जीजा की नजर साली की कुंवारी बुर पर-1

Antarvasna

जवानी में कदम रखते ही मेरी अन्तर्वासना जागने लगी थी. सेक्स और चुदाई की बात सोच मेरी कुंवारी बुर गीली हो जाती थी। एक बार होली पर जीजा ने मुझे मसल दिया तो …

दोस्तो, आप सबकी मुस्कान सिंह एक नई कहानी के साथ फिर से आप लोगों के सामने आई है।

अभी तक अन्तर्वासना साईट पर प्रकाशित मेरी सभी कहानियों को आप लोगों ने काफी पसंद किया, उसके लिए आप लोगों का दिल से शुक्रिया।
आप लोगों के इतने मेल मुझे मिलते हैं मगर माफ करिए मैं सभी को जवाब नहीं दे सकती।
और कृपया मुझसे फ़ोन नंबर या मिलने के लिए मत मेल किया करिये, मैं ये सब नहीं कर सकती।

जैसा कि मैं पहले भी बता चुकी हूं कि मैं जो भी कहानी लिखूंगी वो सत्य घटनाओं पर ही लिखूंगी क्योंकि जो बात सत्य घटना में होती हैं वो बात बनावटी कहानी में नहीं।

इस जीजा साली सेक्स की कहानी में आज आपको मैं अपनी एक अच्छी सहेली आरोही के बारे में बताऊँगी जिसने अपनी जिंदगी के पल मेरे साथ साझा किए।
वैसे तो अब वो शादीशुदा है मगर ये कहानी उसकी शादी से पहले की है।

तो दोस्तो, चलते हैं जीजा साली की चुदाई कहानी की तरफ।

हरियाणा की रहने वाली 19 वर्ष की आरोही की है। वह 12वीं क्लास की छात्रा है और एक खूबसूरत जिस्म की मालकिन है।

आरोही के घर में आरोही के अलावा उसके माता पिता और एक बहन थी जिसकी शादी हो चुकी है। आरोही के पिता एक किसान होने के साथ साथ बैंक में क्लर्क के पद पर भी हैं।
उनका परिवार बिल्कुल सामान्य ही है और आरोही भी एक सामान्य सी लड़की थी।

जवानी में नई नई कदम रखने के बाद आरोही के मन में भी काफी उथल पुथल रहती थी सहेलियों के द्वारा सेक्स के बारे में बातें होती थी मगर कभी ऐसा मौका उसे मिला नहीं था।

उसके बहन के पति मतलब उसके जीजा काफी रंगीन मिजाज के आदमी थे और जब से आरोही कुछ बड़ी हुई थी वो अक्सर उसे छेड़ने का कोई मौका नहीं छोड़ते थे।

जब भी वो आरोही के यहाँ आया करते तो आरोही के साथ ही ज्यादा समय बिताते क्योंकि उनके घर पर आरोही के पिता के अलावा दूसरा कोई मर्द था नही।
इसलिए आरोही के साथ ही हँसी मजाक चलता रहता था।

दोस्तो, मैं आपको आरोही के शरीर के बारे में बता दूं।
उसकी लंबाई 5.5 फीट, रंग गोरा, शरीर काफी गदराया हुआ। और उसका फिगर 34 30 36 था।
जैसा कि फिगर में है कि उसके दूध और चूतड़ काफी बड़े बड़े थे। खासकर उसके कूल्हों को देखने से ही लोगों के लंड खड़े हो जाते थे।
वो काफी हट्टी कट्टी गदराए बदन की लड़की है।

तो दोस्तो अब आरोही की कहानी उसके ही जुबानी पढ़ते हैं।

मैं अभी 12वीं की परीक्षा की तैयारियों में लगी हुई थी। मेरा रोज का काम सुबह स्कूल जाना और दोपहर 2 बजे वापस आकर घर का काम करना और शाम को 6 बजे ट्यूशन जाना।
दोस्तो, मैंने कभी भी सेक्स नहीं किया था मगर अपनी सहेलियों के साथ फ़ोन पर कई बार गंदी फ़िल्म देखा करती हूं।

मेरी कई सहेलियों के बॉयफ्रेंड थे और उन लड़कियों ने बुर चुदाई का अनुभव ले लिया था।

मेरे मन में भी हमेशा सेक्स की बात घूमा करती थी। जब भी रात में मैं अकेली सोती थी तो सेक्स और चुदाई की बात सोच कर मेरी चड्डी गीली हो गया करती थी।

मैं हमेशा ही सलवार कमीज पहना करती हूं। और जब भी स्कूल ड्रेस में स्कूल के लिए निकलती तो कई लोगों की निगाह मेरे ऊपर होती थी।

