चुदक्कड़ बहन ने मम्मी भी चुदवा दी

Family Sex Stories

माँ बहन की चुदाई कहानी में पढ़ें कि मैं मेरी बहन के जिस्म का दीवाना था. वो मुझसे चुदने लगी. एक दिन मॉम ने हमें सेक्स करते देख लिया. फिर क्या हुआ?

दोस्तो, मैं आपको अपने जीवन की एक सच्चाई बताना चाहता हूं. ये बात मेरी सगी बहन के बारे में है. मैं अन्तर्वासना पर ये माँ बहन की चुदाई कहानी शेयर करना चाहता हूं ताकि आप लोगों की राय ले सकूं.

ये बात तब की है जब मैं 19 साल का था और मेरी बहन 23 साल की थी. हो सकता है कि आपको मेरी यह कहानी काल्पनिक लगे लेकिन मुझे उससे इत्तेफाक नहीं है क्योंकि जो हुआ वो ही मैं आपको बता रहा हूं.

मैं शुरू से ही अपनी बड़ी बहन का दीवाना था. उसकी बड़ी बड़ी चूची, कूल्हे और मांसल जांघें देखकर मेरा तब भी पानी निकल जाता था और आज भी निकल जाता है.

मैं हमारे घर में सबसे छोटा था.
मेरी दीदी उस वक्त अकेली ही रूम में सोती थी तो उसको डर लगता था. इसलिए कभी कभी वो मुझे अपने कमरे में सोने के लिए कह देती थी.

जब वो नींद में होती थी तो मैं रोज उसके बूब्स पर हाथ रख देता था. उसके बूब्स को धीरे धीरे सहलाता था.
मुझे नहीं पता कि उसको कुछ पता चलता था या नहीं लेकिन कभी मैंने उसके चेहरे पर कोई रिएक्शन नहीं देखा.
मैं उसकी चूचियों को आराम से सहलाकर सो जाता था.

कई बार मैं ऐसा कर चुका था और अब मैं आगे बढ़ना चाहता था क्योंकि जब एक चीज मिल जाती है तो फिर उससे ज्यादा की उम्मीद हो जाती है.
फिर मैं ऐसे ही करते करते उसकी नाइटी को भी उठाने लगा.

एक दिन मैंने दीदी की नाइटी उसकी जांघों तक उठाई और उसकी पैंटी देखी. पैंटी में नीचे उसकी चूत के लिप्स मुझे दिखाई दिये.

मैंने धीरे से दीदी की चूत के होंठों को भी छेड़कर देखा.
मुझे बहुत मजा आया.
मेरा लंड उस दिन फटने को हो गया और मेरा मन करने लगा जैसे कि अभी दीदी की पैंटी को उसकी चूत से हटा दूं और अपना लंड उस पर फिराऊं और उसमें घुसा दूं.

ऐसे ही एक रात को मैंने दीदी की नाइटी को उसकी ब्रा तक उठा दिया.
मैंने उसकी ब्रा के ऊपर से उसकी चूचियों को भी छुआ.
उस दिन मुझे ब्रा में दीदी की चूचियों के निप्पल भी महसूस हुए.

अब मेरी हिम्मत काफी बढ़ने लगी थी.
मैं सोच रहा था कि अब जब भी मुझे अगला मौका मिलेगा तो मैं दीदी की चूत को पैंटी उतार कर देखूंगा.
एक दिन फिर से दीदी ने मुझे उनके रूम में सोने को कहा.

मैंने उस दिन दीदी के सोने का इंतजार किया. रात को मैं एक बजे तक जागता रहा.
जब दीदी सो गयी तो मैंने चुपके से उसकी नाइटी उठा दी.
दीदी ने उस दिन जालीदार ब्रा और पैंटी पहनी हुई थी.

गुलाबी रंग की पैंटी में दीदी की गोरी जांघें और गुलाबी ब्रा में दीदी के गोरे गोरे बूब्स को देखकर मैं तो पागल सा हो रहा था. मैंने पहले उसकी चूत को पैंटी के ऊपर से चूमा और फिर उसकी पैंटी को हटाकर उसकी चूत को देखा.

मैं पैंटी को पूरी नहीं निकाल सकता था क्योंकि दीदी की पैंटी उसकी गांड ने नीचे दबी होती थी.
मेरी बहन की चूत बहुत ही सेक्सी थी. दीदी अपनी चूत को बिल्कुल साफ रखती थी.

