गर्म साली की चुदाई का मजा ले ही लिया- 1

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देसी वर्जिन गर्ल हॉट स्टोरी मेरी साली की अन्तर्वासना की है. वो खुद मौक़ा पाकर मुझे छेड़ती थी. तो मैंने भी उसकी बुर चुदाई करके मजा लेने का सोच लिया.

मेरा नाम बादल है, मेरी उम्र इस समय 34 साल है.

मेरी ससुराल में सास-ससुर, तीन साले और एक साली थी.

यह देसी वर्जिन गर्ल हॉट स्टोरी दस साल पहले से शुरू हुई थी. तब मेरी शादी हुए दो साल हो चुके थे.

मेरे बड़े वाले साले की शादी मेरी शादी से एक साल पहले ही हो चुकी थी.
वो अलग रहने लगे थे.

मेरी शादी जब हुई, तो उस समय मेरी उम्र 24 साल थी और मेरी बीवी 20 की थी. मेरे लंड का साइज लगभग 7 इंच का था.

शादी के पहले मैंने दो बार ही सेक्स किया था.
पहली बार मैंने सेक्स रिश्ते में एक भाभी है, उनसे किया था.
दूसरी बार भाभी की एक सहेली को चोदा था.

फिर मेरी शादी हो गयी और मेरी दुल्हन विदा होकर घर आ गयी.

शादी से पहले मेरी अपनी बीवी से फोन पर बात होती थी.
एक दो बार हमने फोन पर थोड़ी बहुत रोमांटिक बातें की लेकिन ज़्यादा कुछ बात नहीं हुई.

मेरी बीवी का नाम पूनम है, वह गोरी और खूबसूरत है.
उस समय मेरी बीवी की चूचियों का साइज सिर्फ़ 32 रहा होगा.

शादी के बाद हमने जमकर सेक्स किया. घर का कोई ऐसा हिस्सा नहीं बचा जहां मैंने पूनम को न चोदा हो.

एक साल में ही उसकी चूची का साइज 32 से 34 … फिर 36 हो गया.

शुरू में जब मैं उससे लंड पीने के लिए कहता तो वो मना कर देती और कहती- आप बहुत गंदे हो … यह भी कोई पीने की चीज़ है.

मैंने सोचा कि इसे लंड पीने के लिए कैसे मनाया जाए.
इसके लिए अब लगभग रोज मैं उसकी चूत की चुसाई करता.

पहले उसको बड़ी शर्म आती थी, बाद में उसको भी मजा आने लगा.

वह धीरे धीरे रोज अपनी चूत चुसवाने लगी.
कभी-कभी मैं उसकी चूत के दाने को, तो कभी मैं उसकी चूत के छेद में भी अपनी जीभ जितनी घुस सकती थी, घुसा देता था.
वह भी अपने चूतड़ उठा कर इसका स्वागत करती और मजा लेने लगती.

कुछ समय बाद उसकी झिझक खत्म हो गयी और वह आराम से मेरा लंड पीने लगी.
अब हम दोनों 69 में सेक्स का मजा लेने लगे थे.

मैं जब ससुराल जाता तो वहां भी उसकी जमकर चुदाई करता.
एक बार चुदाई शुरू कर देने पर आधा घंटा तो हमारा खेल चलता ही था.

फिर धीरे-धीरे समय के साथ हमारी चुदाई कम हो गई.

पहले साल में जहां हम लोग रोज़ चुदाई का खेल खेलते थे, वहीं अब हर हफ्ते में तीन चार बार ही रह गया.

मेरा तो मन करता था कि मैं रोज़ चुदाई करूं पर पूनम इसके के तैयार नहीं होती थी.
उसको अब इसके मनाना पड़ता था, तब वो मानती थी.

मैं पूनम की चूत में कभी-कभी शहद भर देता और काफी देर तक चूत चाटता रहता.
इन सब में उसको खूब मज़ा आता.

कभी-कभी मैं उसकी चूत के दाने और चूचियों पर चॉकलेट लगाकर खूब चाटता था.
शुरू में जहां वह मेरा लंड पीने में झिझकती थी, वहीं अब वह बड़े प्यार से मेरा लंड पीने लगी थी.

धीरे धीरे कब दो साल बीत गए, पता ही नहीं चला.

इसी दौरान मेरी बीवी गर्भवती हो. गर्भ के 5वें महीने के बाद हमारा सेक्स बिल्कुल कम हो गया.

इस दौरान बीवी का ज़्यादातर समय मायके में बीत रहा था.
यहां पर मेरी साली भी भरपूर जवान हो चुकी थी, वह मेरी बीवी से सिर्फ 2 साल छोटी है.

जब मैं उससे कोई मजाक करता, तो उसको बड़ा मज़ा आता.
अकेले में जब मिलती तो हमेशा मुझे छेड़ने की कोशिश करती.

मैं भी उससे तफरीह लेने का कोई मौका नहीं छोड़ता था. कभी-कभी उसका हाथ पकड़ लेता.