कई बार तो कुछ लोग मुझे सुना कर कई बातें कहते थे। मेरे तने हुए दूध को देख बहुत लोग आहें भरा करते थे।
यहाँ तक कि जहाँ मैं ट्यूशन जाती थी वही रास्ते में एक अंकल हमेशा मुझे ताड़ते रहते थे।

ये सब देखकर मेरे मन में और भी ज्यादा उथलपुथल मची रहती थी। सच कहूँ तो मेरा भी मन अब चुदाई के लिए बेताब था।
मगर घर का डर मुझे ऐसा कुछ करने से हमेशा रोकता था।

दोस्तो, पिछली होली में मेरे साथ एक ऐसी घटना हुई जो शायद जिंदगी भर नहीं भूल सकती।

मेरी दीदी के पति मतलब मेरे जीजा जी होली मनाने के लिए हमारे घर आए हुए थे। दीदी तो माँ के साथ ही व्यस्त रहती थी और जीजा हमेशा मेरे साथ ही हँसी मजाक किया करते थे।
मगर उनके प्रति मेरे मन में ऐसा कुछ गलत कभी नहीं आया क्योंकि वो मेरे दीदी के पति थे औऱ मुझसे उम्र में भी बड़े थे। उनकी उम्र 30 साल की थी और मैं 19 की।

होली की सुबह सुबह ही हम लोगों ने नहा कर भगवान की पूजा की और करीब 11 बजे मैं अपनी सहेलियों के साथ होली खेलने के बाद दीदी के साथ होली खेल रही थी।
उस वक्त जीजा हम दोनों को देख रहे थे।

दीदी के साथ होली खेलने के बाद दीदी नहाने चली गई और मैं घर के पीछे आंगन में बैठी हुई धूप का मजा ले रही थी।
पापा भी अपने दोस्तों के साथ बाहर निकल गए थे और माँ पड़ोस में गई हुई थी।

मैं कुर्सी में अकेली ही बैठी हुई थी कि तभी पीछे से जीजा ने मुझे पकड़ लिया। उनके दोनों हाथों में बहुत सारा रंग था।
उन्होंने मुझे जकड़ लिया और बोले- आज मेरी बीवी को तुमने रंग लगाया है, अब तुम्हारी बारी है, अब तुम तैयार हो जाओ साली साहिबा।

और इतना बोलते हुए जीजा मेरे गालों पर रंग लगाने लगे.

उस वक्त मैंने दुपट्टा नहीं लिया था और मेरे बड़े बड़े दूध मेरी कुर्ती से बाहर निकलते आ रहे थे।
गालों पर रंग लगाते हुए वो मेरे गले पर रंग लगाने लगे। मैं चुपचाप कुर्सी पर बैठी उनसे प्रेम से रंग लगवा रही थी।

इतने में उन्होंने अपनी जेब से और भी सारा रंग निकाला और हाथों में लेकर मलने लगे।
मैं बोली- जीजा, अब औऱ कितना लगाओगे बस करो।
तो वो बोले- तू साली है मेरी … मतलब आधी घर वाली है. तुझे तो हर जगह रंग लगाना है।
मैं हँसती हुई बोली- क्या मतलब?

मेरा इतना बोलना हुआ कि उन्होंने अपने दोनों हाथ मेरे गले के पास से मेरी कुर्ती के अंदर डाल कर मेरे दोनों दूध को जकड़ लिया।

मैं मचलती रही मगर वो मेरे दूध में रंग लगाते रहे। मैं उनसे छुटने की कोशिश करती रही मगर वो रंग लगाते रहे।
रंग के बहाने वो मेरे दूध को जोर जोर से मसल रहे थे।

पहली बार किसी मर्द ने मेरे दूध को छुआ था। सच में मैं बहुत मचल रही थी।

किसी तरह से मैं कुर्सी से उठी तो उन्होंने मुझे पीछे से जकड़ लिया। जीजा का मोटा सा लंड मेरी गांड में चिपक गया। मुझे बहुत अजीब सा लगा. उनका लंड एकदम कड़ा था।

उन्होंने मेरे पूरे दूध पर रंग लगाया और हाथ निकाल कर एक हाथ से मेरे दोनों हाथों को जकड़ लिया।
उसके बाद जीजा अपना एक हाथ मेरी चड्डी में डाल कर मेरे चूतड़ों पर रंग लगाने लगे।

मुझे बहुत शर्म आ रही थी मैं छूटने की कोशिश करती रही मगर वो रंग लगाते रहे।
जीजा ने मेरे चूतड़ पर रंग लगाया फिर गांड की दरार में हाथ डाल दिया और मेरी बुर तक हाथ डाल दिया।

अब मुझे बहुत ही अजीब सा लगा मैंने पूरी ताकत से उनको धक्का दिया और उनसे अलग हो गई।
मैंने जल्दी से अपने कपड़े ठीक किये.
जीजा बस मुझे देखकर मुस्कुरा रहे थे।
मैं हँसती हुई वहाँ से भाग गई।