हिम्मत करके मैंने पैंटी को थोड़ा और हटाया और उसकी चूत के पास मुंह को ले गया. मैंने दीदी की चूत पर होंठों से चूमा और उसकी चूत की खुशबू मुझे आने लगी.

मैं तो उसकी चूत की खुशबू में खो ही गया. दीदी की चूत में जीभ देने का मन कर रहा था लेकिन मैं ऐसा करता तो दीदी शायद जाग जाती.
मगर मुझसे रुका नहीं गया और मैंने दीदी की चूत पर हाथ रख कर अपने लंड की मुठ मारी और मेरा पानी तभी निकल गया.

उसके बाद मैं शांत होकर सो गया.
मगर मेरे मन में एक सवाल बार बार आ रहा था कि मैं दीदी के साथ इतना सब कुछ करता हूं लेकिन उसको जरा भी पता नहीं चलता?
क्या कोई सच में इतनी गहरी नींद में होता है?

मुझे इस बता का पता करना था. मैंने अपने एक फेसबुक फ्रेंड से इस बारे में बात की.
मैंने उससे कहा कि मैं एक लड़की को ऐसे रात में छेड़ता हूं. उसकी चूचियों के साथ खेलता हूं क्या उसको पता नहीं चल रहा होगा या फिर वो नाटक करके सोई रहती है?

वो बोला- इस बात को पता करने का एक ही तरीका है.
मैंने पूछा- कैसे?
वो बोला- जब तू उसको छेड़े तो उसकी चूत में उंगली करके देखना. अगर चूत गीली हुई तो वो नाटक रही है और नींद का बहाना करके मजा ले रही है. उसकी निप्पल अगर तनी हुई हों तो भी वह मजा ले रही है।

फिर मैंने वैसे ही किया.
अगली बार जब मैंने दीदी की चूत को छेड़ा तो मैंने धीरे से उसकी चूत की फांकों में उंगली चलाकर देखी.
दीदी की चूत अंदर से गीली मिली.

उस दिन मैंने ध्यान दिया कि दीदी के निप्पल्स भी कड़क हो गये थे.

मैंने अगले दिन अपने दोस्त को ये बात बताई.
वो कहने लगा कि अगली बार तुम उसको सोती हुई को ही चोद दो. वो कुछ नहीं कहेगी क्योंकि उसकी चूत में वो मजा ले रही है. वो लंड से चुदना चाहती है.

मैंने भी वैसा ही किया.
अगली बार जब मैं दीदी के रूम में था तो रात को दो बजे मैंने सोच लिया था कि दीदी की चूत में लंड दे ही दूंगा.

धीरे धीरे मैंने उसको किस किया. फिर मैंने दीदी के बूब्स को दबाया. उसकी चूत को छेड़ा.
उसके बाद मैंने उसकी नाइटी को उतारा.
आज मैं दीदी को पूरी नंगी करना चाहता था.

मैंने दीदी की पैंटी भी खींची. धीरे धीरे पैंटी खींचकर मैंने उसकी चूत को भी नंगी कर दिया. मुझे थोड़ा समय तो लगा लेकिन मैं उसकी पैंटी उतारने में कामयाब हो गया था।

दीदी की चूत मेरे सामने थी. आज मेरा सपना पूरा होने वाला था.
मैं दीदी की चुदाई करना चाहता था. मगर मुझे डर भी लग रहा था लेकिन सच्चाई का पता लगाना भी जरूरी था.

मैंने दीदी की चूत पर लंड लगाया और उसको अंदर करने की कोशिश करने लगा.
दीदी की चूत बहुत टाइट थी.

मैं ज्यादा कुछ कर नहीं सकता था क्योंकि दीदी सोई हुई थी.
धीरे धीरे मैंने कई बार उसकी चूत में लंड देने की कोशिश की लेकिन मेरा लंड बार बार फिसल जाता था.

फिर मैंने उठकर उसकी टांगों को थोड़ा सा फैला लिया.
अब उसकी जांघों थोड़ी खुल गयीं और मैं आराम से उसकी जांघों के बीच में लेट गया.

मैंने चूत पर लंड लगाया और धक्का दिया. मेरे लंड का टोपा दीदी की चूत में घुस गया.

मैं हैरान था कि दीदी ने कुछ भी रिएक्ट नहीं किया.
अब मेरा शक गहरा होता जा रहा था क्योंकि कोई चीज चूत में जा रही है और उसको पता भी नहीं चल रहा है? ये कैसे हो सकता था?

मगर मेरे ऊपर अब सेक्स का भूत चढ़ गया था. मैंने सोचा कि दीदी को पता चले या न चले अब तो दीदी की चुदाई करनी ही है.
मैं धीरे धीरे दीदी की चूत में लंड को अंदर बाहर करता रहा.