फिर जब मैं समझ गया कि ये कुछ कहेगी नहीं, तो उसके गाल पर मैं किस करने लगा था.

शुरू में जब पहले एक दो बार जब मैंने किस किया, तो उसने कोई जवाब नहीं दिया.
पर तीन चार दिन बाद ही जब मैंने किस किया तो वह भी मेरे होंठ चूसने लगी.

अब मैं जब भी ससुराल जाता, तो ऐसे समय पर जाता कि ससुर और दोनों साले अपनी दुकान पर जा चुके हों.

मेरे ससुर जी का कपड़ों का शोरूम है, इस वजह से ससुर और दोनों साले सुबह 10 बजे से शाम नौ बजे तक वहीं पर रहते थे.

सबसे छोटा साला उस समय पढ़ाई कर रहा था, इस वजह से वह भी अक्सर घर से बाहर ही रहता था.

मीनू की चूचियां थोड़ी छोटी थीं, इस बात को लेकर उसके अन्दर हीन भावना थी.

एक बार मैंने उससे कहा- तुम्हारी चूचियां बड़ी छोटी हैं.
तो उसने कहा- प्लीज, आप इनको बड़ी कर दीजिए.

मेरी ससुराल में सबको दोपहर में सोने की आदत है. ससुराल वालों की इस आदत का मैंने खूब फायदा उठाया.
उनका घर भी काफी बड़ा है और उसमें आठ कमरे हैं.

मैं इस हिसाब से जाता कि ससुर और साले अपनी दुकान पर जा चुके हों और सास और दोनों सलहज सोने की तैयारी कर रही हों.

उनके सो जाने के बाद मैं मीनू को लेकर किसी भी खाली कमरे में बैठ जाता और हम दोनों खूब चुम्मा-चाटी करते.

मैं उसकी टी-शर्ट ऊपर कर देता और चूची के चाकलेटी अंगूरी दाने को चूसने लगता.
मीनू की चूचियां बहुत टाइट थीं, इतनी टाइट चूची मैंने आज तक नहीं देखी थीं.

मैं उनको इतनी जोर से दबाता कि गोरी गोरी चूचियां लाल पड़ जातीं और मीनू की आंखों से आंसू तक निकल आते थे.
लेकिन वह अपनी चूचियों को दबवाती रहती थी.

उसके समर्पण और मेरे प्रयास से धीरे-धीरे उसकी चूचियां थोड़ी बड़ी हो गई थीं.
तब भी बड़ी होने पर भी वो लगभग 32 साइज से थोड़ी ही बड़ी और 34 से कम की ही रहीं.

धीरे-धीरे मीनू ने लंड पीना भी सीख लिया. साली हो गयी थी.
उसका लंड पीने का स्टाइल बहुत गजब का था.

मीनू अपनी जीभ मुँह से थोड़ा बाहर निकालती, जिससे लंड को मुँह के अन्दर जाने का रास्ता मिल जाए और लंड उसके गले तक पहुंच जाता.

मुँह में लंड अन्दर लेने के बाद टोपे को जीभ से तेजी से रगड़ते हुए अन्दर बाहर करती … और तब तक अन्दर बाहर करती रहती, जब तक मेरा वीर्य न निकल जाए.

वो मेरा निकलता हुआ पूरा वीर्य पी जाती, एक बूँद भी नीचे नहीं गिरने देती थी.
लंड के टोपे को चाट-चाट कर साफ़ कर देती थी.

मैंने अब तक तीन को अपना लंड पिलाया है, लेकिन मीनू जितना मज़ा मुझे किसी ने नहीं दिया.

मुझे चोदने में उतना मज़ा नहीं आता, जितना मीनू को लंड पिलाने में आता था.

एक बार ससुराल पक्ष के करीबी रिश्ते में शादी थी.

सास-ससुर और तीनों साले और बड़े साले की बीवी वहीं पर गए हुए थे और उन लोगों को अगले दिन लौट कर आना था.

वो सब घर पर मेरी बीवी और मेरी साली को छोड़कर गए हुए थे, घर पर कोई मर्द नहीं था.

मेरी बीवी पूनम ने मुझे फ़ोन किया और कहा- आप यहां चले आइए, हम लोग यहां अकेले हैं.

ससुराल पहुंचते पहुंचते रात के आठ बज गए.

गर्मियों के दिन थे.

जब मेरी बीवी खाना बनाने चली गयी तो मैंने साली से कहा- आज तुम्हारी लेने का बड़ा मन कर रहा है.
उसने कहा- मेरा भी मन आज करवाने का है. जब दीदी सो जाएं तो आप मेरे पास आ जाना.

मैंने उसे सहला दिया.
उसने कहा- जीजा जी, आगे करवाने से बच्चा तो नहीं हो जाएगा, ऐसा कीजिए आप पीछे वाले में कर लेना.

मेरी बीवी की ये आदत है कि एक बार सेक्स करने के बाद वह बहुत गहरी नींद में सो जाती है.

मैंने सोचा कि पूनम की इस आदत का फायदा उठाया जाए.
खाना बन चुका था.