दीदी जब नहा कर बाहर निकली तो मैंने अपने कपड़े लिये और तुरंत बाथरूम में घुस गई।
मैंने अपने आपको आईने में देखा।

मेरी साँसें तेज़ी से चल रही थी जीजा की वो हरकत सोच सोच कर दिल में हलचल मची हुई थी। मैंने अपने सारे कपड़े उतार फेंके. मेरे दूध एकदम से तने हुए थे उन पर रंग लगा हुआ था। मेरे पेट, चूतड़ और थोड़ा रंग बुर में भी लगा हुआ था।

मैंने फव्वारा चालू किया और मुझ पर पानी की बूंदें गिरने लगी।
पर दोस्तो … जो आग मेरे अंदर लगी हुई थी वो शांत नहीं हो रही थी।

मैंने अपने पूरे बदन को अच्छे से साफ किया मगर कुछ रंग बच ही गया। नहा कर मैं बाथरूम से बाहर निकली और अपने कमरे में जा कर बैठ गई।

मैं सोचने लगी कि ये बात किसी को बताऊँ या नहीं? अगर बता देती हूं तो कहीं कोई बवाल न हो जाये!
यही सब सोचते हुए मैंने किसी को कुछ नहीं बताने का फैसला लिया।

सारा दिन मैं अपने कमरे में ही रही. शाम को जब मैं अपने काम में व्यस्त थी तो जीजा बार बार मुझे ही देख रहे थे. उन्होंने कई बार मेरे पास आने की कोशिश भी की मगर मैं उनसे दूर हो जाती।

रात को खाना खाने के लिए सब साथ में बैठे हुए थे, उस वक्त भी जीजा की नज़र मुझ पर ही थी। वो बार बार कुछ न कुछ बात करने की कोशिश करते मगर मैं उनको अनसुना कर रही थी।

फिर रात में सब सो रहे थे, मेरे रूम में दीदी और मैं थी और जीजा सामने वाले रूम में सो रहे थे।
रात में 11 बजे दीदी तो गहरी नींद में सो चुकी थी मगर मेरी आंखों में वही बात घूम रही थी मुझे एक भी नींद नहीं आ रही थी।

बहुत कोशिश के बाद भी जब नींद नहीं आई तो मैं उठकर ऊपर छत पर टहलने चली गई।
उस वक्त रात के 12:30 हो रहे थे।
ऊपर काफी अंधेरा था और हल्की हल्की ठंड पड़ रही थी।
मैं छत पर टहल ही रही थी कि अचानक से जीजा भी वहाँ आ गए।
शायद उन्होंने मुझे ऊपर आते देख लिया था।

मैं उनको देख नीचे की तरफ जाने लगी मगर उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया।
मैं हाथ छुड़ाने की कोशिश करती रही मगर सफल नहीं हो पाई।
मैं उस वक्त आवाज भी नहीं कर सकती थी क्योंकि ऐसे में सब लोग हमको गलत ही समझते।

जीजा ने मुझे पास खींचा और बोले- डरो मत, मुझे तुमसे कुछ बात करनी है, फिर तुम चली जाना।
मैं भी धीरे से बोली- बोलिए जल्दी?
पर वो मुझे दीवार के पास ले गए और बोले- देखो आरोही, सुबह जो कुछ हुआ वो बस एक मस्ती थी उसके बारे में किसी को कुछ मत बोलना. नहीं तो सब गलत समझेंगे।

“मैं किसी को कुछ नहीं बोलूंगी. आप चिंता मत करिए. बस मुझे अभी जाने दीजिए, किसी ने देख लिया तो अच्छा नहीं होगा।”
“मतलब तुम नाराज नहीं हो न मुझसे?”
“नहीं! मगर आपको ऐसा नहीं करना चाहिए था।”
“क्यों?”
“आप मेरी दीदी के पति हैं. आपको ये नहीं करना चाहिए।”
“अरे तुम मेरी साली हो और जीजा साली में इतना मजाक चलता है।”

मेरी बात से शायद उनको तसल्ली हो गई थी कि मैं ये बात किसी को नहीं बताऊँगी इसलिए उनकी हिम्मत अब औऱ बढ़ गई।
उन्होंने मुझे अपने से लिपटा लिया और बोले- तुम चीज ही ऐसी हो कि किसी का भी मन डोल जाए।

मैं फिर से उनसे छूटने की कोशिश करने लगी मगर वो मुझे कसकर जकड़े हुए थे।
तो मैं बोली- प्लीज जीजा, मुझे जाने दीजिए. कोई आ गया तो दिक्कत हो जाएगी।

मगर उन्होंने एक शर्त रख दी- अगर तुम चाहती हो कि तुमको जाने दूँ तो मुझे एक पप्पी दो और चली जाओ।
मैं सोच में पड़ गई क्या करूँ क्या नहीं।

