे अब इंग्लिश समझ में आती और मेरा मन मैम के साथ पढ़ने में ज्यादा लगता. मैं रोज़ उनके घर पढ़ने के लिए जाने लगा था.

मैम अपने घर में हमेशा किसी न किसी सेक्सी सी ड्रेस में होतीं. वो कभी गाउन पहने हुए होतीं, तो कभी शर्ट एंड शॉर्ट्स में होतीं, कभी लांग स्कर्ट और टॉप पहने हुए होतीं.

लेकिन उनके हर कपड़े में उनकी बाजू खुली रहती. कुछ कपड़ों से तो साइड से उनके चूचे तक दिख जाते, पता नहीं क्यों … ये देख कर मेरा लंड खड़ा हो जाता था.

वंदना मैम के घर में उनकी मम्मी और पापा थे. उनका एक भाई भी था, पर वो बाहर कहीं जॉब करता था. मेरे अच्छे व्यवहार से उनके घर में धीरे धीरे उनके मम्मी पापा को अच्छा लगने लगा.

मुझे उनके घर पढ़ने जाते हुए करीब दो महीने हो चुके थे. अब तो वंदना मैम मुझे अपने रूम में ही पढ़ाने लगी थीं. शायद वो अपने रूम में किसी को आने नहीं देती थीं. उनके रूम में एक दीवार पर बहुत अच्छी कलाकृति बनी हुई थी. मुझे वो बड़ी अच्छी लगती थी. वो शायद खजुराहो की कोई सम्भोग वाली कलाकृति थी.

समय निकलता गया. अब मैं देखता कि टीचर जी अपने कपड़े ऐसे ही बेड पर रख देती थीं. कई बार उनकी पैंटी और ब्रा भी बेड पर ऐसे ही पड़ी रहतीं.

ये सब मैंने इससे पहले कभी नहीं देखा था … मुझे तब भी अजीब नहीं लगा. पर शायद मैम जान बूझकर ऐसा करती थीं. मैडम मेरी अन्तर्वासना से खेल रही थी शायद.

खैर अब दो महीने हो चुके थे. उस दिन मेरा 19वां जन्मदिन था. मैं मैम के घर गया.

मैंने पूछा- मैम आप मुझे कोई नया विषय भी पढ़ाने वाली थीं?
उन्होंने मुझे हैप्पी बर्थडे कहते हुए कहा- हां मुझे पता है कि आज तुम्हारा जन्मदिन है … और मैं आज ही से नया विषय पढ़ाऊंगी. लेकिन पहले मैं नहा लूं … फिर आती हूँ.
मैंने कहा- ठीक है मैम.

उनका बाथरूम उन्हीं के कमरे में अटैच था. वो नहाने चली गईं.

करीब 15 मिनट बाद उन्होंने मुझे आवाज़ दी और कहा- मैं अपनी तौलिया वहीं भूल गई हूँ … तुम मुझे दे दो.
मैंने कहा- ठीक है.

मैं बाथरूम के पास जैसे ही गया, मैंने देखा कि पूरा गेट खुला हुआ था और मैम पूरी नंगी खड़ी थीं.

मैंने हाथ से अपनी आंखें बंद कर लीं. मैंने ऐसा जाहिर किया कि मैंने कुछ नहीं देखा, लेकिन मैम ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे अन्दर करके दरवाज़ा बन्द कर लिया.
मैं काँप रहा था, क्योंकि इससे पहले मैंने न ही ऐसा कुछ देखा था और न ही किया था.

वो मेरे करीब आईं और मेरा हाथ मेरी आँखों से हटा कर बोलीं- सोनू एक बार देखो तो सही.
मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि ये क्या हो रहा है. मैं कुछ बोल भी नहीं पा रहा था.

उन्होंने कहा कि नया सब्जेक्ट पढ़ना है … तो मेरी बात ध्यान से सुनो … और जैसा मैं कह रही हूँ, वैसा करो.
मुझे अपनी मम्मी की बात याद आ गई कि मैम जो सिखाएं, ध्यान से सीखना. फिर क्या था … जैसा उन्होंने कहा, मैंने आंख खोलीं और उनकी तरफ देखा. मेरी सेक्सी वंदना मैम पूरी नंगी थीं. उनके चुचे इतने बड़े और रसीले थे, कमर सेक्सी और गांड तो महा सेक्सी थी.

मेरी तो मानो सांसें ही रुक गई थीं क्योंकि इससे पहले मैंने ऐसा कुछ नहीं देखा था.
टीचर ने कहा- क्या मैं तुम्हें मस्त भरा हुआ माल लग रही हूं?
मेरी कुछ समझ में नहीं आया. मैंने सकुचाते हुए कहा- मैम, ये माल क्या होता है?
वो मुस्कुराईं और बोलीं- जरा रुको बताती हूँ.

वंदना मैम ने अपने चुचे दोनों हाथों से उठाए और दबा कर बोलीं- ये मौसंबियां हैं … इनको चूसने से माल निकलता है.

फिर एक हाथ अपने पेट को सहलाती हुई कमर पकड़ कर बोलीं- ये जवानी की निशानी है!
और फिर अपने दोनों हाथ से अपनी चूत को फैला कर बोलीं- ये जादुई गुफा है … इसमें माल भरा रहता है.

फिर मैम ने पीछे मुड़ कर अपने चूतड़ों को हाथों से हिलाकर कर कहा कि ये सब मिला कर बनता है माल, जिस लड़की के चुचे, कमर और गांड को देख कर चोदने का मन करे … तो समझ जाओ कि वो लड़की माल है. तुम अभी छोटे हो … लेकिन तुम्हें देखती हूं … तो मेरा ब्वॉयफ्रेंड मुझे याद आ जाता है.

मैं चुपचाप वंदना मैम की बातों को सुनता रहा. मेरी ट्यूशन का वक़्त भी खत्म हो चुका था. मैंने कहा- मैम अब मैं जा रहा हूँ.

उन्होंने मुझे रोका नहीं … क्योंकि घर में सब लोग मौजूद थे. लेकिन पीछे से आवाज़ आई कि अब मैं तुम्हें ये सब्जेक्ट रोज एक्स्ट्रा एक घंटे पढ़ाऊंगी … अपने घर पर कह कर आना.

मैं अपने घर चला गया, लेकिन मैं घर जाने के बाद अपने रूम में यही सोचता रहा कि ये सब क्या था. मगर मुझे भी कहीं न कहीं बहुत मज़ा आया था.

उस दिन मेरे दिमाग से टीचर का वो नंगा जिस्म नहीं भूल पा रहा था. मैं जैसे तैसे सो गया.

टीचर की अन्तर्वासना की कहानी का अगला भाग :

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