मैंने खाना बिल्कुल थोड़ा खाया जिससे सेक्स अच्छे से कर सकूं.

खाना खाकर 9.30 पर हम लोग लेट गए.
साली साहिबा अलग कमरे में लेटी थी.

पूनम को जल्दी ही नींद आ गयी पर मेरे अन्दर का शैतान जाग रहा था.
रात 11 बजे मैंने अपनी बीवी की चूचियों को सहलाना शुरू कर दिया.

धीरे धीरे चूचियों का अग्र भाग जिसे चूचुक या निप्पल कहते हैं, उसमें उत्तेजना आने लगी और उसकी नींद भी खुल गयी.

जैसे ही वह नींद से जगी, मुझे चूमने लगी.
मैंने धीरे से उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया.

उसने आव न देखा ताव मुझे सीधे अपने ऊपर खींच लिया.
लंड उस समय अपनी चरम उत्तेजना में था. गुफा लिसलिसे द्रव्य से पूरी गीली हो चुकी थी.

लंड हल्की सी सट की आवाज़ करते हुए चूत के अन्दर घुस गया. फिर मैंने झटके मारने शुरू किए.
उसकी टांगें हवा में ऊपर की तरफ हो चुकी थीं और मैं तेजी से झटके लगा रहा था.

थोड़ी देर में ही हम पसीने से तर-बतर हो गए.
जब मुझे लगता अब निकलने वाला है, मैं थोड़ी देर के लिए रुक जाता.
मेरे मन में बस ये था कि बीवी को ज्यादा से ज़्यादा थका देना है जिससे कि वह गहरी नींद में सो जाए और सुबह ही उसकी नींद खुल सके.

उस दिन मुझे अच्छी तरह से याद है कि हमारा सेक्स लगभग आधा घंटा चला होगा.

आखिर में मैं भी 15-20 झटके बहुत तेजी से मारने के बाद झड़ गया.

पांच मिनट बाद ही उसको गहरी नींद आ गयी.
मैं भी बहुत थक गया था, कब आंख लग गयी, पता ही नहीं चला.

रात में मुझे पेशाब लगी लगी, घड़ी की तरफ देखा तो रात के दो बजे थे.

मैंने सोचा कि ये क्या हो गया.
मैं डर रहा था कि अब मीनू मेरे ऊपर बहुत गुस्सा होगी.

मैं दबे पांव उठा और देखा कि बीवी गहरी नींद में सो रही है.

जब इत्मीनान हो गया कि अब यह सुबह से पहले नहीं उठेगी, तो मैं दबे पांव मीनू के कमरे की तरफ चल पड़ा.

मीनू को सोच करके ही लंड जी सलामी दे रहे थे.

मैं मीनू के कमरे के दरवाजे पर पहुंचा और दरवाजा अन्दर की तरफ ठेल दिया.
सामने देखा कि दरवाजे के सामने दूसरी तरफ करवट लिए हुए लेटी थी.

मुझे लगा कि सो रही है.
पहले तो मन में आया कि सोने देते हैं.

इतने में ही देखा कि मीनू उठकर बैठ गयी और खड़ी हुई और मेरे पास आकर मुझसे चिपक गयी.

मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और नीचे के होंठों को चूसने लगा.

साथ ही एक हाथ से मैं उसके लोवर को धीरे धीरे नीचे खिसकाने लगा.

अभी थोड़ा सा ही खिसकाया था कि मीनू मुझसे गिड़गिड़ाने लगी- जीजा जी, रहने दीजिए.
उसे लगभग रोता हुआ देखकर मैं भी डर गया.

वो कहने लगी- आप पीछे से कर लो.
मुझे भी यह ठीक लगा, साथ ही इस समय डर भी लग रहा था.

मेरी कोशिश थी कि जल्दी फारिग होकर सो बीवी के पास सो जाऊं.
कमरे में हल्की रोशनी थी.

मैंने उससे धीरे से कहा- तुम झुक जाओ.
वो झुकी तो मैंने उसका लोवर नीचे खिसका दिया.

मेरा लंड आक्रमण की मुद्रा में तैयार खड़ा था.
मैंने मीनू की गांड के छेद पर थूक लगाया और थोड़ा लंड के टोपे पर भी लगा लिया.

फिर धीरे से टोपे को उसके गांड के छेद पर रखा और थोड़ी ताकत लगाई कि टोपा अन्दर चला जाए.
पर टोपा फिसलता हुआ ऐसे नीचे की तरफ चला गया जैसे गांड का छेद चुनौती दे रहा हो कि अन्दर घुसने नहीं दूंगा.

दुबारा थोड़ा और थूक लगाया और मीनू की कर टोपे को हल्का सा छेद में फंसा दिया.

दोस्तो, देसी वर्जिन गर्ल हॉट स्टोरी के अगले भाग में आपको आगे का मजा लिखूंगा. आप मुझे मेल जरूर करें.

देसी वर्जिन गर्ल हॉट स्टोरी का अगला भाग:

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