मैंने अपनी आँख बंद की और अपना गाल उनकी ओर करते हुए बोली- लो जल्दी करो।
“नहीं गाल पर नहीं … होंठ पर!”
“नहीं नहीं … वहाँ नहीं, गाल पर ही करो।”

मेरी इतनी छूट का फायदा उठाकर उन्होंने मेरा चेहरा सामने किया, एक पल में ही अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिये और एक हाथ से मेरी कमर और दूसरे हाथ से मेरे सर को कस लिए।

वो मेरी जिंदगी का पहला चुम्बन था दोस्तो।

जीजा अपनी जीभ चला चला कर मेरे होंठो को चूमते चूसते रहे।
मैं भी कुछ विरोध के बाद न जाने क्यों अपने आप को उनको सौम्प चुकी थी।

मेरी चड्डी अपने आप गीली होने लगी। मेरे हाथ उनके बालों को सहलाने लगे। मुझे पता नहीं क्या हो रहा था उस वक्त!

जब मैंने कोई विरोध नहीं किया तो जीजा ने मेरे सर से हाथ हटा लिया और सीधा मेरे दूध पकड़ लिए उनके ऐसा करने से मेरे अंदर एक बिजली सी दौड़ गई।
मैंने भी उनको जकड़ लिया।

जीजा मेरे दूध को कुर्ती के ऊपर से ही मसलने लगे। मैंने महसूस किया कि मेरी जांघों पर कुछ गड़ सा रहा था।
ये जीजा का लंड था जो कि पूरा खड़ा होकर मेरी जांघ पर टकरा रहा था।

इस बीच उन्होंने मेरी कुर्ती कब मेरे सीने तक उठा दी मुझे महसूस नहीं हुआ। उन्होंने मेरा एक उरोज ब्रा से बाहर निकाल लिया और मेरे होंठ को छोड़ दूध की तरफ़ झुक गए।
जैसे ही उन्होंने मेरे निप्पल को मुँह में लगाया मेरे मुँह से निकला- सीसी सीसीससी सीसी आआहहह।
मुझे असीम सुख मिला उस वक्त।

जीजा बहुत प्यार से मेरे चूचुक को चूस रहे थे।
मेरे दोनों निप्पल खड़े हो गए थे।

मैं यहाँ दूध चुसवाते हुए मजा ले रही थी, वहां जीजा का एक हाथ मेरी लैगी के अंदर घुस चुका था।
अब वो मेरी गीली बुर को उँगलियों से सहला रहे थे।
“बसस्स सस्सस जीजा जी बसस्स करो … कोई आ जायेगा. छोड़ दो न अब!”

सच में पहली बार कोई मर्द मेरे जिस्म के साथ इस तरह खेल रहा था। मुझे बेइंतहा मजा आ रहा था।

कुछ ही देर बाद मेरी बुर ये सब सह नहीं सकी और मैं झड़ गई। मेरी बुर से गर्म गर्म पानी मेरी जांघों की तरफ जाने लगा।

उसके बाद मुझे कुछ होश आया और मैं तुरंत जीजा से अलग हो गई- बस जीजा जी इतना काफी है. अब बस करो।
वो मुझे फिर से खीचे और बोले- मुझे तुझको चोदना है।
“छी ईईईई!”
“क्यों क्या हुआ?”
“नहीं वो नहीं।”
“क्यों?”

मैं शर्माती हुई बोली- बाद में कभी।
“पक्का न?”
“हाँ पक्का! पर किसी को बताना नहीं आप!”
“अरे हम दोनों किसी को नहीं बतायेंगे. बस तू तैयार रहना।”

मैं उनसे अलग हुई और अपने कपड़े ठीक करके बोली- अच्छा. अब मैं कमरे में जा रही हूँ।
और भाग कर कमरे में आ गई।

पूरी रात मैं बस उस पल को याद करती रही. कब सुबह हो गई पता भी नहीं चला।

उसके बाद अगले दिन दीदी और जीजा दोनों चले गए।

पर बीच बीच में जीजा से फ़ोन पर बात होती रहती थी। फ़ोन पर भी जीजा सेक्स की बात करते थे।
वो कई बार बोले- किसी होटल में चलते हैं, वहाँ मजा करेंगे.
मगर मैं हमेशा मना कर देती थी।

पर दोस्तो, जीजा की किस्मत में ही मेरी पहली चुदाई का सुख लिखा था।
ये सब कैसे हुआ ये कहानी के अगले भाग में पढ़िए।

किस तरह मेरी कुंवारी बुर की सील टूटी और जीजा ने मेरी जवानी कैसे लूटी।
मिलते हैं मेरी अन्तर्वासना की कहानी के अगले भाग में।

जीजा साली सेक्स स्टोरी का अगला भाग:

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