कमसिन कुंवारी लड़की की बुर का मजा- 2

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कुंवारी लड़की की सेक्सी कहानी मेरी कामवाली की जवान बेटी के साथ सेक्स के मजे लेने की है. मैंने उसे चुदाई के लिए कैसे मनाया था. पढ़ कर मजा लें.

दोस्तो, मैं विभोर देव आपको आपनी सेक्स कहानी में एक ताज़ी पकी हुई कमसिन लौंडिया की सीलपैक चूत की चुदाई कहानी सुना रहा था.
कहानी के पहले भाग

में आपने पढ़ा था कि गुनगुन नाम की कामवाली लड़की को अपने पर्स में से पैसे चुराते और सेक्स मैगजीन की चुदाई की फोटो देख कर अपनी चूत रगड़ने की वीडियो देख कर मैं गर्म हो गया था और उससे चुदाई की बात कह कर उसे अपने काबू में कर रहा था.

अब आगे कुंवारी लड़की की सेक्सी कहानी:

“साबजी, मैं अभी तक कुंवारी हूं. मुझे किसी ने गलत इरादे से कभी छुआ भी नहीं है … और न ही मैंने आज तक कोई ऐसा गलत काम कभी भी किया है. मुझ गरीब पर दया करो साहब!”
वो कातर स्वर में बोली और पुनः मेरे पांवों पर झुक गयी.

इस बार उसकी पीठ पर कसी हुई उसकी ब्रा के स्ट्रेप्स का उभार देख कर मेरी मुट्ठियां भिंच गयीं और मैं उसके मम्मों को दबोचने से जैसे तैसे खुद को रोक पाया.

“चलो ठीक है, जाओ यहां से अब. पर जो पैसे तुमने चुराए हैं कम से कम पचास हजार तो होंगे ही, वो तुझे आज शाम तक वापिस करना होंगे; कैसे करोगी कहां से लाओगी … अब ये तू जान. नहीं तो कल से यहां कोई भी काम पर मत आना. न तो तू … और न ही तेरी मम्मी. बाकी जो भी तुम लोगों को कहना है, वो अब पुलिस से ही कहना.”
मैंने उससे कहा जबकि मेरा इरादा अब पुलिस में शिकायत करने का था ही नहीं.

मैंने सोच लिया था कि बस ये कमसिन कच्ची कली मुझसे एक बार चुद जाए, फिर तो हमेशा के लिए नयी चूत की जुगाड़ फिट हो ही जाएगी और जो पैसे इसने चुराए हैं, उनके बदले ये कच्ची कली रौंदने को हासिल हो रही है तो फिर मेरा कोई घाटा है ही नहीं.

अभी ये पक्का नहीं था कि इसने लंड का स्वाद चख लिया हो … या ये भी हो सकता है कि इसकी चूत अभी भी सील पैक ही हो.
सील पैक चूत अपने लंड से फाड़ डालने की सोच कर ही मन आनन्द से झूम उठा.

आज के जमाने ऐसी कमसिन सील पैक लौंडिया तो लाखों खर्चने के बाद भी ढूंढे से भी नहीं मिलने वाली.
मतलब अपनी तो बल्ले बल्ले हो सकती है.

गुनगुन अभी भी चुपचाप सिर झुकाए सुबक रही थी और और उसका विशाल वक्षस्थल बड़ी ही कयामती अंदाज़ से उसकी सांसों के साथ ऊपर नीचे हो रहा था.

“गुनगुन, जल्दी फैसला कर, मुझे ऑफिस के लिए देर हो रही है.” मैंने फिर चिल्ला कर कहा.
वो मरी सी आवाज में बोली- अब मैं क्या बोल सकती हूं साबजी?

“देख गुनगुन, अब तेरे सामने दो ही ऑप्शन हैं. ऑप्शन ए है कि पुलिस थाने और अदालत के चक्कर लगाना और जेल जाना, थाने और जेल में तुम दोनों मां बेटी को क्या क्या सहना पड़ेगा, वो तू अच्छे से सोच ले … और ऑप्शन बी है कि मेरे साथ सेक्स करके मुझे खुश कर देना और खुद भी जवानी का मज़ा लेना. अब जो फैसला लेना है, तेरे को लेना है; वो तू जल्दी ले ले, फिर मुझे ऑफिस निकलना है.”
मैंने फिर से कुछ गुस्से में कहा.

