Xxx वर्जिन चुदाई कहानी में मैंने अपने पड़ोस की एक कमसिन कॉलेज गर्ल की सील तोड़ कर उसे कली से फूल बना दिया. इस खेल की शुरुआत कैसे हुई? कैसे वो मेरे से सेट हुई, खुद पढ़ें.
नमस्कार दोस्तो,
मेरा नाम आकाश है, मैं उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूँ.
आज मैं आपको अपनी आपबीती सुनाना चाहता हूं.
यह Xxx वर्जिन चुदाई कहानी 2011 की है जब मेरी बड़ी बहन की शादी होने वाली थी.
हमारे बराबर वाले कमरे में एक लड़की रहती थी, जिसका नाम प्रिया था.
उस टाइम मैं 23 साल का था.
वह उम्र में मुझसे छोटी थी.
लेकिन कहते हैं ना कि प्यार ना उम्र देखता है और ना जात पात … वो तो बस हो ही जाता है.
मैंने कभी भी उसके बारे में ना ही कुछ सोचा था और ना ही कभी उसे गन्दी नज़र से देखा था.
लेकिन एक दिन सुबह अचानक जब मैं उठकर कमरे के बाहर छज्जे पर आया तो नज़र नीचे गई.
वहाँ नल के बिल्कुल बराबर में एक खुली सी जगह थी जिसमें सारे आदमी और लड़के ही नहाते थे.
और अगर किसी लड़की को नहाना होता था तो वह 2 तरफ से कपड़े से आड़ करके नहा लेती थी.
तो उस दिन प्रिया वहां नीचे नहा रही थी.
2 तरफ से कपड़े की आड़ थी और बाकी 2 तरफ से दीवार थी.
लेकिन ऊपर से सब दिखता ही था.
अचानक मेरी नज़र नीचे पड़ गई.
तो मैंने देखा कि वह अपने सीने को मसलने की जगह अपने निप्पल से खेल रही थी या पता नहीं क्या कर रही थी.
फिलहाल सच बताऊँ तो उसे देखना ही गलत था क्योंकि मैंने उसे कभी सेक्स की नजर से नहीं देखा था.
तो मैं पीछे हटा.
लेकिन तब तक उसकी नज़र मुझ पर पड़ चुकी थी.
यकीन मानियेगा … मेरे पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई थी क्योंकि उसकी मम्मी की और मेरी मम्मी की रोज़ ही किसी ना किसी बात को लेकर लड़ाई होती रहती थी.
तो मैं सच में बहुत ही डर गया और नीचे नहीं आया.
उसके कॉलेज जाने के बाद मैं नीचे आया और तैयार होकर अपने काम पर चला गया.
मैं रोज़ ही ऐसे करने लगा कि जब वह कॉलेज चली जाती तभी मैं नीचे जाता.
3-4 दिन ऐसे ही चला.
अब आया रविवार का दिन!
उसकी भी छुट्टी और मेरी भी!
उस दिन भी मैं लगभग 11 बजे नीचे आया और गैलरी पार करके लैट्रिन करने गया.
तो लैट्रिन में वह मौजूद थी.
उसे पता चल चुका था कि मैं हूँ.
और उसने खुद ही अंदर से आवाज़ दी कि निकल रही हूँ.
2 मिनट बाद वह बाहर आई.
पहले तो मुझे लगा कि यह उस बात को भूल चुकी होगी.
लेकिन जैसे ही उसने मेरी तरफ हंसकर देखा तो मुझे समझ में आ गया कि यह कुछ चाह रही हैं/
और फिर मेरी हिम्मत उस दिन बढ़ी जब कॉलेज जाते वक्त उसने मुझे बाय किया.
फिर मेरे मन में भी कुछ आया कि कुछ करना चाहिए.
तो एक दिन मैंने हिम्मत करके उसे एक लैटर दिया और उसने बिना कुछ कहे हँसकर वो लैटर ले लिया.
फिर क्या था … चल पड़ी हमारी प्यार की गाड़ी!
कई महीनों तक बस हँसना, लैटर वगैरह तरीके से ही बात होती रही.
लेकिन अब मुझे मिलने की तलब लगने लगी.
तो एक दिन जब गर्मी बहुत ही ज्यादा थी तो सब सो रहे थे और मैं गैलरी के बाहर खड़ा था.
अचानक से या यूँ कहिये कि उसे भी पता था कि मैं बाहर बैठा हूँ, वह मुझसे मिलने आई और उसके आने के बाद पहली बार मैंने उसका हाथ पकड़ा.
ऐसा लगा मानो कि साला कोई कोहिनूर हीरा पकड़ लिया हो.
उसकी हाइट भी कम थी, बूब्स भी छोटे छोटे … बस अब तो याद आने के बाद भी पूरे बदन में करंट दौड़ पड़ता है.
जब मैंने उसका हाथ पकड़कर अपनी तरफ खींचा तो उसने विरोध किया और हाथ छुड़ाकर टॉयलेट में चली गई.