मुझे बहुत मजा आ रहा था.
चार पांच मिनट तक मैंने दीदी की चूत चोदी और फिर मेरा माल दीदी की चूत में ही निकल गया.
मैंने धीरे से दीदी की चूत से लंड निकाला और फिर दो मिनट के बाद दीदी के कपड़े उसको पहना दिये और सो गया.

दीदी ने कुछ रिएक्ट नहीं किया. अब मेरा विश्वास बढ़ता जा रहा था कि दीदी मेरे लंड के मजे ले रही है.
वो चुदाई करवाना चाहती है.

एक दिन फिर से मैंने दीदी को चोदने का सोचा.

उस दिन भी मैंने वैसा ही किया. मैंने उसके कपड़े उतारे और उसको नंगी करके उसकी चूत में लंड देकर चोदने लगा.
दीदी भी आराम से चुदती रही लेकिन उसने अपनी आंखें नहीं खोलीं.

मैंने दीदी की चूत में अपना माल छोड़ा और फिर अलग हो गया.

मगर आज मैं दीदी की सच्चाई जानना चाहता था. मैंने चोदने के बाद दीदी को उसके कपड़े वापस नहीं पहनाए.
उसको मैंने नंगी ही छोड़ दिया.

मैं चुपचाप उसकी बगल में लेट गया. मैं देखना चाहता था कि अगर वो जाग रही होगी तो अपने कपड़े जरूर पहनेगी.

कुछ देर के बाद वैसा ही हुआ. दीदी जाग गयी और अपने कपड़े पहनने लगी.

तभी मैं भी उठकर बैठ गया.
मैंने दीदी से कहा- आप जाग रही थीं?
वो बोली- और तू भी जाग रहा था?

मैंने कहा- हां, आपको नहीं पता क्या कि मैं जाग रहा था?
फिर उसने मेरी बात का कोई जवाब नहीं दिया और अपने कपड़े पहनने लगी.

उसके पास सरक कर मैंने दीदी का हाथ पकड़ लिया और उससे अपने प्यार का इजहार किया.
फिर उसने मुझे बताया कि वो रोज ही जाग रही होती थी और मजा ले रही होती थी.

फिर हम दोनों के होंठ मिल गये और हम दोनों एक बार फिर से किस करने लगे.
मैंने दीदी के बूब्स को दबाना शुरू कर दिया और उसकी चूत में उंगली से चोदने लगा.

दीदी फिर से चुदासी हो गयी और मैंने उसको नीचे पटक कर फिर से उसकी चूत में लंड दे दिया.
एक बार फिर से हम भाई बहन ने चुदाई का मजा लिया.
फिर हम दोनों सो गये.

उस दिन के बाद से दीदी और मेरे बीच में भाई बहन का नहीं बल्कि पति पत्नी का रिश्ता हो गया.
उसके बाद तो मैं रोज ही दीदी को चोदने लगा.

धीरे धीरे मुझे पता लगने लगा कि मेरी दीदी कितनी चुदक्कड़ है. वो बिना चुदे एक दिन भी नहीं रह सकती थी.
जिस दिन मैं उसको नहीं चोदता था उस दिन वो मुझे बाथरूम में अंदर खींच लेती थी और मेरे लंड को मुंह में लेकर चूसने लगती थी.
मैं भी फिर उसको वहीं चोद देता था.

इस तरह से मैंने दीदी को तीन साल तक चोदा. वो गर्भ निरोधक गोली खाती रही और चुदवाती रही.
फिर उसकी शादी फिक्स हो गयी. शादी के हफ्ते भर पहले दीदी रात को मेरे साथ मेरे ही बिस्तर में पूरे पांच दिन तक नंगी सोई थी.

मैंने उसको उन पांच रातों में लगातार चोदा था. पूरी रात उसको चोदा था.

फिर वो शादी होकर चली गयी. उसके बाद मैं घर में अकेला हो गया.
अब मुझे भी दीदी की चूत की याद आने लगी.

उसके बाद जब वो अपने ससुराल से घर आयी तो मैंने उसको उसी रात बहुत चोदा.
मैं भूखे शेर की तरह उस पर टूट पड़ा. हम दोनों देर रात में चुदाई करते थे और किसी को पता भी नहीं चलता था.

मगर किस्मत हमेशा इतनी अच्छी नहीं रहने वाली थी.
उसी दौरान मां ने हमें चुदाई करते देख लिया और हम मां की नजरों में शर्मसार हो गये.