पर यह बात मैं मन ही मन खूब अच्छे से समझ रहा था कि ऐसी विकट परिस्थिति में कोई भी लड़की जेल जाने की अपेक्षा चुद जाना ही पसंद करेगी.
वो चुप रही.

“ठीक है, मत बोल तू. मैं पुलिस को फोन करता हूं कि मेरे घर में चोरी हुई है और चोर को मैंने पकड़ रखा है.”
मैंने कहा और दिखावे के लिए फोन लगाने लगा.

“साबजी पुलिस को मत बुलाइए. मैं तैयार हूं; आपकी सारी बातें मानूंगी. मेरा ऑप्शन बी है साब जी …. बी बी.”
वो अधीरता से बी बी कई बार बोली और मेरे फोन को पकड़ लिया, जैसे उसे डर था कि कहीं पुलिस का नंबर गलती से भी डायल न हो जाए.

मैंने बड़ी दया दिखाते हुए कोमलता से कहा- ह्म्म्म … ठीक है, चल अपने सारे कपड़े उतार और बेड पर लेट जा. अब मैं ऑफिस नहीं जा रहा. मैं भी नहीं चाहता कि तेरी जिंदगी जेल में कटे.

वो हार मानती हुई मायूसी से बोली- साबजी, आपको जो सजा देना हो, मेरे साथ जो भी करना हो, वो सब आप पांच छः दिन बाद कर लेना. अभी मैं पीरियड्स से हूं.
“फिर से झूठ तो नहीं बोल रही तू?”

“मेरी बात पर विश्वास न हो तो आप खुद चैक कर लो.”
उसने दोनों हाथ जोड़ कर कहा.

तो मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खींच कर खोल दिया.
उसकी सलवार सरसराती हुई नीचे उसके पैरों में गिर गई.

मैंने देखा उसकी पैंटी के भीतर की तरफ से कुछ उभरा उभरा सा दिख रहा था.

फिर मैंने उसकी जांघों के बीच में टटोल कर देखा, तो उसकी चूत के ऊपर पैड लगे होने का मुझे अहसास हुआ.

तब मैंने उसके दोनों हाथ नीचे करके उसके दोनों दूध दबोच लिए और दबाने मसलने लगा, साथ ही उसके गाल काटने लगा.
वो कसमसाई और मेरे हाथों को परे झटकने लगी.

पर उसकी एक न चली और मैं उसके दोनों दूध उसके कुर्ते के ऊपर से ही मसलता रहा.

फिर मैंने उसके कुर्ते में हाथ घुसा कर वो दो सौ का नोट बरामद किया तो उसने आंखें झुका लीं.

मेरे मित्रो, मेरे इन हाथों ने पहले भी कई कमीनियों के स्तनों का मर्दन किया है.
पर जो कसाव और कठोरता इस गुनगुन के स्तनों में थी, वैसी पहले कभी महसूस नहीं हुई थी.

ज्यादातर लड़कियों और औरतों के स्तन रुई की गेंद जैसे मुलायम और ढले लटके हुए ही पाए थे, पर इस गुनगुन के दूध दबाने मसलने मीड़ने में मज़ा मिल रहा था, वो कुछ अलग ही था.
दूध मसले जाने से वो कसमसाई और खुद को छुड़ा कर दूर जा खड़ी हुई.

“चल ठीक है, पर ये तो खड़ा है. इसका पानी निकाल कर जाना.”
मैंने कहा और अपना तौलिया खोल कर बेड पर फेंक दिया.

मेरा लंड तो तौलिया में पहले ही लालपीला हो रहा था.
तौलिया हट जाने से वो हवा में झंडा सा फहरा गया.

“अरे बाप रे इतना बड़ा लं….!”
उसके मुँह से अचानक निकला, पर वो लंड शब्द पूरा नहीं बोली और झट से अपना मुँह हथेली से ढक लिया.