मैं सोच रहा था कि टॉयलेट से निकल कर यह अपने कमरे में जायेगी.
लेकिन ऐसा नहीं हुआ और वह मेरे पीछे आकर खड़ी हो गई.
जब मैंने देखा तो आँखे बिल्कुल नीचे और बन्द!
मैं उसका इशारा समझ गया और मैंने उसे पकड़कर अपनी बाहों में भर लिया.
लेकिन वह डर गई और खुद को छुड़ाने लगी.
तो मैंने धीरे से उससे कहा- आई लव यू!
इतना सुनते ही वह खुद मुझसे लिपट गई और खुद को मेरे हवाले कर दिया.
पर मैंने किसी के आने के डर की वजह से बस उसके गाल पर एक किस किया और जाने दिया.
उसके साथ लगभग 6 महीने ऐसे ही बस किस चलते रहे.
उसके बाद मैंने एक दिन रात में उसे बुलाया तो उसने मना कर दिया, कहने लगी- रात में कोई उठ गया तो क्या होगा.
मैंने उसे नींद की गोलियां लाकर दी और उसने अपने घरवालो को धोखे से खिला दी.
बस वो रात मैं जिंदगी भर नहीं भूल सकता हूँ दोस्तो!
वो करीब 12 बजे आई.
7 जनवरी की तारीख थी, आज भी याद है.
और बिल्कुल गांड फाड़ ठंड थी.
गैलरी में भी बिल्कुल अंधेरा था क्योंकि लाइट नहीं थी.
बस एक जीरो बाट का बल्ब था.
उसके आने के बाद सबसे पहले मैंने उसे गले लगाया और उससे खूब सारे वादे किये. साथ जीने मरने की कसमें खाई और बातों ही बातों में मैंने उसके होंठों को अपने होंठों में ले लिया.
बस फिर क्या था … वह बिल्कुल कसके मुझसे चिपक गई और मैं उसे किस करता रहा.
मैं झूठ नहीं कहूंगा कि उसने भी मेरा साथ दिया.
वह तो डर सी रही थी लेकिन बस वो प्यार की वजह से चुपचाप खड़ी रही और मुझे मेरे मन की करने दे रही थी.
उसके बाद मैंने धीरे धीरे उसके बूब्स को उसकी फ्राक के ऊपर से सहलाना शुरू किया क्योंकि वह फ्राक ही पहनती थी.
बूब्ज़ सहलाते हुए मैंने उनको जोर से दबा भी दिया तो उसकी हल्की सी एक सिसकारी निकली- आईई ईईईईई!
मुझे बहुत अच्छा लगा.
फिर मैंने उसे कहा- प्यार करती हो मुझसे?
उसने हाँ में सिर हिला दिया.
मैंने कहा- यह फ्राक उतार दो.
लेकिन वह एकदम डर गई और कहने लगी- मुझे जाने दो, मैं फ्राक नहीं उतारूंगी. बस ऐसे ही प्यार करो.
दोस्तो यकीन मानना … कड़ाके की ठंड में मुझे उसे समझाने में लगभग 20 मिनट लग गये- आपकी कसम बाबू, कुछ भी नहीं होगा … मैं हूँ ना!
उसके बाद वह फ्राक उतारने के लिए राजी हुई.
और मैंने तुरन्त ही उसकी फ्राक उतार दी.
फिर जो नज़ारा मेरे सामने था … क्या बयां करूँ?
टमाटर के आकर के बूब्स!
उसने फ्राक के अंदर कुछ पहना ही नहीं था, बस नीचे पेंटी पहनी हुई थी.
तो मैंने पहले उसके बूब्स को सहलाना शुरू किया.
हालाँकि उसने दोनों हाथों से अपने बूब्स छुपा लिये थे लेकिन मैं बार बार उसे कसम देकर सबकुछ करवा रहा था.
जब बहुत देर हो गई तो मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ और मैंने उसका निप्पल चूसना शुरू कर दिया.
फिर मैंने जोर से उसकी छोटी छोटी चूचियां जोर से मसल दी.
इससे उसे दर्द हुआ और वह रोने लगी और जाने के लिए कहने लगी.
तब मुझे लगा कि मैंने जल्दबाजी कर दी.
फिर मैंने उसे दर्द देना बंद किया और मीठी मीठी बातें करने लगा.
बातें करते करते मैंने उसका हाथ अपने अंडरवियर के ऊपर रख दिया.
शुरू में उसने मना किया लेकिन बाद में राज़ी हो गई और लंड सहलाने लगी.
तो मुझे भी हिम्मत मिल गई और मैंने उसके बूब्स को मुंह में ले लिया.
और जैसे ही मैंने प्यार से निप्पल पीना शुरू किया, वह बेकाबू होने लगी.
शायद उसकी शर्म और झिझक निकल चुकी थी और वह भी गर्म हो गई थी.
तो मैं एक हाथ से बूब्स दबा रहा था और दूसरा हाथ मैंने उसकी पैंटी में डाल दिया.
उसने तुरंत मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- बाबू, ये सब शादी के बाद!