मगर फिर दीदी को पता नहीं क्या हुआ.
वो नंगी ही उठकर मॉम के पास गयी और बोली- मॉम, हमारे बीच में सब कुछ हो चुका है. हम दोनों पिछले तीन साल से पति पत्नी की तरह रहे हैं. अब आपके कहने से कुछ नहीं बदलेगा. मैं जानती हूं कि पापा आपको अब नहीं चोदते हैं. आप चाहें तो हमारे साथ मिल जाओ.

मॉम ने दीदी को एक थप्पड़ मारा और उसको रंडी, छिनाल, बदचलन, कुतिया जैसी गाली देने लगी.
फिर वो वहां से चली गयी लेकिन हम भाई बहन की चुदाई फिर भी चलती रही.
हम चुदाई पूरी करके ही सोये.

सुबह मॉम न तो हमसे बात कर रही थी और न ही हमारे कहने से खाना खा रही थी.
वो पूरा दिन नाराज रही.

मगर रात को तो जैसे चमत्कार हो गया.
मॉम रूम में आयी. उस वक्त रात का एक बज रहा था और मैं दीदी को चोदने में लगा हुआ था.

मॉम के आने के बाद हम रुक गये. मगर हम नंगे ही रहे.

फिर मॉम बोली- देख बेटी, तेरी अब शादी हो गयी है, तेरा तो पति भी है, मगर तू फिर भी अपने क्यों करवा रही है? जा … अपने रूम में जाकर सो जा.

दीदी ने मेरी तरफ देखा. अभी उसकी चूत की चुदाई पूरी नहीं हुई थी.
मगर मैंने भी दीदी को जाने का इशारा कर दिया.
वो नंगी ही अपने कपड़े उठाकर गांड मटकाती हुई अपने रूम में चली गयी.

उसके बाद मॉम मेरे पास आयी. वो मेरे लंड को देखने लगी और मुस्कराते हुए मेरे पास बैठ गयी.
मॉम ने मेरे लंड को हाथ में पकड़ा और फिर उसको सहलाने लगी.

वो हंसते हुए बोली- मैं भी तो देखूं कि मेरी बेटी जिसकी दीवानी है वो कैसे मजा देता है!
मॉम मेरे लंड को सहलाने लगी और मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया.

फिर मॉम मेरे सामने नंगी हो गयी और बेड पर आ गयी.
मैं समझ गया कि मॉम को भी चुदाई करवानी है. मैं इसके लिए तैयार था.

वो मेरे लंड पर आकर बैठ गयी और मेरे लंड को चूत में लेकर उछलने लगी.
मैं मॉम को पकड़ कर ऊपर नीचे उछालने लगा.
वो मेरे लंड पर बैठकर चुदती रही.

फिर मैंने मॉम को घोड़ी बना लिया और उसकी गांड पकड़ कर उसकी चूत चोदने लगा.
दस मिनट की चुदाई के बाद मॉम की चूत में मेरा माल निकल गया और मॉम खुश हो गयी.

उस रात को मैंने मॉम की चुदाई तीन बार की.

उसके बाद मॉम भी मेरी वाइफ जैसी हो गयी. फिर दीदी और मॉम दोनों ने एक साथ हां कर दी और हम तीनों सेक्स पार्टनर बन गये.

अब जब दीदी अपने ससुराल जाती थी तो मैं मॉम की चुदाई करता था. फिर जब दीदी घर आती थी तो दीदी की चुदाई करता था.
मैं तो बहुत खुश रहने लगा. मेरे घर में ही मेरा सारा काम हो जाता था.

मॉम भी खुश रहने लगी थी क्योंकि अब उसको पति का प्यार अपने बेटे से मिल रहा था.
रात को मैं मॉम की चूत चोदकर सोता था और कई बार वो सुबह तक मेरे से नंगी ही लिपटी रहती थी.

फिर धीरे धीरे मॉम और दीदी दोनों ही एक साथ भी चुदवाने लगीं. मैं दोनों की चूत एक साथ मारने लगा. हमारा ये प्यार अभी भी वैसा ही बना हुआ है.
मेरी दीदी अपने पति से ज्यादा मेरे साथ खुश रहती है.

दोस्तो, ये थी मेरी अनकही माँ बहन की चुदाई कहानी. मेरी दीदी और मम्मी की चुदाई की कहानी आपको कैसी लगी मुझे मेरे ईमेल पर मैसेज करके बतायें जो मैंने कहानी के अंत में दिया हुआ है.

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