वो सहम कर दो कदम पीछे हट गयी और आंखें फाड़ कर मेरे लंड को देखती रह गयी.

“गुनगुन, तू टेंशन मत ले. अब तो तू उन्नीस साल की होने वाली है. तेरी जवान चूत मेरा ये लंड झेल लेगी. इधर आ … और पकड़ इसे.”
मैंने बेशर्मी से उसे पुचकारते हुए कहा.

“नहीं साब जी, मुझे बहुत डर लग रहा है.”
“अरे तू डर मत, ये तुझे काटेगा थोड़े ही!”
मैंने कहा और उसका हाथ पकड़ कर लंड पर रख लिया.

गुनगुन के हाथ का स्पर्श पाते ही लंड महाराज और फूल कर कुप्पा हो गए.

“अब तू सहला इसे … और प्यार कर.” मैंने कहा और उसकी मुट्ठी में लंड को बंद कर कई बार आगे पीछे करके उसे समझाया.

“समझ गई न? चल इसे अब अपने आप से करके दिखा.”

गुनगुन ने सहमति में सिर हिलाया और लंड को धीरे धीरे मुठियाने लगी.

“गुड … वैरी गुड आंह.”

कुछ पल बाद मैंने कहा- जोर से हिला.

अब गुनगुन लंड को तेजी से मुठियाने लगी थी.
जब उसका दायां हाथ थक गया, तो उसने बाएं हाथ की मुट्ठी में लंड ले लिया और मुठ मारने लगी.

पर कुछ ही देर में लंड छोड़ कर खड़ी हो गयी- मैं जाती हूं साबजी, मेरे हाथ थक गए हैं.
वो अपने हाथों को आपस में दबाती हुई बोली और बाहर जाने लगी.

“अरे ऐसे कैसे …. पानी तो निकाल कर जाओ इसका!”
उसने कहा- कितनी देर से तो हिला रही हूं इसे. पता नहीं कब इसका पूरा होगा. मैं ऐसे कब तक करूं, थक चुकी मैं!

मैंने उसे समझाया- अच्छा चल, इसे मुँह में लेकर चूस दे. बस दो मिनट में इसका काम तमाम हो जाएगा.

“छी साबजी … मैं न लेती इसे मुँह में!” वो कुछ उखड़ कर बोली.
“ठीक है तो जा फिर यहां से, अब मत आना! मैंने उसे धीरे से धमकाया.

फिर उसने बड़े आहत भाव से मुझे देखा जैसे उसे विश्वास ही न हो रहा हो कि मैं कभी उसे अपना लंड चूसने को कहूंगा.

पर वो बोली कुछ नहीं और चल कर मेरे पास आकर घुटनों के बल बैठ गयी.

बड़े अनमने ढंग से उसने लंड को पकड़ा और डरते डरते सुपाड़े को अपनी जीभ से छुआ और फिर उसे चाट लिया, फिर मुँह में भर लिया.

“ह्म्म्म …” अचानक मेरे मुँह से तृप्तिपूर्ण आवाज निकली.

उस दिन कई साल बाद किसी अनमैरिड लड़की के मुँह में मेरा लंड घुसा था.

गुनगुन के मुँह की गर्माहट और लार से जैसे मेरे पूरे जिस्म का खून उबाल पर आ गया और मैं उसका सिर पकड़ कर लंड को उसके मुँह में अन्दर बाहर करते हुए आहिस्ता आहिस्ता से उसका मुँह चोदने लगा.

“बस अब और नहीं साबजी … मेरी तो सांस फूल गयी!”
वो बोली और मेरा लंड अपने मुँह से निकाल दिया.

गुनगुन के मुँह की लार के तार से मेरा मुँह अब भी जुड़ा हुआ था.
फिर उसने अपने मुँह में जमा सारा रस गटक लिया और होंठों को हथेली से पौंछ कर उठ खड़ी हुई.