मैंने गुस्सा होने का नाटक किया और वो मान गई.
फिर मैं घुटनों के बल बैठ गया और धीरे से उसकी पैंटी निकालने लगा.
जब मैंने उसकी पैंटी उतार दी तो देखा कि एक भी बाल नहीं था उसकी चूत पर!
बस फिर क्या था मैंने तुरन्त उसकी चूत की दोनों फांकों को अलग करके देखा.
बिल्कुल ही चिपकी हुई चूत थी … बिल्कुल चिपकी हुई यार!
पहले तो मुझे लगा कि कहीं लंड घुसाने से ये मर वर ना जाये.
लेकिन मेरे ऊपर मेरा काबू ही नहीं रहा और मैंने अपनी बीच बाली उंगली उसकी चूत में घुसेड़ दी.
वह चीखी- आईई ईई मम्मी!
मैंने जल्दी से उसका मुँह दबाया तो देखा वो रोने लगी और दर्द से कराह उठी.
तुरंत मैंने उसे किस किया और जमीन पर ही लेटा दिया.
मुझे लगा कि मेरी ऊँगली से उसकी सील टूट गई.
लेकिन ऐसा नहीं हुआ था.
फिर मैंने उसे गर्म करने के लिए उसकी दोनों जांघों को सहलाना शुरू किया और धीरे धीरे उसकी चूत को चाटने के लिए आगे बढ़ने लगा.
जैसे ही मैंने अपनी जीभ उसकी चूत पर रखकर चलाई, वह ऊपर को सरकने लगी और आवाज़ आई- उईई ईई ईईयय!
मैं समझ गया कि लड़की गर्म हो रही है.
और मैंने फिर शुरू कर दिया.
बस 2 मिनट बाद ही उसे भी मज़े आने लगे और वह अब सिसकारी लेने लगी- ऊईई ईईई आईई ईई मम्मी मर गईई ईईई!
फिर मैंने अपना लन्ड उसे चूसने के लिए दिया लेकिन उसने मना कर दिया.
इससे मुझे गुस्सा आ गया.
मैंने तुरन्त उसकी दोनों टांगें फैलाकर उसकी चूत पर अपना लन्ड रख दिया और उसे सहलाने लगा.
उसकी साँसें बहुत ही ज्यादा तेज हो चुकी थी.
वह बोल रही थी- कुछ होगा तो नहीं बाबू?
और मैं उसे बार बार झूठा दिलासा दे रहा था- बाबू मेरी जान, कुछ भी नहीं होगा. बस तुम मुझे कसकर पकड़ लो.
शायद उस बेचारी को नहीं पता था कि इस Xxx वर्जिन चुदाई में आगे क्या होने वाला है.
लेकिन मुझे तो पता ही था कि ये दर्द से चीखेगी तो जरूर क्योंकि जो जरा सी उंगली जाने से अपनी मम्मी को याद करने लगी और रोने लगी.
तो यह 6 इंच का लंबा और मोटा बिल्कुल खड़ा लन्ड जाने से क्या करेगी.
फिर भी मैंने उसे बहला फुसला लिया कि कुछ भी नहीं होगा और अपने लन्ड के टोपे के ऊपर इतना थूक लगा लिया कि बहुत ही ज्यादा चिकना कर लिया और धीरे से बिल्कुल ही धीरे से अंदर किया.
उसने आँखे बंद कर ली और मुझे कसके पकड़ लिया.
फिर वह बोली- बाबू, दर्द हो रहा है.
मैंने हल्के से लंड आगे बढ़ाया.
उसकी हल्की सी आवाज़ निकली- आईई ईई सीईई ईईई!
मैंने अपना हाथ बहाने से उसके मुँह पर रख दिया और बिल्कुल लन्ड को सेट करने के बाद सिर्फ एक ही धक्का मारा.
और बस वह चीख पड़ी- आईई ईई मम्मी … हटो आईई ईईई … बहुत दर्द हो रहा है … हटो ना प्लीज … ऊँह ऊँह!
फिर मैंने उसका मुँह दबाकर जब झटका मारा तो उसने मुझे धक्का दे दिया.
लेकिन तब तक उसकी सील टूट चुकी थी और आंखों से आँसू और चूत में से खून निकल रहा था.
मैं नहीं हटा और फिर उसको कसके पकड़कर 5-6 झटकों में ही उसकी हालत खराब कर दी.
और जब मेरा पानी निकला, उसके बाद वह खड़ी ही नहीं हो पाई और बोली- आज के बाद ऐसे कुछ भी नहीं होगा हम लोगों के बीच!
और वह अपनी पेंटी से अपने खून को पोछती और रोती हुई चली गई।
और उस दिन के बाद वह 4 दिन कॉलेज नहीं जा पाई।
जब पाँचवे दिन वह कॉलेज गई तो भी लंगड़ा कर ही चल रही थी।
लेकिन उस दिन के बाद उसने कभी भी मुझे चूत नहीं दी.
इस Xxx वर्जिन चुदाई कहानी में आपको कितना मजा आया?