उस टाइम मेरे लंड की नसें फूल चुकीं थीं और मैं बस झड़ने ही वाला था.
जैसे ही वो खड़ी हुई, मैंने लंड पकड़ कर तेजी से मुठ मारना शुरू किया.
आधा मिनट में ही लंड से रस की

पिचकारियां निकल निकल कर फर्श पर गिरने लगीं.
गुनगुन वो सब बड़े ध्यान से देखती जा रही थी.

“चल पौंछा लेकर आ … और फर्श को साफ कर दे.”

“जी साबजी, अभी कर देती हूं.”
वो बोली और उसने मॉप लाकर फर्श को अच्छे से क्लीन करके मेरे वीर्य के निशान मिटा दिए.

“ठीक है अब तू जा और ….. बाकी तुझे पता ही है सब!”

मैंने उसे चेताते हुए कहा और अपना फोन उसके सामने लहराया.
“साब जी, मैं धोखा नहीं दूंगी. मुझे जेल नहीं जाना …. आप अपनी मनमानी कर लेना बस.”
वो बोली और सिर झुका कर चली गयी.

इसके अगले ही दिन मैंने मेडिकल स्टोर से गर्भ निरोधक गोली और बाकी जरूरी दवाइयां खरीद कर रख लीं ताकि बाद का झंझट न रहे.
अगले एक हफ्ते तक गुनगुन काम पर नहीं आई.

उसकी मां रती अपने समय से आती और सारा काम निपटा कर पहले की तरह चली जाती.
मैं रती की बॉडी लैंग्वेज को बारीकी से परखता कि कहीं गुनगुन ने वो सब बातें अपनी मां को तो नहीं बतायीं?

पर मेरा अंदेशा निर्मूल निकला और रती सदा की भांति आती और काम करके चली जाती.
मैं गुनगुन का बेसब्री से इंतज़ार करता कि वो कब आए और मैं उसे दबोच कर उसके कुंवारे बदन से खेलूं.

बीच बीच में कई बार ख्याल भी आता कि ऐसा न हो कि वो दगा दे जाए.
पर दिल बार बार यही कहता कि वो मौका देख कर चुदवाने को आएगी जरूर!
आखिर उसकी चोरी की करतूत का वीडियो मेरे फोन में सुरक्षित था.

फिर आठ दस दिन बाद एक सुबह सवेरे बजे रती का फोन आया और बोली- साबजी, आज मैं राशनकार्ड का राशन लेने जाउंगी तो मुझे लौटने में बहुत देर हो जाएगी. सो गुनगुन काम करने आएगी. आप उससे काम करवा लेना.

यह सुन मेरी तबियत ग्लैड हो गयी.
मैंने वाशरूम में जाकर पहले तो अपनी झांटें शेव कर लीं, फिर गुनगुन को याद करते हुए मुठ मार ली ताकि रियल चुदाई में मैं उसके संग लम्बी पारी खेल सकूं.

फिर नहा कर मैं अखबार पढ़ते हुए गुनगुन का वेट करने लगा.

गुनगुन उस दिन सुबह आठ बजे के पहले कुछ ही काम करने आ गयी.
वो एकदम चकाचक नहाई धोई बड़ी उजली उजली सी दिख रही थी.

उसने झक्क सफ़ेद रंग की सलवार और येलो कलर का कुर्ता पहन रखा था और लाइट धानी कलर का दुपट्टा डाल कर अपने सीने के उभारों को करीने से ढक रखा था.

उसकी आंखों में बारीक से काजल की रेखा ने उसकी आंखों की गहराई को और भी गहरा कर दिया था.
कुल मिला कर वो अपने सीमित संसाधनों में अपने हिसाब से खूब सजधज कर ही चुदने आई थी.

“नमस्ते साबजी.” गुनगुन आते ही मुस्कुरा कर बोली और सदा की तरह झाड़ू उठा कर सफाई करने लगी.
मैंने उसकी नमस्ते का जवाब दिया और पेपर पढ़ता रहा.

“साबजी, नाश्ते में क्या बना दूं पोहा या परांठे?”
काम निपटा कर नैपकिन से हाथ पौंछती हुई वो मेरे पास आकर बोली.

मैंने कहा- गुनगुन रानी, आज तो तेरी इस जवानी का ही नाश्ता करना है न, याद है?
“हम्म ….” वो धीमे से सिर झुकाए हुए ही बोली.

फिर मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया.
मेरे नंगे जिस्म से गुनगुन के दूध टकरा गए और मैंने उसे अपने से कस लिया.

उसके जिस्म की आंच से को महसूस कर मैंने अपनी आंखें बंद कर लीं और उन क्षणों की सुखानिभूति में खो सा गया.

“साबजी, कोई देख लेगा!” वो धीरे से बोली और मुझे धकेल कर अलग हटने लगी.

“मेरी जान, घर में हम सिर्फ दो ही जने हैं, कौन है देखने वाला?”
मैंने उसे वापिस अपने से सटा कर उसके गाल को चूम कर कहा.

वो कसमसा कर दूर हट जाने की कोशिश करती रही, पर मैं उसके मांसल गोल गोल पुष्ट नितम्ब सहलाते हुए उसे अपनी छाती से लगाए रहा.

“छोड़ दो साबजी, नाश्ता तो बना लेने दो पहले!” वो बच निकलने का बहाना बनाती हुई बोली.

“मेरी जान, नाश्ता तो मैं अभी बाद में बाज़ार से ले आऊंगा. पहले तेरी सजा तो पूरी दे दूं.” मैंने कहा और उसकी गर्दन चूम चूम कर उसके बाएं कान की लौ मुँह में भर कर चूसने लगा.

बीच बीच में कुंवारी लड़की की सेक्सी मस्त गेंदें दबाते मसलते हुए उसका गला भी चूम लेता.
मेरी इन कामुक चेष्टाओं का असर उस पर जल्दी ही साफ दिखने लगा.

फिर उसका शरीर ढीला पड़ने लगा; उसने अपना सिर मेरे कंधे पर रख दिया और चुप सी हो गयी.

मेरी छेड़छाड़ का असर उस पर होता भी क्यों न … आखिर अट्ठारह वसन्त पार कर चुकी जवान लड़की थी.
उसकी जवानी पूरे उफान पर थी और चुद जाने की तमन्ना इस उम्र में सभी लड़कियों की प्राकृतिक रूप से होती ही है.
ऊपर से भले ही वो कितना भी ना नुकुर करें.
उनकी चूत की खुजली, बार बार गीली होती चूत की सनसनाहट शायद ही कोई लड़की सहन कर पाती हो और अपने दाने से न खेलने लगती हो.

फिर मैंने गुनगुन की दोनों बांहें अपने गले में पहना लीं और उसका निचला होंठ चूसने लगा.

यौवन के रस से छलकते उसके होंठ मुझे अमृतपान कराने लगे.

साथ ही मैंने अपना एक हाथ उसके कुर्ते के भीतर डाल दिया और उसके नंगे स्तनों को पकड़ कर बारी बारी से उनसे खेलने लगा.
उसके स्तनों की कठोरता मेरी हथेली को मस्त मजे का अहसास करा रही थी.

इधर मेरा लंड तो कब का लुंगी के भीतर सिर उठा चुका था.

“साबजी, आह मत सताओ ऐसे. आपके ऐसे यहां वहां छूने से मुझे सब जगह झनझनाहट सी हो रही है. जाने दो ना साब!”
वो अस्फुट स्वर में कहती हुई अब मुझे खुद ही लिपटी जा रही थी और मेरे होंठ भी चूसने लगी थी.

फिर उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में धकेल दी.
मैंने भी उसकी जीभ अपने मुँह में चूसना शुरू किया.

उसके सुगंधित मुखरस का पान करते हुए मैंने अपनी लुंगी की गांठखोल कर फेंक दी.
अब मेरा लंड आजाद होकर उसके पेट से टकराने लगा.

दोस्तो, एक कुंवारी लड़की की सेक्सी कहानी का अगला हिस्सा आपके औजार को एकदम सख्त बना देगा.
कहानी पर आपके मेल का मुझे इन्तजार रहेगा.

कुंवारी लड़की की सेक्सी कहानी का अगला भाग:

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